मुंबई: विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बंगले पर गहमा गहमी बढ़ गई है. क्योंकि नई सरकार के गठन में उनकी भूमिका सबसे अहम है.
शिवसेना-भाजपा दोनों ने लगाई हाजिरी
सोमवार को पहले तो शिवसेना के दिवाकर राउते गवर्नर से मुलाकात करने पहुंचे. उसके ठीक बाद मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस भी वहां आए. हालांकि दोनों दलों ने इसे दिवाली के त्योहार के बाद होने वाली औपचारिक मुलाकात करा दिया. लेकिन अनौपचारिक रुप से महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन पर ही चर्चा हुई. आज की इस मुलाकात से यह स्पष्ट हो जाता है कि शिवसेना मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा से मुक्त नही हो पा रही है.
Mumbai: Maharashtra CM Devendra Fadnavis met Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari at Raj Bhavan today. https://t.co/8O4ip5NhOr pic.twitter.com/QjLQT3jT5r
— ANI (@ANI) October 28, 2019
निर्दलीयों को साध रही है भाजपा
शिवसेना की तरफ से समर्थन का पेंच फंसने के बाद भाजपा ने निर्दलीय विधायकों को साधना शुरु कर दिया है. भाजपा की महाराष्ट्र इकाई की अध्यक्ष श्वेता शालिनी ने सोमवार को बताया कि उन्हें 15 निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है. ये वही निर्दलीय विधायक हैं जो भाजपा में रहे थे, लेकिन गठबंधन की वजह से टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते. भाजपा के पास 2014 की तरह अब भी 122 विधायकों का समर्थन हासिल है.
गौरतलब है कि मीरा भायंदर सीट से निर्दलीय विधायक गीता जैन, बरसी सीट से राजेंद्र राउत, अमरावती जिले की बडनेरा सीट से जीतने वाले रवि राणा ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी है. लेकिन राज्य में सरकार बनाने के लिए 145 के जादुई आंकड़े की जरुरत है. भाजपा ने इस बार 105 सीटें जीती हैं. भाजपा प्रवक्ता ने सोमवार को यह स्पष्ट कर दिया कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री भाजपा कोटे से ही बनेगा.
अपना मुख्यमंत्री चाहती है शिवसेना
शिवसेना के मन में आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी दिलाने की चाहत है. आज तक ठाकरे परिवार से किसी भी शख्स ने कोई चुनाव नहीं लड़ा. और अब जब आदित्य ठाकरे विधानसभा पहुंच चुके हैं तो उनके पिता उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन कराने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं.
उद्धव ठाकरे फिफ्टी फिफ्टी फार्मूले के तहत अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाने पर तुले हुए हैं. उन्होंने इस मामले में भाजपा से लिखित आश्वासन मांगा है. साथ ही उद्धव ढाई ढाई साल के फॉर्मूले के तहत पहले शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं. लेकिन मुश्किल ये है कि शिवसेना के पास महज 56 विधायक हैं. ऐसे में अगर भाजपा शिवसेना का साथ छोड़ देती है तो उसके पास विपक्ष में बैठने के सिवा कोई चारा नहीं बचेगा.
Mumbai: Shiv Sena leader Diwakar Raote arrives at Raj Bhavan to meet Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari pic.twitter.com/kwj6dWlNNA
— ANI (@ANI) October 28, 2019
शिवसेना को समझाने के लिए अठावले आए आगे
केन्द्रीय मंत्री औऱ महाराष्ट्र की राजनीति में अच्छी पकड़ रखने वाले केन्द्रीय मंत्री रामदास अठावले ने शिवसेना को सलाह दी है कि उसे आदित्य ठाकरे के लिए उप-मुख्यमंत्री का पद स्वीकार कर लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि ‘मेरा फॉर्मूला है कि भाजपा और शिवसेना साथ आएं, क्योंकि जनता का जनादेश उनके साथ है. निश्चित रूप से, एनडीए को उतनी सीटें नहीं मिलीं, जितनी कि अपेक्षा की जा रही थी, लेकिन बहुमत है. मुख्यमंत्री पद का दावा निश्चित रूप से भाजपा का है. शिवसेना का कहना है कि उन्हें केवल 124 सीटें दी गई थीं. उन्हें केंद्र में मंत्री पद भी दिया जा सकता था. मैं दोनों पक्षों से बात करूंगा और बातचीत के जरिए इस मुद्दे को हल करने के लिए कहूंगा. मुझे उम्मीद है कि अगले चार-पांच दिनों में फैसला हो जाएगा.’’