नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सियासी ड्रामा जारी है. भले ही प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर विपक्षी दलों ने हाय तौबा मचाई हो लेकिन सभी इस बात से खुश हैं कि राष्ट्रपति शासन ने उन्हें जुगाड़ बैठाने का समय दे दिया. मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए भाजपा के साथ 30 साल पुरानी दोस्ती तोड़ने वाली शिवसेना ने कांग्रेस एनसीपी की ओर हाथ बढ़ा तो दिया है लेकिन कुछ ऐसे पेंच हैं जिनका हल आसान नहीं होगा.
CMP पर बन गई एक राय
भाजपा को किसी भी कीमत पर सत्ता से बाहर रखने की मंशा इतनी प्रबल है कि कांग्रेस एनसीपी भी शिवसेना का हाथ थामने में गुरेज नहीं कर रहीं. भले ही कल तक उन्हें शिवसेना की सांप्रदायिक छवि से ऐतराज था. सत्ता का स्वाद चखने को बेकरार शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस ने तमाम अड़चनों को दूर करने के लिए बैठकों का दौर शुरू कर दिया है. गठबंधन की सरकार बनाने के लिए मुंबई में पहली बार कांग्रेस-NCP और शिवसेना की बैठक हुई. तीनों पार्टियों के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर एक राय बन गई है.
किसान कर्जमाफी, रोजगार, फसल बीमा योजना की समीक्षा, छत्रपति शिवाजी महाराज और बीआर अंबेडकर स्मारक जैसे मुद्दों पर तीनों ही पार्टियों में सहमति बनी. अब ये ड्राफ्ट तीनों ही पार्टियों के अध्यक्ष को भेजा जाएगा. पार्टी अध्यक्षों से हरी झंडी मिलने के बाद सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है.
एनसीपी नेता नवाब मलिक ने इशारा करते हुए कहा कि 'अंतिम मसौदा जब तैयार हो जाएगा तब दिल्ली में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता इस पर सहमति बनाएंगे. सहमति बनाने के बाद अगर सहमति बन जाती है. तो महाराष्ट्र मे पर्याय सरकार बनेगी.'
कांग्रेस की दुविधा बरकरार
दरअसल, कांग्रेस के अंदर शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर लगातार दुविधा बनी हुई थी. महाराष्ट्र के कांग्रेस विधायक सरकार में शामिल होना चाहते थे जबकि कुछ वरिष्ठ नेता बाहर रहना चाहते थे. आखिरकार कांग्रेस ने शिवसेना एनसीपी सरकार को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया. लेकिन शरद पवार ने कहा कि जब तक कांग्रेस सरकार में शामिल नहीं होती तब तक सरकार स्थिर नहीं हो सकती. इसी के बाद कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की बात सामने आई जिसका ड्राफ्ट तैयार हो गया है. और इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है जिसमें तीनों पार्टियों के 5-5 सदस्य शामिल हैं.
संजय राउत का एक और तंज
17 नवंबर को दिल्ली में कांग्रेस और एनसीपी के बीच बैठक होगी. जिसमें शिवसेना के साथ सरकार बनाने पर चर्चा की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक गठबंधन से पहले कांग्रेस पार्टी शिवसेना से धर्मनिरपेक्षता पर भरोसा चाहती है. यही वो मुद्दा है जिसमें शिवसेना एनसीपी कांग्रेस के बीच तालमेल में दिक्कत हो सकती है. उधर, शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि शिवसेना और पीएम मोदी के बीच कोई खाई पैदा कर रहा है. उन्होंने ये भी पूछा कि उद्धव ठाकरे और अमित शाह के बीच बंद कमरे में हुई बातें मोदी को क्यों नहीं बताई गई.
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अमरावती से कांग्रेस विधायक यशोमति ठाकुर ने गठबंधन सरकार का मुख्यमंत्री शरद पवार को बनाने की मांग की है. वहीं बीजेपी की बैठक में पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने विधायकों को भरोसा दिलाया कि राज्य में भाजपा के सिवाय कोई और सत्ता में नहीं आ सकता. देवेंद्र फडणवीस ने विधायकों से कहा कि वो जनता को जाकर सच्चाई बताएं. सरकार बनाने पर उन्हें मुंबई बुलाया जाएगा.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ लोग भाजपा के मुखपत्र की तरह काम कर रहे हैं.
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उधर अखिल भारतीय हिंदू महासभा के नेता प्रमोद जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के बनने वाले गठबंधन को असंवैधानिक बताया है. फिलहाल उम्मीद की जा रही है कि 17 नवंबर को बालासाहब ठाकरे की पुण्यतिथि पर शिवसेना एनसीपी कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार का ऐलान हो सकता है.