Sushant की मौत को आत्महत्या बताने की जल्दबाजी क्यों थी? यहीं से पैदा हुआ हत्या का शक

सुशांत की मौत के रहस्य को छिपाने के लिए न जाने कितने गेमप्लान होते रहे. उसकी मौत को आत्महत्या का रूप देने की भरपूर कोशिश की गई. एक रहस्यमयी मौत को जबरन आत्महत्या बताने की जल्दबाजी क्यों हुई? यहीं से सुशांत की हत्या का शक पैदा हुआ था.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Jun 11, 2021, 09:04 PM IST
  • आत्महत्या साबित होने से पहले ही बता दिया सुसाइड
  • मौत को आत्महत्या बताने की क्यों थी जल्दबाजी?
Sushant की मौत को आत्महत्या बताने की जल्दबाजी क्यों थी? यहीं से पैदा हुआ हत्या का शक

सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) को दुनिया छोड़कर जाने की बहुत ज्यादा जल्दी थी, लेकिन इस सच से अब तक पर्दा नहीं उठ पाया है कि सुशांत ने क्या खुद मौत को गले लगाया या फिर किसी दरिंदे ने उसे मौत के घाट उतार दिया, या फिर किसी ने को सुशांत मरने के लिए मजबूर कर दिया.

यहीं से शुरू हुईं सुशांत के हत्या की अटकलें

सुशांत की रहस्यमयी मौत को लेकर अनगिनत बखेड़ा देखने को मिला, लेकिन इन सबके बीच एक बात जो थी वो ये कि सुशांत के मरते ही ये कहा जाने लगा कि उसने आत्महत्या की है. बिना सोचे समझे आधी रात में अस्पताल ने सुसाइड पर मुहर लगा दी.

उस वक्त के हालात देखकर ऐसा लगने लगा कि उसकी मौत का फायदा उठाने की होड़ मची हुई थी. क्या उसकी मौत की मार्केटिंग की गई? सुशांत की छवि को देखकर ये मानना आज भी मुश्किल लगता है कि वो आत्महत्या करने के बारे में सोच भी सकता होगा.., लेकिन इस दुनिया ने उसकी मौत के रहस्य से पर्दा उठाने के बजाय मौत पर सुसाइड का ठप्पा लगाने की इतनी जल्दबाजी दिखाने लगे.

लोग कहते हैं कि सुशांत की डेड बॉडी पंखे से लटकी मिली थी, हालांकि किसी ने भी सुशांत की डेड बॉडी को लटका हुआ नहीं देखा था. उसकी लाश को पंखे से किसने उतारा ये भी नहीं बताया गया. 

कोई इंसान जब आत्महत्या करने के लिए फांसी लगाता है तो गले में फंदा लगाने के लिए स्टूल या कुर्सी का इस्तेमाल करता है. लेकिन सुशांत के बेड पर कोई स्टूल टेबल नहीं पाया गया, ऐसा कहा गया कि वो बेड पर खड़ा था और उसने गले में फंदा लगाकर किनारे लटक गया.

पुलिस को किस बात की थी जल्दबाजी?

पुलिस को इतनी जल्दबाजी है कि इस पहलू पर थोड़ा भी गौर नहीं किया गया. पुलिस की तहकीकात में सुशांत मौत से जुड़े कई अहम सबूतों और आधारों को नजरअंदाज किया जाता रहा और रहस्यमयी मौत पर सुसाइड की मुहर लगाने की कोशिश शुरू हो गई.

मौत को सुसाइड करार देने की जल्दबाजी होने लगी. मौत को सुसाइड साबित करने की जल्दबाजी सिर्फ अस्पताल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस की तहकीकात तक सीमित नहीं थी. बल्कि सियासत में भी कुछ दिग्गजों ने उसकी मौत को आत्महत्या बताने की जल्दबाजी दिखाई.

उस वक्त शिवसेना के मुखपत्र "सामना" ने जांच पर सवाल उठाते हुए इस मामले को जल्द आत्महत्या घोषित करने की सलाह दी थी. सुशांत पर शिवसेना के एक नेता ने लिखा था कि "सुशांत के कम से कम 10 अभिनेत्रियों के साथ संबधों का खुलासा हुआ. कई लड़कियों से उसका ब्रेक अप भी हुआ था. जिसके बाद नाकामी से निराश होकर वो सुसाइड कर लेता है."

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सवाल वाजिब है कि आखिरकार सुशांत की रहस्यमयी मौत को आत्महत्या बताने की जल्दबाजी क्यों थी? ऐसे में हत्या का शक पैदा होना लाजमी था.

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