पटना: बिहार में 2015 का विधानसभा चुनाव जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने राजद (RJD) और कांग्रेस के साथ लड़ा था. इसके बाद नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पाला बदल लिया था और वे NDA में शामिल हो गए थे. 2017 से बिहार में नीतीश कुमार BJP और LJP की मदद से सरकार चला रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP ने JDU के लिए बड़ा दिल दिखाते हुए 5 सीटें छोड़ दी थी और अब यही बड़ा दिल JDU को भी दिखाना होगा.


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LJP और JDU में बढ़ीं दूरियां


विधानसभा चुनाव के ठीक मुहाने पर खड़े बिहार में JDU और LJP की लड़ाई पूरे NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. Lok Janshakti Party (LJP) अध्यक्ष चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के लिए मुश्किलें खड़ी कर रखी हैं. भाजपा दोनों दलों में एकजुटता बढाने पर जोर दे रही है ताकि सबकुछ पहले की तरह सामान्य हो जाये.  हालांकि बीजेपी-जेडीयू के बीच भी सीट बंटवारे को लेकर सबकुछ सामान्य नहीं है.


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53 विधानसभा सीटों पर फंसा पेंच


आपको बता दें कि पटना से लेकर नई दिल्ली तक सीट बंटवारे पर BJP और JDU  मंथन कर रहे हैं. राज्य की चार दर्जन से ज्यादा (53) ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जिस पर दोनों दलों के बीच तकरार है. दोनों ही दल उस पर अपना दावा ठोक रहे हैं. ये वो सीटें हैं जिस पर 2015 में बीजेपी और जेडीयू आमने सामने थी.


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लोकसभा चुनाव की तर्ज पर विधानसभा सीटों का बंटवारा


आपको बता दें कि भाजपा की स्थानीय इकाइयों से लेकर दिल्ली तक सभी शीर्ष नेता यही चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा भी लोकसभा चुनाव की तर्ज पर हो. पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गठबंधन की खातिर अपनी पांच सीटिंग सीटें जेडीयू के लिए छोड़कर बड़ा दिल दिखाया था. अब बीजेपी जेडीयू से इसी तरह की उम्मीद विधान सभा चुनावों में कर रही है.


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