नई दिल्ली: महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश ने खेल को दिलचस्प बना दिया है. अब सभी पार्टियों को सरकार बनाने की कोशिश करने के लिए कम से कम 6 महीने का वक्त मिल गया है. इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी भी सरकार बनाने की रेस में दोबारा शामिल हो गई है.
भाजपा ने मैदान में उतारा कद्दावर योद्धा
इसमें दो राय नहीं कि बिना जोड़-तोड़ के सरकार बना पाना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं होगा. महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने और शिवसेना एनसीपी कांग्रेस के बीच सरकार बनाने को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं होने के बाद भाजपा ने ऐसी परिस्थितियों को बखूबी हैंडल करने का अनुभव रखने वाले अपने कद्दावर नेता नारायण राणे को मैदान में उतार दिया है. इस ज़िम्मेदारी के साथ कि उन्हें जादुई आंकड़ा हासिल करना होगा.
Narayan Rane, Bharatiya Janata Party on being asked if Congress, NCP leaders are in touch with him: I cannot say anything on it. All I can say is that I am trying to help form government. #Maharashtra pic.twitter.com/LyEm8JOmPd
— ANI (@ANI) November 12, 2019
भाजपा नेता नारायण राणे ने मीडिया के सामने इसका ऐलान भी कर दिया है कि सत्ता लाने की वो कोशिश करेंगे. विधायक 145 हमारे होने चाहिए इसके लिए कोशिश रहेगी. राण ने बताया कि हमें सत्ता स्थापन करना है, इसलिए सब काम पर लग जाए.
भाजपा ने 'दगाबाज' शिवसेना को दी नसीहत
भाजपा आलाकमान की तरफ से नारायण राणे से बेहतर व्यक्ति इस स्थिति के लिए हो नहीं सकता था. नारायण राणे लंबे वक्त तक शिवसेना के साथ रहे, तो कांग्रेस का हाथ भी थामा. प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे इसलिए प्रदेश की सियासत और सभी पार्टियों की रग रग से वाकिफ हैं. उन्होंने शिवसेना को नसीहत दी कि कांग्रेस एनसीपी उन्हें समर्थन नहीं देंगी. इसके साथ ही जोड़-तोड़ के सवाल पर ये भी कह दिया कि साम दाम दंड भेद सिखाने वाली शिवसेना ही है.
भारतीय जनता पार्टी की तरफ से उद्धव ठाकरे पर दबाव बनाने की शुरुआत हो गई है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने पर अफसोस जताया और कहा कि जनता ने महागठबंधन के पक्ष में जनादेश दिया था मगर सरकार न बनने से राष्ट्रपति शासन लगाने की स्थिति पैदा हुई. हालांकि फडणवीस ने राज्य को जल्द स्थिर सरकार मिलने की उम्मीद जताई.
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उद्धव के वार पर भड़की भाजपा
भले ही बीजेपी सरकार न बनने देने के पीछे शिवसेना पर दोष मढ़े, लेकिन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे इसके लिए भाजपा को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. ठाकरे ने बीजेपी पर सरकार न बनने देने का आरोप लगाया और कहा कि बीजेपी अपनी बात से मुकर गई. उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर रिश्ता तोड़ने का आरोप लगाया तो बीजेपी ने पलटवार करते हुए कह दिया कि शिवसेना ने महाराष्ट्र की जनता के साथ विश्वासघात किया है. सच क्या है जनता जानती है.
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भाजपा ने शिवसेना को लेकर अपने तेवर जरूर कड़े किए हैं, लेकिन जुबान में अब भी सम्मान का भाव है. बीजेपी का अब भी कहना है कि उसके दरवाजे शिवसेना के लिए बंद नहीं हैं. इसमें दो राय नहीं कि एक विचारधारा वाली बीजेपी और शिवसेना की सरकार ज्यादा स्थिर हो सकती है. बजाय शिवसेना एनसीपी कांग्रेस की अलग विचारधारा वाले गठबंधन की सरकार बने. लेकिन मुद्दा मुख्यमंत्री की कुर्सी का है और शिवसेना के मौजूदा रुख से साफ है कि जो उसे मुख्यमंत्री की कुर्सी देगा वो उसका हाथ थामेगी.
मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर बात अब प्रतिष्ठा की हो गई है. महाराष्ट्र की भलाई के लिए क्या दोनों में से कोई इसका त्याग करेगा या भाजपा कोई और रास्ता अपनाएगी. शिवसेना ने इन 19 दिनों में अपने 56 विधायकों को घेरकर रखा था. आगे इनमें टूट न हो उद्धव ठाकरे के लिए ये एक बड़ी चुनौती होगी. ये खतरा कांग्रेस को भी है. कहा जा सकता है कि आने वाले दिन महाराष्ट्र की राजनीति में काफी गहमा गहमी वाले होंगे.