नई दिल्ली: महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना का बोलबाला काफी पुराना है. एक परिवार जिसने सियासत के मैदान पर कभी किस्मत नहीं आजमाई थी. एक शख्स जिसका वर्चस्व सूबे में काफी ऊंचे स्थान पर था, लेकिन वो कभी सत्ता के शीर्ष कुर्सी पर नहीं बैठा. सत्ता के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का सिलसिला काफी लंबा रहा. एक साल, या दो साल नहीं.. करीब चार दशक तक उस शख्स ने किंगमेकर की भूमिका अदा की. उस शख्स की मर्जी के बिना न तो सूबे में सरकार बनती थी और ना ही सत्ता चलती थी. उस किंगमेकर को बाला साहेब ठाकरे के नाम से जाना जाता है. जिन्होंने शिवसेना की स्थापना की थी.
जब बाल ठाकरे का जन्म हुआ वो वक्त गुलामी का दौर हुआ करता था. 26 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र के एक जाने माने परिवार में बाल साहब ठाकरे का जन्म हुआ. बाल ठाकरे के पिता केशव ठाकरे सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, लेखक और रंगमंच कलाकार थे. लेकिन पारिवारिक परेशानियों के चलते बाल ठाकरे छठी कक्षा से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए. बाल ठाकरे के पिता अपने बेटे को संगीतकार बनाना चाहते थे. लेकिन बाल ठाकरे ने पिता के रास्ते पर चलते हुए पेंटिंग करने का इरादा बना लिया. उनकी जिंदगी का सफर चलता रहा और बाल ठाकरे कार्टूनिस्ट बन गए.
22 साल की उम्र में ही हो गई थी शादी
22 साल की उम्र में ही बाल ठाकरे की शादी मीना ठाकरे से हो गई. सही मायने में बाल ठाकरे की कार्टूनिस्ट से नेता बनने के सफर की शुरुआत शादी के बाद ही हुई थी. 1950 में बाल ठाकरे ने बतौर कार्टूनिस्ट फ्री प्रेस में नौकरी की. महज 25-26 साल की उम्र में ही बाल ठाकरे मराठी और गैर मराठी के फर्क को समझने लगे. ठाकरे का मानना था कि मुंबई मराठी लोगों की है और इस पर मराठियों का ही राज होना चाहिए. इस विचारधारा के साथ बाल ठाकरे ने कार्टून बनाने शुरू कर दिए. अब तक उन्हें व्यंग चित्र की ताकत का एहसास हो चुका था.
बाला साहेब ठाकरे की जिंदगी की शुरुआत एक कार्टूनिस्ट के तौर पर हुई थी. लेकिन उस वक्त किसी को ये आभास तक नहीं था कि बाला साहेब ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति का सबसे बड़ा एक्का रोल अदा करने वाला है. शायद यही वजह है कि आज भी बाल ठाकरे की भूमिका एक किंगमेकर के तौर पर प्रसिद्ध है. महाराष्ट्र की राजनीति का इतना बड़ा चेहरा शायद ही कोई हो. ऐसे न जाने कितने सारे किस्से जो बाला साहेब ठाकरे और महाराष्ट्र की राजनीति के इतिहास के पन्नों पर हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज हो गए