'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' का नारा बुलंद कर रही कांग्रेस में कैसे दरकिनार हुईं कई महिला दिग्गज नेता?

टिकट बंटवारे में कांग्रेस ने महिला प्रत्याशियों की संख्या का विशेष खयाल रखा है. लेकिन ये जानना दिलचस्प है कि बीते करीब दो दशक के दौरान कांग्रेस के भीतर कई मजबूत महिला नेताओं को दरकिनार किया गया.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 16, 2022, 08:51 AM IST
  • केरल की राजनीति में कई ऐसी महिला नेता रही हैं जिन्होंने पार्टी का दामन छोड़ा
  • जया डार्ली, शाहिदा कमाल, शोभना जॉर्ज, गीता अशोक जैसी महिला नेता शामिल हैं
 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' का नारा बुलंद कर रही कांग्रेस में कैसे दरकिनार हुईं कई महिला दिग्गज नेता?

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' के नारे को पूरी ताकत से अपना चुनावी आधार बना रही है. पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी लगातार अपने भाषणों और रैलियों में महिला वोटर्स को लुभाने की कोशिश करती दिख रही हैं. टिकट बंटवारे में कांग्रेस ने महिला प्रत्याशियों की संख्या का विशेष खयाल रखा है. लेकिन ये जानना दिलचस्प है कि बीते करीब दो दशक के दौरान कांग्रेस के भीतर कई मजबूत महिला नेताओं को दरकिनार किया गया.  

मार्गरेट अल्वा
कर्नाटक की मार्गरेट अल्वा को कांग्रेस के कद्दावर महिला नेताओं में शुमार किया जाता था. पेशे से वकील मार्गरेट अल्वा तीन बार केंद्रीय मंत्री के पद पर रहीं. साल 2008 में कर्नाटक में टिकट बंटवारे को लेकर सोनिया गांधी से हुए विवाद के बाद मार्गरेट अल्वा को कई पार्टी पदों से हटा दिया गया था. हालांकि फिर बाद में अल्वा ने टॉप लीडरशिप के बाद अपने संबधों को बेहतर कर लिया था. इसके बाद उन्हें उत्तराखंड और राजस्थान जैसे राज्यों को गवर्नर बनाया गया. लेकिन कहा जाता है कि मार्गरेट अल्वा राजनीति की जिस ऊंचाई तक जा सकती थीं, वहां नहीं पहुंच सकीं. 

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प्रियंका चतुर्वेदी

करीब एक दशक तक देश के समाचार चैनलों पर कांग्रेस की आवाज बनी रहीं प्रियंका चतुर्वेदी ने बेहद दुखी होकर पार्टी को अलविदा कहा था. साल 2019 में प्रियंका चतुर्वेदी ने कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर बदसलूकी का आरोप लगाया था. जब उन कार्यकर्ताओं को पार्टी में वापस लिया गया तो प्रियंका ने शिवसेना का दामन थाम लिया था. उन्होंने तब कहा था कि मैंने अपने आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ी, महिला का सम्मान एक बड़ा मुद्दा है. प्रियंका इस वक्त शिवसेना की राज्यसभा सांसद हैं. 

रेणुका चौधरी
बीते साल कांग्रेस में स्थाई अध्यक्ष के पद को लेकर जी-23 नेताओं की तरफ से लिखे गए खत को लेकर खूब बवाल मचा था. इन नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री रेणुका चौधरी का भी नाम शामिल था. बताया जाता है कि इस खत में रेणुका चौधरी के हस्ताक्षर के कारण टॉप लीडरशिप उनसे खासा नाराज था. इसके अलावा साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के दौरान रेणुका चौधरी की हंसी का मामला भी सुर्खियों में रहा था. तब भी कांग्रेस लीडरशिप की रेणुका चौधरी से नाराजगी सामने आई थी. कभी कांग्रेस के टॉप नेताओं में शुमार रहीं रेणुका चौधरी इस वक्त पार्टी की रणनीति और उससे जुड़े मसलों से दूर दिखाई देती हैं. 

केरल में महिलाओं नेताओं पार्टी छोड़ने का ट्रेंड
दक्षिण भारतीय राज्य केरल की राजनीति में बीते दो दशकों के दौरान कई ऐसी महिला नेता रही हैं जिन्होंने पार्टी का दामन छोड़ा. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस लीडरशिप की तरफ वादे के बावजूद जब टिकट नहीं दिया गया तो कई महिला नेताओं ने पार्टी छोड़ दी. इनमें जया डार्ली, शाहिदा कमाल, शोभना जॉर्ज, गीता अशोकन, लतिका सुभाष और केसी रोजाकुट्टी जैसी महिला नेता शामिल हैं.

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