तो इसलिए सरकार में शामिल होने के बाद भी INLD से हाथ मिलाने को बेताब हैं अजय चौटाला

हरियाणा चुनाव के दौरान किसी ने न सोचा था कि 11 महीने पहले खड़ी की गई नई पार्टी किंगमेकर बन बैठेगी. अपने मुख्य स्त्रोत INLD से अलग हो खुद की राजनीतिक जमीन तैयार करने वाली दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जजपा क्या फिर से अपने पैतृक पार्टी से हाथ मिलाने वाली है? हाल के घटनाक्रम को देखें तो इन कयासों के सच साबित होने के आसार नजर आने लगे हैं.

Last Updated : Oct 29, 2019, 10:09 AM IST
    • चौटाला परिवार को एक करने की कवायद
    • जाट राजनीति का रुख बदलने की कोशिश
    • अजय और अभय चौटाला में मुलाकात
    • दुष्यंत ने साबित की अपनी ताकत
तो इसलिए सरकार में शामिल होने के बाद भी INLD से हाथ मिलाने को बेताब हैं अजय चौटाला

चंडीगढ़: हरियाणा की राजनीति में आई भूचाल के सितारे जननायक जनता पार्टी प्रमुख दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला ने अपने भाई अभय चौटाला से मुलाकात की. वहीं अभय चौटाला जिससे नोंक-झोंक के बाद आईएनएलडी के मोह माया से निकल कर जजपा बनाने का पूरा खेल शुरू हुआ था. 

अभय से मिलने तेजखेड़ा पहुंचे अजय चौटाला
दरअसल, भाजपा के साथ गठबंधन में आ कर सरकार बनाने वाली जजपा के प्रमुख दुष्यंत चौटाला फिलहाल हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री हैं. सरकार बनाने के साथ ही जेल में बंद अजय चौटाला को अदालत की ओर से 14 दिन के लिए फरलो मिल गया. अपनी 14 दिनों की आजादी का लुत्फ उठा रहे अजय चौटाला फिर कुछ सियासी दांवपेंच खेलने के मूड में नजर आ रहें हैं. सोमवार को वे अपने छोटे भाई अभय चौटाला से मिलने तेजखेड़ा गांव में पहुंचे जिसके बाद हरियाणा के सियासी गलियारों में राजनीतिक अटकलें तेज हो गई.

INLD से मेल-मिलाप की है तैयारी
सोशल मीडिया पर तेजी से प्रसारित हुई तेजखेड़ा गांव में दोनों भाईयों के मुलाकात की तस्वीर के राजनीतिक मायने भी निकाले जाने लगे कि शायद दोनों दलों में फिर से मेल-मिलाप होने वाला है. अजय चौटाला ने मुलाकात के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि छोटे भाई अभय से मुलाकात कर के आ रहा हूं. उन्होंने इशारा भी किया वे प्रयास कर रहे हैं कि परिवार फिर से एक हो. लेकिन सुमड़ी में क्या गुमड़ी हुई इसका खुलासा नहीं किया. इससे पहले भी अजय चौटाला ने कहा था कि मैं पूरे परिवार का स्वागत करता हूं. 

पूर्वजों की राजनीतिक विरासत को रखना चाहते हैं जिंदा
हरियाणा की राजनीति को नजदीक से देखने वाले राजनीतिक पंडितों की मानें तो अजय चौटाला इस प्रयास में हैं कि पूर्वजों की राजनीतिक विरासत को यथासंभव जिंदा रखा जा सके. हरियाणा में दादा देवीलाल जो उप-प्रधानमंत्री रहे थे और ताऊ ओमप्रकाश चौटाला ने जो पांच बार मुख्यमंत्री रहते हुए राजनीतिक जमीन तैयार की थी, उसको एक नए मुकाम तक पहुंचाया जा सके. दुष्यंत चौटाला ने पार्टी में लगातार हो रहे तिरस्कार के बाद अपनी एक अलग राह बनाई और खुद को प्रदेश की राजनीति का चमकता सितारा साबित किया. महज 11 महीने में पार्टी भाजपा और कांग्रेस जैसे बड़े राजनीतिक दलों की जरूरत बन बैठी. जाहिर है आईएनएलडी से अबकी हाथ मिलाने की सूरत में दुष्यंत चौटाला को इस बात का ख्याल होगा कि पहले की तरह उन्हें नजरअंदाज करने की भूल न की जाए. 

दुष्यंत को मुख्यमंत्री बनाने की चल रही है कवायद
बहरहाल, अजय चौटाला के परिवार को एक करने की पीछे की रणनीति हरियाणा के जाट और दलित वोटरों की डेमोग्राफी को बेहतर साधने के लिहाज से बनाई जा रही हो. हरियाणा में INLD से मुंह मोड़ कर जजपा के पीछे खड़े होने वाले वोटरों के दम पर ही पार्टी भाजपा के साथ मिलकर दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बना पाने में सफल हो पाई है. हरियाणा में अगले चुनाव तक जजपा को किसी पार्टी के साथ गठबंधन की जरूरत ना पड़े और दुष्यंत चौटाला के मुख्यमंत्री बनने की राह किसी पार्टी के सहयोग की मोहताज ना रहे, इस बात की नींव तैयार करने में अभी से जुट गए हैं अजय चौटाला. 

कैसे बिखरा पूरा चौटाला परिवार ?
मालूम हो कि साल 2018 में दिवंगत देवीलाल के याद में गोहाना में आयोजित रैली में ओमप्रकाश चौटाला ने दुष्यंत चौटाला को मंच पर फटकार लगाई थी. दरअसल, आईएनएलडी के अंदर उत्तराधिकारी की दौड़ में चाचा अभय चौटाला को पार्टी का नेता घोषित कर दिया गया था और हिसार से सबसे कम उम्र में सांसद बन खुद को साबित करने वाले दुष्यंत चौटाला को नजरअंदाज किया जा रहा था. इससे दुष्यंत समर्थकों में गुस्सा था जो गोहाना रैली में अभय चौटाला के माइक पर आते ही फुट पड़ा. समर्थकों ने "दुष्यंत चौटाला जिंदाबाद" और "हमारा नेता कैसा हो, दुष्यंत चौटाला जैसा हो" नारे लगाकर प्रतिरोध जाहिर किया. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला उखड़ बैठे औैर दुष्यंत चौटाला और समर्थकों की भीड़ जुटाने वाले छोटे भाई दिग्विजय चौटाला को खूब खरी-खोंटी सुनाई. इसके कुछ ही दिनों बाद दुष्यंत चौटाला और समर्थित नेता पैतृक पार्टी से अलग हो कर जजपा की नींव रखने की तैयारी में जुट गए. 

दुष्यंत ने साबित की अपनी ताकत
फिर हरियाणा विधानसभा चुनाव आया और वह हुआ जिसका किसी को अंदाजा न था. जजपा और दुष्यंत चौटाला विधानसभा चुनाव में डॉर्क हॉर्स बन कर उभरे. अब इतना सब कुछ हो जाने के बाद क्या जजपा प्रमुख दुष्यंत चौटाला फिर से पुरानी पार्टी से हाथ मिलाएंगे और क्या आईएनएलडी जजपा की शर्तों को मंजूर कर साथ आएगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.   

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