नई दिल्ली: ग्रहों का प्रभाव जीवन पर किसी न किसी रूप में अवश्य पड़ता है. यह इस बात पर भी विशेष तौर पर निर्भर करता है कि आपकी कुंडली ग्रहों की दशा क्या है. उसके अनुसार भी आपके जीवन पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है. अगर कुंडली में ग्रहों की दशा ठीक है तो आपके दैनिक जीवन पर उसका प्रभाव दिखता है. लेकिन ग्रहों की दशा खराब चल रही है तो जीवन कई परशानियों से तब तक घिरा रहता है जब तक कि आप उसका निदान नहीं कर देते.
इसी तरह मनुष्य को शुभ काम शुरू करने से पहले एक बार विचार करना चाहिए. मनुष्य के जीवन में हर दिन कुछ बदलाव आता है और इन बदलावों के पीछे ग्रह-नक्षत्रों का भी योगदान होता है. इस लिहाज से आपको जीवन में शुभ मुहूर्त और राहुकाल जैसी समयावधि का ध्यान रखना चाहिए.
आज का पंचांग
तिथि- अश्विन माह, शुक्ल पक्ष, षष्ठी तिथि 08.47 बजे तक, इसके उपरांत सप्तमी तिथि
दिन- शनिवार
नक्षत्र- ज्येष्ठा नक्षत्र
महत्वपूर्ण योग- आयुष्मान योग
चन्द्रमा का वृश्चिक के उपरांत धनु राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त
आज दोपहर 11 बजकर 52 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा. अगर आप कोई नया काम शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं, तो यह आपके लिए सबसे उपयुक्त समय है.
आज का राहुकाल
आज सुबह 09 बजकर 19 मिनट से लेकर दोपहर 10 बजकर 47 मिनट तक राहुकाल रहेगा. किसी भी जातक को इस काल में कोई नया काम शुरू करने से बचना चाहिए. अगर आप इस काल में कोई नया काम शुरू करते हैं, तो आपको भारी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
माता के छठे स्वरुप को कक्यों कहा जाता है मां कात्यायनी
आज शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है. मां कात्यायनी को माता दुर्गा के नौ रूपों में छठवां स्वरूप माना जाता है. इसलिए कात्यायनी को छठवीं दुर्गा के रूप में पूजा जाता है. महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने, पुत्री के रूप में उनके यहां जन्म लिया. इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा जाता है. कात्यायनी शब्द का शाब्दिक अर्थ है ‘जो प्रबल और घातक दंभ को दूर करने में सक्षम हो’. कई जगह यह भी संदर्भ मिलता है कि वे देवी शक्ति की अवतार हैं और कात्यायन ऋषि ने सबसे पहले उनकी उपासना की, इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा.
जब पूरी दुनिया में महिषासुर नामक राक्षस ने अपना ताण्डव मचाया था, तब देवी कात्यायनी ने उसका वध किया और ब्रह्माण्ड को उसके आत्याचार से मुक्त कराया. तलवार आदि अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित देवी और दानव महिषासुर में घोर युद्ध हुआ. उसके बाद जैसे ही देवी उसके करीब गईं, उसने भैंसे का रूप धारण कर लिया. इसके बाद देवी ने अपने तलवार से उसका गर्दन धड़ से अलग कर दिया. महिषासुर का वध करने के कारण ही देवी को महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है.
गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए करें ये उपाय
एक छोटे से कलश में पानी भरकर उसें तीन नींबू, थोड़ा सा काला तिल और एक लोहे का तिकोना टूकड़ा डालकर ढंक दे. सांयकाल पीपल वृक्ष की जड़ के पास रख दें. और कलश पर ही सरसो के तेल का एक दीपक जलाते हुए अपनी मनोकामना का स्मरण करें.
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