नए अध्यक्ष के चुनाव से पहले दिल्ली कांग्रेस में घमासान

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए ये दौर बड़ा बुरा है जहां एक ओर पार्टी के अंदर कोई भी फैसले लिए जाने से पहले ही वे विवादों की भेंट चढ़ जाते हैं या पार्टी के अंदर की आंतरिक कलह सतह पर आ कर परेशान करने लग जाती है. दिल्ली में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं. ऐसे में अंदरुनी विवाद पार्टी को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं.   

Last Updated : Oct 11, 2019, 05:26 PM IST
    • दिल्ली कांग्रेस में मारामारी
    • होने वाला है प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव
    • चिट्ठी लिखकर कांग्रेसी लगा रहे हैं एक दूसरे पर आरोप
नए अध्यक्ष के चुनाव से पहले दिल्ली कांग्रेस में घमासान

नई दिल्ली: शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नेतृत्व के स्तर पर कांग्रेस एक बड़ा फैसला लेने ही वाली है, लेकिन इसके पहले ही पार्टी में सिर फुटव्वल शुरु हो गई है. अभी खुर्शीद-खड़गे और सिंधिया-कमलनाथ के मामले पर उलझी कांग्रेस की मुसीबत खत्म ही नहीं हुई थी कि इस बार दिल्ली में नेतृत्व का सवाल विवादों में फंस गया है. दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के पहले ही कांग्रेस नेताओं में टकराव उसे बैकफुट पर न ला दे.

दरअसल, कांग्रेस आलाकमान आज दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान करने वाली है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली में 2020 में विधानसभा चुनाव होने वाला है जिसको ले कर तमाम पार्टियां तैयारियों में लगी हुई हैं. शीला दीक्षित की मृत्यु के बाद दिल्ली में कांग्रेस की साख को भी झटका लगा है. पार्टी पहले ही कमजोर अवस्था में थी. अब स्वर्गीय शीला दीक्षित के सुपुत्र संदीप दीक्षित के एक पत्र ने नया बखेड़ा शुरू कर दिया है. 

पहले विस्तार से समझिए पूरा मामला
दिल्ली में शीला दीक्षित की गैर-मौजूदगी के बीच कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव किया जाना था. इस कड़ी में शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित, कांग्रेस के अजय माकन और कीर्ति आजाद का नाम सामने आ रहा है. संदीप दीक्षित 15वीं लोकसभा के दौरान सांसद रह चुके हैं. वहीं अजय माकन दिल्ली में कांग्रेस के रसूखदार नेताओं में से हैं जिसे दिल्ली के चुनावी फैक्टरों का अनुभव भी है. 

बिहार-यूपी गणित के हिसाब पर फिट कीर्ति 

इस कड़ी में कीर्ति आजाद का नाम सबके लिए हैरतअंगेज है. कीर्ति आजाद बिहार के दरभंगा सीट से भाजपा की ओर से सांसद रह चुके हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के दिवंगत अरूण जेटली से टकराव के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए थे. दिल्ली में बिहार और यूपी के लोगों की जनसंख्या को साधने के लिहाज से और केजरीवाल के द्वारा बिहारियों पर दिए गए बयान के बाद कांग्रेस उसे कैश करने की योजना बना रही है. और क्योंकि भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी भी बिहार से हैं तो कांग्रेस भी उस गणित को साधने में लगी हुई है. 

पीसी की वजह से हुई शीला दीक्षित की मौत
लेकिन कांग्रेस के इस फैसले से ठीक पहले ही संदीप दीक्षित ने दिल्ली के कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको पर शीला दीक्षित की मौत का आरोप गढ़ दबाव बनाने की कोशिश की. संदीप दीक्षित ने कहा कि पीसी चाको के बार-बार दबाव बनाने के कारण शीला दीक्षित पर इसका मानसिक प्रभाव पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई. 

संदीप को इस बात को समझने में लग गए तीन महीने
अब दिलचस्प बात ये है कि आखिर 20 जुलाई को शीला दीक्षित की मृत्यु के तकरीबन तीन महीने बाद संदीप दीक्षित को आज क्या सूझी कि उन्होंने पीसी चाको को शीला दीक्षित की मौत का कारण बताया. इस नोंक-झोंक के दो पहलू फिलहाल नजर आते हैं. पहला कि पीसी चाको से संदीप की खटपट उन्हें दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष के रेस से दूर कर चुकी है या दूसरा कि चाको-संदीप के बीच का विवाद का असल कारण कुछ और ही है. अब इसका क्या परिणाम विधानसभा चुनाव पर पड़ता है, यह तो बाद में पता चलेगा. 

 

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