नई दिल्लीः Rathyatra 2021 Devi Vimala: जगन्नाथ पुरी में रथयात्रा की सारी तैयारी हो चुकी हैं. अब केवल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया की तिथि यानी कल सोमवार को मंदिर के सिंहद्वार प्रांगण से गुंडीचा मंदिर तक रथयात्रा निकाली जाएगी. जगन्नाथ धाम को धरती का वैकुंठ कहा जाता है और माना जाता है कि श्रीविष्णु यहां कृष्ण रूप में साक्षात विराजमान हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सबसे पहले देवी विमला चखती हैं भोग
उनको तरह-तरह के 56 प्रकार के नैवेद्यों का भोग लगाया जाता है. इसी भोग को महाप्रसाद कहते हैं. लेकिन एक रहस्य यह भी है कि खुद को समर्पित महाभोग भगवान जगन्नाथ खुद भी पहले नहीं खा सकते हैं. यह भोग सबसे पहले विमला देवी ग्रहण करती हैं.



इसके बाद ही भगवान जगन्नाथ इसे चख सकते हैं. कौन हैं विमला देवी? 


पुरी की देवी हैं मां विमला
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी विमला जगन्नाथ पुरी की अधिष्ठात्री देवी हैं. यह उनका तीर्थ क्षेत्र है. विमला देवी को सती का आदिशक्ति स्वरूप माना जाता है और भगवान विष्णु उन्हें अपनी बहन मानते हैं. पुरी में जगन्नाथ मन्दिर के प्रांगण में स्थित है अति प्राचीन विमला देवी आदि शक्तिपीठ. 


यह भी पढ़िएः Rath Yatra 2021: जब अचानक ही एक मजार पर रुक गई रथयात्रा, जानिए भगवान के मुस्लिम भक्त की कथा


इस शक्तिपीठ में गिरी थी सती की नाभि
मान्यता है कि यहां पर मां सती की नाभि गिरी थी. इस शक्तिपीठ में मां सती को 'विमला' और भगवान शिव को 'जगत' कहा जाता है. देवी सती देवी शक्ति (सद्भाव की देवी) का अवतार हैं.



इन्हें देवी दुर्गा (शक्ति की देवी) भी कहा जाता है और देवी सती को देवी काली (बुराई के विनाश की देवी) के रूप में भी पूजा जाता है.


ऐसा है माता का मंदिर
विमला मंदिर जगन्नाथ मंदिर की दाईं ओर पवित्र कुंड रोहिणी के बगल में स्थित है. मन्दिर का मुख पूर्व दिशा की ओर है, और बलुआ पत्थर और लेटराइट से निर्मित है. देवी विमला की मूर्ति के चार हाथ हैं. ऊपरी दाहिने हाथ में माला धारण किए हुए हैं.



निचला दाहिना हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है और निचले बाएं हाथ में अमृत भरा एक कलश है. विमला मंदिर में ब्राह्मी, माहेश्वरी, आंद्री, कौमारी, वैष्णवी, वराही और माँ चामुंडा की भी प्रतिमाएं हैं.


पांच भागों में विभाजित है मंदिर
मंदिर के शिखर को 'रेखा देउला' कहा जाता है, जिसकी ऊंचाई 60 फ़ीट है. इसकी बाहरी दीवार पांच भागों में विभाजित है, और मन्दिर के चार प्रमुख हिस्से हैं - मन्दिर का शिखर (विमानम); सम्मेलन सभामंडप (जगमोहन); पर्व-महोत्सव सभामंडप (नटमंडप) और भोग मंडप (आहुति सभामंडप). देवी विमला को भोग लगने के बाद ही प्रसाद महाप्रसाद बन जाता है और भगवान जगन्नाथ समेत सभी भक्तों को बांटा जाता है. 


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.