बीएसएफ ने दिव्यांगों के लिए किया स्पेशल ट्रेनिंग कैंप का आयोजन

9 जुलाई को शुरु हुआ ये ट्रेनिंग कैंप 13 जुलाई तक चला. कैंप में बीएसएफ ने दिव्यांग जवानों के लिए अलग-अलग खेलों में ट्रेनिंग के इंतजाम किए गए.

Written by - Zee News Desk | Last Updated : Jul 13, 2018, 10:01 PM IST
बीएसएफ ने दिव्यांगों के लिए किया स्पेशल ट्रेनिंग कैंप का आयोजन

बेंगलुरु: भारतीय अर्द्धसैनिक बल बीएसएफ के शौर्य-पराक्रम की कई कहानियां आपने सुनी होगी. लेकिन बीएसएफ अब एक ऐसा काम कर रहा है, जिसे जानने के बाद आपका बीएसएफ के प्रति और सम्मान बढ़ जायेगा. बेंगलुरु में बीएसएफ ने दिव्यांगों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग कैंप का आयोजन किया है. इस ट्रैनिंग कैंप की खासियत है यह है कि यहां पर ट्रेनिंग लेने वाले लोग बीएसएफ के वो जवानों है, जो देश की रक्षा करते हुए खुद दिव्यांग बन गए. 

बीएसएफ ना सिर्फ सरहद पर रहकर देश की सुरक्षा कर रही है बल्कि सेना के उन जवानों का भी हौसला बढ़ा रही है, जो देश की रक्षा करने में भले ही अब अक्षम हो गए हों लेकिन उनके दिल में आज भी देशभक्ति का जज्बा कायम है. बीएसएफ ने ऐसे जवानों को पैरा गेम्स के लिए तैयार करने के लिए ही इस ट्रेनिंग कैंप का आयोजन किया है. 

9 जुलाई को शुरु हुआ ये ट्रेनिंग कैंप 13 जुलाई तक चला. कैंप में बीएसएफ ने दिव्यांग जवानों के लिए अलग-अलग खेलों में ट्रेनिंग के इंतजाम किए गए. इस ट्रेनिंग कैंप में तैराकी, साइकिलिंग, हॉर्स राइडिंग, आर्म रेसलिंग, पावर लिफ्टिंग, बैडमिंटन और लॉन टेनिस जैसे कुल 10 तरह के खेलों की ट्रेनिंग दी गई. 

कैंप में ट्रेनिंग का पूरा जिम्मा उन पूर्व पारा खिलाड़ियों के ऊपर रहा, जो खुद इन खेलों में भाग ले कर देश का नाम दुनिया में रोशन कर चुके हैं. ऐसे ही एक जवान हैं हरीश वर्मा. हरीश वर्मा आर्म रेसलिंग में कई सालों तक चैंपियन रहे हैं. इन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में देश को सैंकड़ों मैडल जिताए हैं और अब  बीएसएफ के ट्रेनिंग कैंप में दिव्यांग जवानों को पावर लिफ्टिंग और आर्म रेसलिंग के लिए तैयार कर रहे हैं.

वहीं तैराकी की ट्रेनिंग भोलानाथ ने दी हैं. भोलानाथ का एक पैर नहीं है लेकिन पानी में वो मछली की तरह तैरते हैं. भोलानाथ ने ना सिर्फ दिव्यांग खिलाड़ियों को तैराकी के गुर सिखाए बल्कि उनको प्रेरणा भी दी कि कैसे शरीर की कमियों के बावजूद देश के लिए कुछ किया जा सकता है. 

बीएसएफ का ये कैंप इसलिए भी खास रहा क्योंकि सेना के दिव्यांग जवानों के साथ-साथ आम लोगों के लिए कैंप का दरवाज़ा खोला गया. 28 साल की खुशबू भी उन्हीं में से एक हैं. 23 साल तक घर की चार दीवारी में रहने के बाद खुशबू को इस बीएसएफ के ट्रेनिंग कैंप्स ने नई जिंदगी दी है. खुशबू 30 किलो वजन में पावर लिफ्टिंग करती हैं और वह महाराष्ट्र की चैंपियन रह चुकी हैं. अब खुशबू का लक्ष्य 50 किलो पावर लिफ्टिंग में कामयाबी हासिल करना है. 

आपको बता दें कि बीएसएफ के इस कैंप में देशभर से कुल 74 खिलाड़ी शामिल हुए. कैंप में बीएसएफ के 43, सीआईएसएफ के 5 और 27 सिवेलियन्स ने हिस्सा लिया. खिलाड़ियो के हौसले और जज्बे को देखकर बीएसएफ आगे भी इस तरह के कैंप लगाकर अलग-अलग जगहों पर ट्रेनिंग को जारी रखेगी.

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