आज कीजिए गणेश जी की खास पूजा जो छह महीने में सिर्फ एक बार हो सकती है

अंगारकी चतुर्थी की विशेषता यह है कि यह तिथि 6 महीनों में केवल एक बार ही आती है. यानी कि दिन-रात की जो गणना है उसके अनुसार ऐसा छह महीने में एक बार ही हो सकता है कि चतुर्थी तिथि के दिन मंगलवार हो. इस तरह साल में दो ही अंगारकी चतुर्थी होती हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 2, 2021, 09:21 AM IST
  • दक्षिण भारत में भी संकष्ठी चतुर्थी का विशेष महत्व है
  • आज के दिन भगवान कार्तिकेय को मनाने आए श्रीगणेश
आज कीजिए गणेश जी की खास पूजा जो छह महीने में सिर्फ एक बार हो सकती है

नई दिल्लीः सृष्टि के प्रथम पूज्य और शुभता के प्रतीक विनायक भगवान गणेश की पूजा का विशेष दिन होता है संकष्ठी चतुर्थी. दिशाओं के स्वामी और लोकपाल के पद पर बैठाए गए भगवान गणेश को चतुर्थी अति प्रिय है. इसलिए इस दिन विशेष तौर पर उनकी पूजा की जाती है. प्रत्येक मास की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की दोनों ही तिथियों को उनकी आराधना की जाती है. 

संकष्ठी चतुर्थी के व्रत से व्यक्ति अपने जीवन की कठिनाईओं और बुरे समय से निजात पा सकते हैं. संकष्ठी चतुर्थी को कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. कई जगहों पर इसे संकट हारा कहते हैं तो कहीं-कहीं सकट चौथ भी. यदि किसी महीने में यह पर्व मंगलवार के दिन पड़ता है तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है. 

आज अंगारकी चतुर्थी
अंगारकी चतुर्थी की विशेषता यह है कि यह तिथि 6 महीनों में केवल एक बार ही आती है. यानी कि दिन-रात की जो गणना है उसके अनुसार ऐसा छह महीने में एक बार ही हो सकता है कि चतुर्थी तिथि के दिन मंगलवार हो. इस तरह साल में दो ही अंगारकी चतुर्थी होती हैं. 

दक्षिण भारत में भी इस दिन का विशेष महत्व है. दरअसल श्रीगणेश कार्तिकेय के भाई हैं. दक्षिण भारत में कार्तिकेय प्रमुख पूज्य देवता हैं और उन्हें वहां भगवान मुरुगन कहा जाता है. एक बार कार्तिकेय सबसे नाराज होकर अपने प्रदेश चले गए थे.

तब गणेश अपने भैया को मनाने दक्षिण भारत पहुंचे थे. उस दिन चतुर्थी की ही तिथि थी. अपने प्रभु मुरुगन (कार्तिकेय) के छोटे भाई को आया देखकर दक्षिण प्रदेश ने उनका उत्साह से स्वागत किया. 

तबसे अंगारकी चतुर्थी और संकष्ठी चौथ को दक्षिण भारत में भी उल्लास से मनाते हैं. इस दिन भगवान गणेश का सच्चे मन से ध्यान करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और व्यक्ति को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है.

यह भी पढ़िएः ज्योतिष समाधान: अगर नहीं हो रही है संतान तो अपनाएं ये उपाय

ऐसे करें श्रीगणेश की पूजा
आज के दिन श्रीगणेश की पूजा के लिए कुछ विशेष विधियों का पालन किया जाता है. श्रद्धालु पूरे दिन का व्रत रखकर भगवान की आराधना करते हैं.

व्रत के लिए आप सबसे पहले प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएं. स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें. लाल रंग का वस्त्र पहनना बेहद शुभ माना जाता है. 

  • अब गणपति पूजा की शुरुआत करें. 
  • पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए.
  • सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें.
  • पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी , धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें.
  • पूजा में देवी मां दुर्गा के चित्र को भी स्थापित करें. ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है.
  • गणेश जी को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें.
  • इसके बाद उन्हें तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं.
  • धूप-दीप जला कर मंत्र जाप करें

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्.
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्.

पूजा के बाद आप फल, मूंगफली, खीर, दूध या साबूदाने को छोड़कर कुछ भी न खाएं. इस व्रत में सेंधा नमक के प्रयोग से भी बचें. शाम को चंद्रोदय से पहले भगवान की पूजा करें और व्रत कथा का पाठ करके जल अर्पित करें. पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें और खुद भी खाएं. चांद देखने के बाद व्रत खोलें. इस तरह आपका व्रत पूरा हो जाता है. 

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.  

ट्रेंडिंग न्यूज़