कब है उत्पन्ना एकादशी, इस शुभ योग में करें पूजा-पूरी होगी सारी मनोकामना
utpanna ekadashi 2024: हिंदू धर्म में उत्पन्ना एकादशी का विशेष महत्व होता है. उत्पन्ना एकादशी 26 नवंबर मंगलवार को है. आइए जानते हैं इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए.
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में उत्पन्ना एकादशी का अत्यधिक महत्व होता है. हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के ठीक अगले दिन उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है. 26 नवंबर को मार्गशीर्ष (अगहन) महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी है. इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं. एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास और पूजा करने की परंपरा है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर - जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार, अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 नवंबर, सोमवार की रात 01:02 मिनिट से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 26 नवंबर, मंगलवार की रात 03:47 मिनिट तक रहेगी. चूंकि 26 नवंबर को एकादशी तिथि सूर्योदय के समय रहेगी, इसलिए ये व्रत इसी दिन किया जाएगा.
लड्डू गोपाल की पूजा
इस दिन प्रीति और आयुष्मान योग रहेंगे. अगहन यानी मार्गशीर्ष मास को श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है. इस वजह से एकादशी पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की पूजा करने का शुभ योग बन रहा है. एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा के साथ ही व्रत भी जरूर करें. व्रत करना चाहते हैं तो सुबह पूजा करते समय व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद दिनभर निराहार रहें यानी अन्न ग्रहण न करें. भूखे रहना मुश्किल हो तो फलाहार कर सकते हैं, दूध और फलों का रस पी सकते हैं.
रात को करें दीपदान
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि धर्म-कर्म की शुरुआत गणेश पूजा के साथ करनी चाहिए. इस एकादशी के संबंध में मान्यता है कि भगवान विष्णु के लिए की गई पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं. अगर किसी खास इच्छा के लिए एकादशी व्रत और विष्णु पूजा की जाती है तो उसमें भी सफलता मिल सकती है. एकादशी पर किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए, स्नान के बाद नदी किनारे ही दान-पुण्य जरूर करें. उत्पन्ना एकादशी के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को शाम के भोजन के बाद अच्छी तरह दातुन करें ताकि अन्न का अंश मुंह में न रह जाएं. इसके बाद कुछ भी नहीं खाएं, न अधिक बोलें. एकादशी की सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद व्रत का संकल्प लें. धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से भगवान विष्णु या श्री कृष्ण की पूजा करें और रात को दीपदान करें. रात में सोएं नहीं. इस व्रत में रातभर भजन-कीर्तन करने का विधान है. इस व्रत के दौरान जो कुछ पहले जाने-अनजाने में पाप हो गए हों, उनके लिए माफी मांगनी चाहिए. अगले दिन सुबह फिर से भगवान की पूजा करें. ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देने के बाद ही खुद खाना खाएं
शुभ योग
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि एकादशी पर सर्वप्रथम प्रीति योग का निर्माण हो रहा है. इसके बाद आयुष्मान योग का संयोग बन रहा है. इसके अलावा, शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है. इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी. साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशियों का आगमन होगा.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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