मुबंई: महाराष्ट्र की सियासत में गजब का हेर-फेर देखने को मिल रहा है. कभी शिवसेना भाजपा के खिलाफत में बोलने से नहीं चूकती, तो कभी इस रिश्तों में खटास का पूरा ठिकरा वो भाजपा के मत्थे मढ़ देती है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले का सरकार बनाने के खिलाफ बताया.
इस दौरान उन्होंने कहा कि "गवर्नर ने भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया और उन्हें 48 घंटे तक का मौका दिया गया. लेकिन जब हमारी बारी आई तो पहले हमारे 48 घंटे की मांग को खारिज कर दिया और अब 24 घंटे से पहले ही प्रदेश में प्रेसिडेंट रूल को लागू कर दिया, जो सरासर सही नहीं."
मीडिया के सामने बैकफुट पर जाते दिखे उद्धव
उद्धव ठाकरे ने प्रेस वार्ता में भाजपा के साथ रिश्तों पर भी अपनी बात रखी. जब उनसे पूछा गया कि क्या भाजपा के साथ सरकार बनाने का रास्ता अब बिल्कुल बंद हो चुका है? इस सवाल का जवाब देते हुए उद्धव ठाकरे जरा तिलमिलाए और कहा कि आप इतनी जल्दी में क्यों हैं. यह राजनीति है. अभी 6 महीने के लिए ही राष्ट्रपति शासन लगाया गया है न. और वैसे भी मैंने भाजपा के साथ विकल्पों और रास्तों को बंद नहीं किया. भाजपा ने खुद किया है.
#WATCH Mumbai: Shiv Sena chief Uddhav Thackeray reacts to a question 'Is the BJP option completely finished?'. Says, "Why are you in such a hurry? It's politics. 6 months time has been given (President's Rule). I didn't finish the BJP option, it was BJP itself which did that..." pic.twitter.com/3pew41hMuF
— ANI (@ANI) November 12, 2019
इसके बाद उद्धव ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सरकार बनाने के लिेए हम प्रयासरत हैं. हमारी बात एनसीपी और कांग्रेस दोनों के साथ ही चल रही है. यानी उद्धव इस बात को स्वीकार रहे हैं, कि शिवसेना की साथी अब एनसीपी और कांग्रेस ही है.
शिवसेना प्रमुख ने अपने आवास पर ही प्रेस कॉन्फ्रेंस रखा. वहां उनके साथ पुत्र आदित्य ठाकरे जो वर्ली से विधायक हैं, वह भी थे. उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमने एनसीपी और कांग्रेस से सरकार बनाने के लिए समर्थन की मांग की थी. अभी उस मामले पर हमारी बातचीत चल ही रही थी. उसके लिए हमें कम से कम 48 घंटे चाहिए थे, जो राज्यपाल ने देने से इंकार कर दिया.
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भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने और पार्टी से एकमात्र केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत की बात करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा-शिवसेना का रिश्ता सालों पुराना रहा है, लेकिन बात न बन पाने की दशा में हमने सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस के साथ जाने का फैसला लिया. लेकिन अब भी इस पर बातचीत अधर में ही लटकी हुई है. इसी बीच उन्होंने कहा कि वे पार्टी नेता अरविंद सावंत की तारीफ करते हैं कि उन्होंने सत्ता से ज्यादा पार्टी के प्रति अपनी वफादारी साबित की, केंद्रीय मंत्री पद छोड़कर.