तिरुवनंतपुरमः पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनावों के तहत BJP पं. बंगाल (west bengal) और असम (Assam) में तो चुनावी बिगुल फूंक ही चुकी है, लेकिन अब उसकी निगाहें दक्षिण विजय पर हैं.
केरल (Kerala) और तमिलनाडु (Tamilnadu) में 6 अप्रैल को होने वाली वोटिंग से पहले पीएम मोदी शुक्रवार को ताबड़तोड़ कई रैलियां-जनसभा और दौरे कर रहे हैं, जिसकी शुरुआत उन्होंने मीनाक्षी मंदिर में दर्शन से शुरू कर दी है.
पथनमथिट्टा में पीएम मोदी
अब इसी सिलसिले में दोपहर बाद वह केरल (Kerala) भी पहुंचेंगे, जहां पथनमथिट्टा (Pathnamthitt) में उनका दौरा होगा. पथनमथिट्टा (Pathnamthitt) का नाम लेकर जेहन पर जोर डालिए तो यह नाम बीते कुछ सालों में काफी सुनाई दिया है.
नहीं याद आया तो भगवान अयप्पन को याद कीजिए तो याद आएगा सबरीमला (Sabarimala).
हिंदू समुदाय के बीच बहुत ही मान्य यह मंदिर महिलाओं के प्रवेश की मांग वाले अदालती मामले के चलते काफी सुर्खियों में रहा है.
कोन्नी विधानसभा सीट है हाई प्रोफाइल
इस बार पथनमथिट्टा (Pathnamthitt) जिले में कोन्नी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार अभियान के दौरान सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और धर्म की रक्षा का मुद्दा चर्चा का केंद्र बना हुआ है.
सत्तासीन LDF ने सबरीमला (Sabarimala) को चुनावी मुद्दा न बनाए जाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
कोन्नी विधानसभा से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन इस सीट पर उम्मीदवार हैं. ऐसे में सबरीमला मंदिर मुद्दा चरम पर है. पीएम मोदी (PM Modi) का पथनमथिट्टा (Pathnamthitt) जाना इस बात की ओर इशारा है कि 6 अप्रैल से पहले सबरीमला (Sabarimala) का मुद्दा जोर-शोर से जनता के जेहन में बैठ जाएगा.
ईसाई लोगों के लिए भी धर्मस्थल
हालांकि अगर पथनमथिट्टा को सिर्फ हिंदू तीर्थ समझ लिया जाए तो यह एक बड़ी भूल होगी. चुनावी लिहाज से अलग यह स्थल धार्मिक और सांस्कृतिक मामले में केरल में रहने वालों का पूरा साझीदार है क्योंकि राज्य में ईसाई जनसंख्या का प्रतिशत अधिक है.
भारत की जनगणना 2011 के अनुसार पठानमथिट्टा जिले की जनसंख्या 11,97,412 (11.97 लाख) थी. जिनमें लगभग समान रूप से हिंदू और ईसाई परंपरा को मानने वाले लोग हैं.
यहां प्रसिद्ध है मार थोमा चर्च
इसमें भी धार्मिक दृष्टि से पथनमथिट्टा (Pathnamthitt) का दूसरा आकर्षण ईसाई धर्म स्थल है, जिसे मार थोमा चर्च कहा जाता है. यहां एक ईसाई मिशनरी संस्था विंग थोम इवेंजलिस्टिक एसोसिएशन की ओर से एशिया का सबसे बड़ा ईसाई सम्मेलन आयोजित किया जाता है.
इस सम्मेलन को मैरामोन कन्वेंशन कहते हैं. जिसमें शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में विश्व भर से ईसाई समुदाय के लोग शामिल होते हैं. पंपा नदी के तट पर होने वाला यह सम्मेलन सालाना तौर पर होता है और हर बार यादगार बनता है.
अन्य कई ऐतिहासिक चर्चों को मिली है जगह
इसके अलावा प्रसिद्ध सेंट पीटर और सेंट पॉल चर्च, परुमाला सेंट ग्रेगोरियोस की कब्र के लिए प्रसिद्ध है. 'सेंट जॉर्ज ऑर्थोडॉक्स चर्च, मायलापरा' भी है.
इसे भी धार्मिक स्थलों में गिना जाता है. सेंट मैरी ऑर्थोडॉक्स चर्च, कललोपर में है. वहीं मक्कमकुन्नु सेंट स्टीफन कैथेड्रल चर्च भी यहां है.
यह चर्च मक्कमकुन्नु कन्वेंशन के लिए प्रसिद्ध है. यह पठानमथिट्टा टाउन क्षेत्र का पहला चर्च माना जाता है और सदियों पुराना इतिहास समेटे हुए है.
पीएम मोदी का आना इसलिए भी खास
पथनमथिट्टा (Pathnamthitt) में पीएम मोदी (PM Modi) का आना इसलिए भी खास है क्योंकि अभी हाल ही में जब वह पलक्कड़ में जनसभा को संबोधित कर रहे थे तब उन्होंने बाइबिल के एक किरदार जूडास का जिक्र किया था.
जूडास वह किरदार है जिसने चांदी के सिक्कों के लालच में यीशू मसीह की पहचान विरोधियों को कराई थी.
यहां पर हैं रामायण काल के स्थल
सांस्कृतिक और पौराणिक लिहाज पथनमथिट्टा (Pathnamthitt) पौराणिक तीर्थ स्थल भी है. रामायण काल में जिस पंपा तट पर भक्तिन शबरी का आश्रम था वह पंपा सरोवर आज की पंपा नदी ही कहलाता है. प्राचीन वर्णित ऋष्यमूक पर्वत का रास्ता भी यहां से होकर जाता है.
सबरीमला की पहाड़ी शबरी के नाम से मिलती-जुलती है.
इसके अलावा भी कई हिंदू मंदिर हैं जिनके दर्शन करने के लिए साल भर तक श्रद्धालुओं का तांता पथनमथिट्टा (Pathnamthitt) में लगा रहता है.
इनमें अरनमुला पार्थसारथी मंदिर, अनिककट्टिल्ममक्षेष्ठम-शिवपार्वती मंदिर, त्रिकालंजूर श्रीमाधव मंदिर, वैपुर महादेव मंदिर, मलयालप्पुझा देवी मंदिर भी यहीं हैं.
गलवान हमले के बाद चर्चा में आया था चीनी मक्कू
यहां के एक गांव का नाम पिछले दिनों भी काफी चर्चा में आया था. दरअसल पथनमथिट्टा (Pathnamthitt) में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से झड़प के बाद यहां के लोगों में काफी गुस्सा था. इस गुस्से की वजह थे पहले पीएम रहे पं. जवाहर लाल नेहरू.
केरल के पथनमथिट्टा (Pathnamthitt) जिले के कोन्नी गांव में चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नेहरू ने एक जंक्शन को चीन जंक्शन बुलाया था, तब से उस जगह का नाम चीनी मुक्कू पड़ गया.
गांव के लोगों की मांग थी, इस नाम को तुरंत बदल जाए. यह साल 1952 की बात है. यहां तब पीएम रहे नेहरू इस गांव के पास जीप से गुजर रहे थे. कम्यूनिस्ट बहुल एरिया के कारण यहां बहुत से लाल झंडे लगे थे, जिसके कारण उन्होंने पूछा क्या है चीनी जंक्शन है.
पीएम नेहरू के ऐसा कहने के बाद ही यह गांव और स्टेशन चीनी मक्कू कहलाने लगा. लोगों ने इस नाम को बदले जाने की मांग की थी.
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