नई दिल्ली: महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव की गहमागहमी तेज हो गई है. दोनो ही राज्यों में 21 अक्टूबर को मतदान होगा और 24 तारीख को परिणामों की घोषणा हो जाएगी. इन दोनों ही राज्यों में हाल फिलहाल तक कांग्रेस की सरकारें मौजूद रही हैं और यहां मजबूत पार्टी संगठन भी मौजूद है. लेकिन कांग्रेस पार्टी की हालत देखकर लगता नहीं कि वहां यहां चुनाव जीतने के लिए मैदान में उतरी है.
अभी तक प्रचार में नहीं उतरे राहुल गांधी
कांग्रेस के बड़े प्रचारकों में से एक राहुल गांधी अभी तक चुनाव प्रचार में नहीं उतरे हैं. उनका नाम पार्टी के स्टार प्रचारकों में शामिल है. लेकिन वह देश के बाहर हैं. खबरों के मुताबिक राहुल गांधी 4 दिनों के कंबोडिया दौरे पर गए हुए थे. हालांकि उनकी पार्टी का राज्य संगठन अपने स्तर पर चुनाव प्रचार कर रहा है. लेकिन उसके प्रमुख चेहरे अभी तक मैदान में नहीं उतरे हैं.
खबरों के मुताबिक राहुल गांधी मतदान के चंद दिनों पहले 13 और 15 अक्टूबर को महाराष्ट्र में चुनावी रैली करेंगे. वह मुंबई, विदर्भ, मराठवाड़ा, पश्चिमी महाराष्ट्र, कोंकण इलाके में प्रचार कर सकते हैं. इन सभी इलाकों में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की 3-3 रैलियां कराए जाने की योजना है. वहीं हरियाणा में राहुल गांधी 14 अक्टूबर को चुनाव प्रचार करने के लिए उतरेंगे.
दूसरों पर छोड़ रखी है प्रचार की कमान
कांग्रेस पार्टी ने देश की आर्थिक राजधानी मानी जाने वाली मुंबई जैसे अहम राज्य में चुनाव जीतने के लिए ठोस कदम उठाती हुई नहीं दिख रही है. यहां उसने प्रचार का जिम्मा यूपीए के वरिष्ठ सहयोगी शरद पवार पर छोड़ रखा है. हरियाणा में कु्मारी सैलजा और भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पर ही प्रचार की पूरी जिम्मेदारी टिकी हुई है.
वहीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी अभी तक प्रचार में नहीं उतरी हैं.
भीतरघात और गुटबंदी से त्रस्त है पार्टी
कांग्रेस पार्टी चुनाव मैदान में उतरने से पहले ही गुटबंदी और भीतरघात से उलझना पड़ रहा है. हरियाणा में राहुल गांधी द्वारा नियुक्त किए गए प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर को भूपेन्द्र सिहं हुड़्डा के दबाव में हटा दिया गया है. जिसके बाद वह बगावती तेवर अपनाए हुए हैं.
महाराष्ट्र में संजय निरुपम खुलकर कांग्रेस विरोधी बयानबाजियां कर रहे हैं. पिछले दिनों उन्होंने कांग्रेस पार्टी में चापलूसी की परंपरा पर भी सवाल उठाए थे. इन नेताओं के बगावती तेवरों से पार्टी को अंदरुनी नुकसान पहुंचता हुआ दिख रहा है.
हरियाणा और महाराष्ट्र कांग्रेस के लिए बेहद अहम
दोनों ही चुनावी राज्य कांग्रेस पार्टी के लिए बेहद अहम हैं. यहां हाल तक कांग्रेस की सरकारें रही हैं. दोनों ही राज्यों में इसी बार भाजपा ने कांग्रेस के हाथों से सत्ता छीनी थी. महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणनवीस के पहले सितंबर 2014 तक कांग्रेस के पृथ्वीराज चव्हाण मुख्यमंत्री थे. वहीं हरियाणा में भाजपा के मनोहर लाल खट्टर से पहले गांधी परिवार के वफादार और वरिष्ठ कांग्रेसी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे. दोनों ही राज्यों में कांग्रेस का संगठन मौजूद है. अगर पार्टी थोड़ी भी ताकत दिखाते हुए और रणनीति बनाकर चुनावी मैदान में उतरती को उसके सत्ता में लौटने की संभावनाएं बन सकती थीं.
लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के ढीले रवैये और पार्टी में अनिर्णय की स्थिति से जमीनी स्तर पर भी संगठन और कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी देखी जा रही है.
कांग्रेस के उलट भाजपा ने झोंक दी है पूरी ताकत
दोनों ही राज्यों में सत्तासीन भाजपा ने दोबारा वापसी के लिए प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह लगातार रैलियां कर रहे हैं. हरियाणा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार रैलियां करेंगे. उनकी पहली रैली 14 अक्टूबर को बल्लभगढ़, दूसरी और तीसरी रैली 15 अक्टूबर को दादरी और दोपहर बाद थानेसर में होगी. जबकि चौथी रैली 18 अक्टूबर को हिसार में होगी. पीएम मोदी चारों रैलियों के जरिए राज्य के 90 विधानसभा सीटों को कवर करेंगे.
वहीं कांग्रेस का पूरा संगठन अस्त व्यस्त दिख रहा है. पार्टी 11 अक्टूबर को मेनिफेस्टो जारी करेगी. दोनों राज्यों में कांग्रेस और भाजपा के प्रचार अभियान की गहमा गहमी को देख कर ही चुनाव परिणाम का अंदाजा साफ तौर पर लगाया जा सकता है.