नई दिल्ली: भारत के संविधान के सम्मान में एक बड़ा दिन सेलिब्रेट किया जाता है जिसे सभी गणतंत्र दिवस रूप में जानते हैं. गणतंत्र दिवस की झांकियों की हमारी जिंदगी में खास जगह है. बचपन में सुबह उठकर टीवी पर पीएम स्पीच के बाद हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की झांकी देखना अपने आप में काफी दिलचस्प है. ऐसे में भारत की संस्कृति को संजोए बॉलीवुड से जुड़ी एक झांकी की चर्चा तो बनती ही है. दरअसल सिनेमा को ये सम्मान काफी देरी से दिया गया औऱ वो मौका भी बेहद खास था.


सिनेमा के 100 साल बेमिसाल


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भारतीय सिनेमा ने पूरी दुनिया में भारत के नाम का विस्तार किया. ऐसे में 2013 में एक भव्य झांकी निकाली गई जिसमें भारतीय सिनेमा के 100 सालों को सेलिब्रेट किया गया. इस झांकी को सूचना एवं प्रसार मंत्रालय द्वारा निकाला गया था. झांकी में इंडियन सिनेमा की जर्नी दिखाई गई थी. कुछ आइकॉनिक किरदारों को और फिल्मों के पोस्टर्स को झांकी पर सजाया गया था.



मयूर पांखी बना साथी


इस झांकी को एक माइथोलॉजिकल सफेद रंग के पंछी के ऊपर निकाला गया. ये पंछी कोई और नहीं बल्कि मयूर पांखी था. चांदी के रंग में रिजनल और हिंदी सिनेमा की ऐतिहासिक फिल्मों का नाम लिखा गया जो कि सिल्वर स्क्रीन को रिप्रेजेंट कर रहा था. यूटोपियन लव को दिखाने के अलावा ऐतिहासिक फिल्म 'मदर इंडिया' को भी इस झांकी में शामिल किया गया.


इरफान खान की आवाज


बॉलीवुड स्टार इरफान खान ने इस Tableaux को आवाज दी थी. ये इतिहास में पहली बार हुआ कि सिनेमा को झांकी में शामिल किया गया था. जूनियर आर्टिस्ट फिल्मों के कालजयी किरदारों की तरह तैयार होकर हाथ हिलाते हुए नजर आए. इसमें 'कुली', 'आवारा', 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' और 'गंगा जमुना' की भी एक झलक देखने को मिली. सिनेमा के लिए ये सबसे बड़ा तोहफा था. उसके बाद से कभी भी सिनेमा को ये अनूठा उपहार गणतंत्र दिवस पर नहीं मिल पाया.


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