नई दिल्लीः महाराष्ट्र में 26 दिन पहले भाजपा-शिवसेना जिस राह से अलग हुए थे, शिवसेना आज भी वहीं खड़ी दिखाई दे रही है. सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि अगले सीएम के तौर पर उद्धव ठाकरे का नाम तय है और वह एनसीपी-कांग्रेस के सहयोग, समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बनाएंगे. एक लिहाज से देखा जाए तो यह शिवसेना के लिए कोरी जीत है, टीस भरी हार है. क्योंकि लाख चाहने के बाद भी वह अपनी महत्वकांक्षा को पूरा नहीं कर पाए. यानी कि आदित्य ठाकरे के सीएम नहीं बना पाए. अगर सूत्रों की हवाले से आई खबर अंतिम सत्य है तो यह जरूर पहली बार हो रहा है कि महाराष्ट्र सीएम की कुर्सी पर कोई ठाकरे बैठने जा रहा है.
इसलिए भाजपा हुई थी अलग.
24 अक्टूबर को महाराष्ट्र में जो चुनाव परिणाम आए थे उसमें भाजपा बहुमत के आंकड़े को तो नहीं छू सकी थी, लेकिन 105 वोट लेकर जीतने वाली पार्टी बनी थी. शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. बहुमत का आंकड़ा 146 था और भाजपा-शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था तो यह माना जा रहा था कि महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना सरकार बनाएंगी और लगभग तय था कि फडणवीस एक बार और सीएम बनेंगे. लेकिन यहीं से शुरुआत हुई अलग राहों की.
उद्धव अपने बेटे आदित्य ठाकरे को सीएम बनाने पर अड़े थे और ढाई-ढाई साल का मुख्यमंत्री पद मांग रहे थे. इस पर भाजपा से सहमति नहीं बन पाई और कई दौर की बैठक, बातों, मुलाकातों के बाद भाजपा ने खुद को सीएम पद की कुर्सी दौड़ से ही अलग कर लिया.
फिर शिवसेना पहुंची एनसीपी के पास
भाजपा से बात बिगड़ने के बाद शिवसेना दौड़ी पहुंची एनसीपी के पास. यहां भी उद्धव ने वही आदित्य राग अलापना शुरू किया. हालांकि एनसीपी ने तुरंत अपने पत्ते तो नहीं खोले, लेकिन अपनी समझ में एक जबर काम किया. शरद पवार ने कहा कि अगर शिवसेना उनके पाले में आए तो पूरी तरह उनकी होकर, यानी कि उन्हें एनडीँए से अलग होना होगा. इसकी स्वीकृति के लिए उनके केंद्र सरकार में मंत्री अपने पदों से इस्तीफा दें. इसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल अरविंद सावंत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
हालांकि एनडीए से अलगाव का अभी औपचारिक एलान नहीं हुआ है, लेकिन सोमवार से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान शिवसेना की सीटों की कतार बदली हुई दिखीं. इस अलगाव की हामी भरने के बाद शिवसेना ने फिर दोहराया, तो हमारा आदित्य सीएम बनेगा ? एनसीपी ने दो टूक कहा- ना, नो मीन्स नो.
पीएम मोदी और पवार ने मिलकर खिचड़ी पकाई, कांग्रेस घबराई
कांग्रेस ने भी अपना रुख अख्तियार किया
अभी तो जो कांग्रेस हाशिए पर थी वह पैराग्राफ का फर्स्ट सेंटेन्स बनकर आ गई. तय हुआ कि कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना मिलकर सरकार बनाएंगी. इस बार शिवसेना अकेली पड़ी थी. एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन में थीं तो दोनों का सम्मिलित पलड़ा भारी था. अब सीएम पद के तीन दावेदार. कांग्रेस से पृथ्वीराज च्वहाण, एनसीपी से अजीत पंवार और शिवसेना से उद्धव के आदित्य. अब यहां कांग्रेस ने उद्धव से कहा कि कट्टर हिंदुत्व का रुख छोड़कर सॉफ्ट हिंदुत्व का पहलू अपनाओ, फिर बात करेंगे. यह बात भी लगभग मानी गई.
इसके बाद जब कॉमन मिनिमम प्रोग्रॉम बनाने की बात आई तो एनसीपी-कांग्रेस दोनों ही आदित्य के नाम पर नहीं माने. कारण बस इतना कि दोनों ही पार्टियों में वरिष्ठ नेता हैं और मजबूत स्थिति में हैं. आदित्य अभी नए-नवेले हैं और तुरंत सीएम बनना किसी को पच नहीं रहा था. हालांकि उद्धव के सीएम बनने पर किसी को आपत्ति नहीं थी.
...इसीलिए जारी रहा गतिरोध
महाराष्ट्र का इतिहास रहा है कि वह चुनाव के तुरंत बाद बमुश्किल ही सरकार देख पाता है. इससे पहले भी 10 दिन 15 दिन बाद सरकार बनीं हैं. इस बार एतिहासिक तौर पर 25 दिनों का अंतराल हो गया. इसकी वजह यही रही है कि सब कुछ तय हो जाने के बाद भी सीएम के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही थी.
हालांकि अब आ रही खबरों को मुताबिक उद्धव ठाकरे ही सीएम बन सकते हैं. उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है. इसके साथ ही सबकुछ ठीक रहा तो शुक्रवार को सरकार बनाने की आधिकारिक घोषणा हो जाएगी.
एनसीपी-कांग्रेस साइलेंट मोड में, शिवसेना का भोंपू जारी
...लेकिन मजबूरी का नाम उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे की स्थिति अभी वही है कि आधी छोड़ सारी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे. संभावना है कि वह सीएम बनने तो जा रहे हैं, लेकिन वह मजबूत नहीं मजबूर सीएम होंगे. क्योंकि जिस जिद में उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ा वह जिद एनसीपी-कांग्रेस के साथ पूरी तो नहीं हुई,
उल्टे अपनी ताकत, अपनी पहचान और अपना जनाधार गंवाने की नौबत आ गई. कांग्रेस का साथ हमेशा से शिवसेना के लिए गले की फांस की तरह रहा है, लेकिन इस बार तो शिवसेना ने खुद अपना गला कांग्रेस के हाथों फंसवा दिया है. देखना है कि सरकार बनती है तो उसका क्या रुख रहता है. हालांकि कांग्रेस के संजय निरूपम इसे लंगड़ी सरकार बता चुके हैं.