मुंबईः महाराष्ट्र की राजनीति का जारी गतिरोध अभी-अभी सुप्रीम कोर्ट की दहलीज से होकर लौटा है. महीने भर तक चली सियासी चकरघिन्नी के बाद शनिवार सुबह पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दोबारा सीएम पद की शपथ ली थी. इसे बौखलाई कांग्रेस व शिवसेना के साथ एनसीपी के शरद पवार सुप्रीम कोर्ट चले गए थे. यहां घंटे भर तक चली सुनवाई में जानते हैं क्या-क्या हुआ
सुप्रीम कोर्ट में क्या नतीजा आया ?
सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. अदालत ने केन्द्र, राज्य, देवेन्द्र फडणवीस और अजित पवार को नोटिस जारी करके उनका पक्ष दाखिल करने के लिए कहा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट कल विचार करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के आदेश की कॉपी मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने देवेन्द्र फडणवीस सरकार को दिया गया विधायकों का समर्थन पत्र भी मांगा है.
Supreme Court says, appropriate orders to be passed tomorrow. https://t.co/TWAdJVI4NI
— ANI (@ANI) November 24, 2019
इसके पहले के घटनाक्रम पर एक नजर
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई का समय 11ः30 तय किया गया था. इससे पहले एनसीपी ने 49 से 50 विधायकों के समर्थन का दावा किया. ठीक इसके बाद नसीपी विधायक दिलीप वालसे पाटिल महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार से मुलाकात करने के लिए उनके आवास पर पहुंचे थे. अजीत पवार ने भी शनिवार को ही शपथ ली है. शरद पवार ने इसे उनका निजी फैसला बताया था. इस कठिन समय में हर पार्टी को अपने विधायकों के टूटने की चिंता सता रही थी. इससे बचने के लिए कांग्रेस ने विधायकों को मुंबई में अंधेरी स्थित जे डब्ल्यू मेरियट होटल में रखा गया है. वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में भाजपा की तरफ से महाराष्ट्र के राजनीतिक ड्रामे पर सुनवाई की तैयारी में जुट गए.
अजीत को मनाने की रही कोशिश
इसी दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात करने के लिए उनके आवास पर पहुंचे. दूसरी तरफ बहन सुप्रिया सुले ने अजित पवार के भाई श्रीनिवास पवार से बात करके उनसे मामला सुलझाने की अपील की. सुप्रिया सुले पहले भी अपने भाई से परिवार नहीं छोड़ने की भावुक अपील कर चुकी थीं.
पक्ष-विपक्ष ने चुने प्रतिनिधि कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में विपक्ष की तरफ से प्रतिनिधित्व किया.
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले का बचाव किया. सुबह 11ः17 बजे तक यह निर्धारित हो चुका था.
राज्यपाल ने दिया था 30 नवंबर तक का समय
कांग्रेस शिवसेना और एनसीपी 24 घंटे में बहुमत साबित करवाना चाहते हैं. लेकिन राज्यपाल ने 30 नवंबर तक का समय फडणवीस को दिया था. ऐसे में दलों को अपने विधायक टूटने का खतरा सता रहा था. इस पूरे प्रकरण की सुनवाई जस्टिस रमन्ना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना ने की. 11ः22 पर सभी दलों के वकील सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे.
इसी बीच भाजपा नेता आशीष शेळार ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि जो राजनीतिक दल 10 दिनों में कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तय नहीं कर पाए. उनके विधायक 10 मिनट में कैसे राज्यपाल के सामने परेड के लिए तैयार हो जाएंगे.
Ashish Shelar, BJP: How can those, who could not decide their Common Minimum Programme in last 10 days, parade MLAs before the Governor in 10 minutes? #Maharashtra https://t.co/MGG7JupO0S
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11ः26 पर चव्हाण बोले, हमारे पास बहुमत
इस बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की मुलाकात खत्म हो गई थी. बैठक के बाद चव्हाण ने बताया कि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के पास बहुमत साबित करने की पर्याप्त संख्या है. पवार साहब से मुलाकात में यह बात तय हो गई है. कांग्रेस के सभी 44 विधायकों को सुरक्षित स्थान पर रखा गया है. 11ः32 बजे सभी दलों के प्रतिनिधि कोर्ट में मौजूद थे. महाराष्ट्र भाजपा की तरफ से मुकुल रोहतगी पार्टी का पक्ष रखा. महाराष्ट्र के राज्यपाल का पक्ष राज्य के अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने रखा.
केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता ने केंद्र का पक्ष प्रस्तुत किया. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस का पक्ष रखने के लिए अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहे.
Ashok Chavan, Congress: Shiv Sena-NCP-Congress have the number. Many MLAs who were led astray have come back. Rest of them will also come back. Our all 44 MLAs are safe at the right place. We need not worry about anything. #Maharashtra https://t.co/8PXhH7OjzW
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कपिल सिब्बल ने माफी मांगी
इसके बाद 11ः30 बजे तीनों न्यायधीश भी कोर्ट में पहुंचे. कपिल सिब्बल ने रविवार के दिन उन्हें अदालत में बुलाने के लिए माफी मांगी. इसके बाद सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने बहुमत का दावा किया. सिब्बल ने कहा कि महाराष्ट्र में बहुमत साबित करने के लिए 145 विधायकों की जरूरत है और उतने विधायक इस गठबंधन के पास हैं. कपिल सिब्बल ने अदालत के सामने कहा कि राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला मनमाना था...सिब्बल ने कहा कि अगर भाजपा के पास बहुमत है तो उसे आज ही साबित करें, इस पर जस्टिस भूषण ने कहा कि अगर राज्यपाल आश्वस्त हों तो वह किसी को भी सरकार बनाने का न्यौता दे सकते हैं. सिब्बल ने दोबारा फ्लोर टेस्ट की मांग दोहराई.
Kapil Sibal in Supreme Court, for Shiv Sena: The majority is 145 seats in the state. Pre-poll alliance comes first. The pre poll alliance broke down. Now, we are relying on post-poll alliance. #Maharashtra https://t.co/KGzCmpoMZJ
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सिंघवी ने पूछा- सीएम की शपथ का आधार क्या है
सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल से पूछा- क्या राज्यपाल को विधायकों के समर्थन की चिट्ठी सौंपी गई. सिब्बल ने जवाब दिया- इस बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है. सिब्बल ने अदालत के सामने कर्नाटक का हवाला दिया. 18 मिनट बाद जस्टिस रमन्ना ने महाराष्ट्र के अटॉर्नी जनरल से राज्यपाल का पक्ष रखने के लिए कहा. सुनवाई में कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति शासन हटाकर अचानक शपथ ग्रहण कराया गया. इस पर स्टेट अटॉर्नी जनरल ने कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक मुश्किल आई थी तो यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में उठाया जाना चाहिए था.
इसके बाद अपना पक्ष रखते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल रातों रात सरकार बनाने का फैसला कैसे ले सकते हैं. सिंघवी ने कहा कि सीएम की शपथ का आधार क्या है.
सॉलिसीटर जनरल ने दी अहम दलील
आधे घंटे की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल पांच बार फ्लोर टेस्ट की मांग दोहरा चुके थे. इसके बाज भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि- महाराष्ट्र के राजनीतिक विवाद पर सुनवाई आज किए जाने की जरूरत ही नहीं थी. अभिषेक मनु सिंघवी ने दोबारा कहा कि रातों रात राज्यपाल कैसे फैसला ले सकते हैं. क्या राज्यपाल ने बहुमत की चिट्ठी की जांच कराई थी. दोपहर 12ः06 बजे केन्द्र सरकार के सॉलिसीटर जनरल ने दलील दी कि नए गठबंधन को सरकार बनाने का अधिकार ही नहीं है, इसलिए अदालत को याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार ही नहीं करनी चाहिए. उन्होंने अदालत से इस मामले पर विचार नहीं करने की अपील की. इसके बाद सिंघवी ने कहा कि अजित पवार एनसीपी विधायक दल के नेता नहीं रहे.
सिंघवी-सिब्बल ने 6वीं बार फ्लोर टेस्ट की मांग उठाई
सॉलिसीटर जनरल की बात पर कोर्ट विचार कर ही रही थी कि सिंघवी-सिब्बल ने अदालत में 6वीं बार फ्लोर टेस्ट की मांग की. उन्होंने कर्नाटक की तरह तुरंत मामले पर फैसला देने की अपील की, लेकिन भाजपा की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने स्पष्ट विरोध करते हुए मांग रखी कि बिना दूसरे पक्ष को सुने फैसला नहीं दिया जाए.
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बहुमत तो साबित करना ही पड़ेगाः कोर्ट
महाराष्ट्र भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा- राज्यपाल का फैसला बदला नहीं जा सकता. राज्यपाल अदालत के प्रति उत्तरदायी नहीं हैं. राज्यपाल के आदेश की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है.
राज्यपाल अपने विवेक से फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं. भाजपा वकील की इस बात पर जस्टिस रमन्ना ने अदालत में कहा. मांग की कोई सीमा नहीं होती. हमलोग कुछ भी मांग लेते हैं. राज्यपाल किसी को अचानक नियुक्त नहीं कर सकते, सदन में बहुमत साबित करना ही पड़ेगा. हर प्रक्रिया के लिए नियम तय हैं.
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कोर्ट ने जारी किया नोटिस
भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी ने प्रतिवादी पक्ष के लिए नोटिस जारी करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि केस बेहद अहम है इसके लिए समय दिया जाना चाहिए. इसके बाद अदालत ने मामले में कल भी सुनवाई के संकेत दे दिए. दोपहर 12ः24 बजे तक कोर्ट में सुनवाई जारी थी. इसके दो मिनट बाद (12ः26) सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया. भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो से तीन दिनों का समय मांगा है. भाजपा समय लेना चाहती है लेकिन कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना के वकील सुप्रीम कोर्ट से जल्दी से जल्दी समय लेने के पक्ष में थे.
SC issues notice to Centre, Maharashtra Govt, Devendra Fadnavis&Ajit Pawar on Congress-NCP-Shiv Sena's plea. We request Solicitor General Tushar Mehta to produce relevant documents from Guv’s letter for inviting BJP to form govt & letter of support of MLAs by 10.30 am tomorrow. pic.twitter.com/Rt4LHAn0J0
— ANI (@ANI) November 24, 2019
कांग्रेस की मांग टाल दी गई
इसके बाद देवेंद्र फडणवीस को 22 घंटे की राहत मिल गई. भाजपा वकील मुकुल रोहतगी का प्रयास सफल रहा. कांग्रेस की तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने की मांग खारिज कर दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता को कहा कि राज्यपाल को विधायकों के समर्थन की जो चिट्ठी सौंपी है उसे कल अदालत के पटल पर रखें.
इससे पहले कोर्ट ने केन्द्र सरकार, राज्य, देवेन्द्र फडणवीस और अजित पवार के लिए नोटिस जारी किया. उनसे जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है.
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