क्यों भाजपा के साथ सबसे ज्यादा जमेगी दुष्यंत चौटाला की जोड़ी?

दोपहर बाद से चल रही तमाम अटकलों के बीच सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि जजपा के अध्यक्ष दुष्यंत भाजपा को समर्थन देने जा रहे हैं. दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सभी पार्टियों से भाजपा के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है.

Last Updated : Oct 24, 2019, 07:17 PM IST
    • हरियाणा विधानसभा चुनाव में किंगमेकर बनकर उभरी जजपा
    • सूत्रों के अनुसार भाजपा को समर्थन दे सकते हैं दुष्यंत
क्यों भाजपा के साथ सबसे ज्यादा जमेगी दुष्यंत चौटाला की जोड़ी?

चंडीगढ़ः  हरियाणा विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति उभर रही है. जहां कांग्रेस ने मतगणना के आंकड़ों में बढ़त बनाई है वहीं भाजपा भी सरकार बनाने के जादुई आंकड़े से काफी दूर है. ऐसे में दोपहर बाद से ही कयास लग रहे हैं कि भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियां जजपा को अपनी ओर करने की कोशिश कर रही हैं. अब सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि जननायक जनता पार्टी भाजपा का साथ देने जा रही है. इसके पहले यह भी सूचना आई थी कि जजपा ने कांग्रेस को समर्थन देने के लिए मुख्यमंत्री पद की शर्त रखी है. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है.

भूपेंद्र ने सभी से एकजुट होने की अपील की
गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा से जीते कांग्रेस प्रत्याशी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपीली तौर पर कहा कि हरियाणा की वर्तमान सरकार के खिलाफ सभी पार्टियों जजपा, बसपा, आइएनएलडी और निर्दलीय प्रत्याशियों को एक साथ आ जाना चाहिए. जीत के बाद की गई उनकी इस अपील को एक बार फिर कई दलों के गठबंधन के तौर पर समझा जा रहा था, लेकिन नई मिल रही जानकारी के अनुसार ऐसा नहीं होने जा रहा है. 

 
जजपा पर हरियाणा ने जताया भरोसा
महज 11 महीने पहले ही अस्तित्व में आई जजपा के लिए प्रदेश में पहला ही चुनाव उसके लिए बड़ी सफलता के तौर पर साबित हुआ. अक्टूबर 2018 को जिस भीड़ ने गोहाना में उनका समर्थन किया था उसने भले ही उन्हें बहुमत नहीं दिया, लेकिन इतना आगे तो लाकर खड़ा ही कर दिया है जहां वह सरकार बनाने की कोशिश में लगी देश की दो बड़ी पार्टियों के सामने खड़े हैं. कायदे से इस वक्त हरियाणा की चाबी दुष्यंत के ही हाथ में है और यह धीरे-धीरे स्पष्ट हो रहा है कि इसे वह भाजपा के ही हाथ में देंगे

 

क्या इनेलो ने दुष्यंत को निकालकर गलती की
अगर दिसंबर 2018 में ओम प्रकाश चौटाला ने दुष्यंत को पार्टी से नहीं निकाला होता तो आज इस किंगमेकर वाली भूमिका में इनेलो भी खड़ी हो सकती थी. युवा नेता के तौर पर पार्टी में अपनी साख और पहचान बनाने वाले दुष्यंत का एक बड़ा जनाधार बन चुका था और इनेलो इसे भुना सकती थी. अभी के मतगणना परिणामों के अनुसार जजपा को 9 सीटें मिली हैं और इनेलो अब तक एक भी सीट नहीं निकाल पाई है. जजपा को नौ सीटों पर जिता कर जनता ने पार्टी का हौसला बढ़ाया है वहीं इनेलो को बताया है कि सिर्फ विरासत का नाम लेकर चलने से राजनीति नहीं होती है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या दुष्यंत को पार्टी से निकालना इंडियन नेशनल लोकदल की गलती थी.

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