मुंबईः महाराष्ट्र में सरकार बनाने का मसले का अभी अंत होता नहीं दिख रहा है. करीब महीने भर से जारी इस प्रकरण पर प्रदेश के कद्दावर भाजपा नेता नितिन गडकरी की अब खास टिप्पणी आई है. वह अधिकतर मौकों पर अब तक खामोश ही रहे हैं, इसलिए उनका बोलना कई हद तक सार्थक ही लग रहा है. शुक्रवार को एक बातचीत में नितिन गडकरी ने कहा कि एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना का गठबंधन मौकापरस्ती का गठबंधन है. ऐसी सरकार टिकेगी नहीं. गडकरी के इस कथन में कहना कम और समझना अधिक वाली बात चरितार्थ हो रही है. उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई है कि दोनों ही कांग्रेस और शिवसेना की वैचारिक धाराएं बिल्कुल अलग हैं.
बोले गडकरी, इस गठबंधन में वैचारिक तालमेल नहीं
नितिन गडकरी महाराष्ट्र की राजनीति के माहिर खिलाड़ी रहे हैं. उन्होंने कहा कि वैचारिक तालमेल न होने के कारण यह गठबंधन टिकेगा नहीं. इसके आगे जोड़ा कि शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन न होना देश, विचारधारा, हिंदुत्व और महाराष्ट्र के लिए हानिकारक है.
इसे ऐसे समझा जाना चाहिए कि शिवसेना जिस विचारधारा पर चलती है, कांग्रेस उसका पूरी तरह से विरोध करती है. कांग्रेस जिस विचारधारा पर चलती है, उसका शिवसेना विरोध करती आई है. यहां तक की एनसीपी के विचार शिवसेना से बेहद अलग हैं. इसलिए इनका मिलना महाराष्ट्र में स्थिरता सरकार देने के लक्षण हैं ही नहीं.
#WATCH: Union Minister Nitin Gadkari says,"This (Shiv Sena-NCP-Congress) is an alliance of opportunism, they will not be able to give Maharashtra a stable Government." pic.twitter.com/C4VmSaxmnG
— ANI (@ANI) November 22, 2019
शिवसेना की छवि को धक्का तो लगा ही है
शिवसैनिक और भाजपा का लंबा अलायंस इसलिए भी रहा है क्योंकि वैचारिक आधार पर दोनों दल एक जैसी सोच रखते आए हैं. हिंदुत्व की प्रखर विचारधारा के तौर पर महाराष्ट्र का नाम सबसे आगे हैं. वहीं शिवसेना वीर शिवाजी और मराठा वीरों को अपना प्रेरक मानती है. भाजपा की हिंदुत्ववादी छवि और शिवसेना का हिंदुत्ववाद मिलकर एक हो जाते हैं. इसी आधार पर मराठा मानुष ने इस गठबंधन को वोट किया था.
अब जब शिवसेना अपने ही विरोधी यानी कि जिसके खिलाफ चुनाव लड़ा उन्हीं के साथ सरकार बना रही है तो मराठी मानुष इसे सीधे तौर पर धोखे की तरह देख रहे हैं. कांग्रेस की ओर से मिली कट्टर हिंदुत्व छोड़ने की शर्त से शिवसेना की छवि को चोट पहुंच रही है. नितिन गडकरी का बयान इसी ओर इशारा कर रहा है.
एनसीपी भी समझौते की शर्त पर ही साथ आई है
इस गठबंधन की शुरुआत एनसीपी की ही ओर से दी गई शर्त पर हुई है. शरद पवार ने शर्त रखी थी कि अगर शिवसेना साथ आना चाहती है तो पहले भाजपा के साथ अपने सभी संबंध खत्म करके आए. शिवसेना, एनडीए के साथ जुड़ी पार्टी है.
इसका सीधा मतलब था कि एनडीए से शिवसेना को अलग होना पड़ेगा. इसके लिए केंद्रिय मंत्रिमंडल से शिवसेना के मंत्री अरविंद सावंत ने इस्तीफा दे दिया. यानी कि साफ है कि अपनी छाप-तिलक सब मिटवा कर शिवसेना जिस पाले में जा खड़ी हुई है, वहां उसकी पहचान ही नहीं रही है.
आखिर ऐसी क्या बात कि देर रात शरद पवार से मिलने पहुंचे उद्धव ठाकरे?
इस गठबंधन के खिलाफ याचिका भी दायर हुई है
महाराष्ट्र में एनसीपी औैर कांग्रेस गठबंधन ने शिवसेना को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने के संभावित फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. महाराष्ट्र के एक शख्स ने इस संभावित तिकड़ी सरकार बनाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.
महाराष्ट्र निवासी एस आई सिंह ने चुनाव बाद एनसीपी-शिवेसना-कांग्रेस गठबंधन के खिलाफ याचिका दाखिल की है. इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि वह गवर्नर को निर्देश दें कि वह जनादेश के खिलाफ कांग्रेस और एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता न दें.
Petition filed in SC by a Maharashtra resident,SI Singh, against post poll alliance of NCP-Shiv Sena-Congress in Maharashtra.The petition sought a direction from SC to restrain Governor of Maharashtra from inviting Congress &NCP to form govt in the state against mandate of people pic.twitter.com/CKpuBEFtVz
— ANI (@ANI) November 22, 2019
ऐसे चलेगी महाराष्ट्र में सरकार, बनेगी सुपर कोआर्डिनेशन कमेटी