जयपुरः जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल सोमवार को अपने विभिन्न सत्रों के साथ समाप्त हो गया. जेएलएफ में सोमवार को क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) पर सत्र आयोजित किया गया. इस सत्र में बॉलीवुड अभिनेत्री दिया मिर्जा ने शिरकत की. उन्होंने जलवायु के मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि हम अपने बच्चों को कैसी दुनिया देकर जाएंगे, नहीं पता. बातचीत के दौरान सेशन में दीया मिर्जा भावुक हो गईं. वह रोने लगीं. उन्होंने कहा कि दुनिया अपने समय के शायद बुरे दौर से गुजर रही है और मानवीय गतिविधियां इसे लगातार असामान्य बनाती जा रही हैं.
#WATCH Actor Dia Mirza breaks down while speaking at the 'climate emergency' session during Jaipur Literature Festival; she says, "Don't hold back from being an empath". (27.1.20) pic.twitter.com/fyAgH3giL9
— ANI (@ANI) January 28, 2020
कोबी ब्रायंट की मौत पर जताया दुख
दीया ने बताया कि बास्केटबॉल के दिग्गज खिलाड़ी कोब ब्रायंट की मौत की खबर से वह दुखी थीं. रविवार को अमेरिका में एक हेलिकॉप्टर क्रैश में कोबी और उनकी बेटी की मौत हो गई थी. दीया ने कहा, कल का दिन बहुत अच्छा था. हमने गणतंत्र दिवस मनाया. देर रात करीब 3 बजे उन्हें कोबी की हादसे में मौत की सूचना मिली. इसने मुझे भावुक कर दिया. उन्होंने कहा कि हर दिन अलग-अलग घटनाएं होती हैं, जो हमें भावुक कर देती हैं. वो कभी भी जाहिर हो सकती हैं.
कोबी की मौत की खबर मिलने के बाद से ही मेरा ब्लड प्रेशर काफी लो था. हम हर जगह अपने इमोशन जाहिर नहीं करते, लेकिन हमारे अंदर का बच्चा बहुत नाजुक होता है.
बच्चे आप में भरते हैं उम्मीदः दीया
दीया ने कहा कि लोगों, कहानियों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. अच्छे लोगों से सबसे ज्यादा सीखने को मिलता है. बच्चों की लड़ाई में भी मुस्कुराते चेहरे देखने को मिलते हैं. इससे सीख मिलती है कि उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है. दीया ने क्लाइमेट चेंज पर बात करते हुए कहा कि सेशन अच्छा रहा. उन्होंने कहा कि हमें सदियों से इस बात की जानकारी है कि हम एक पृथ्वी के नागरिक हैं. हमारी सभ्यता, संस्कृति, सोच, विचार इस बात को बहुत गहरी तरह से जानते हैं.
थ्री ईडियट के असली 'फुंगसुक वांगड़ू' भी पहुंचे
आयोजन में लद्दाख के वैज्ञानिक-शिक्षक सोनेम वांगचुक भी पहुंचे थे. उन्होंने सत्र में एक शानदार सवाल का जवाब दिया. सवाल था, जिंदगी क्या है! उन्होंने कहा-यह सवाल हममें से हर किसी को परेशान करता है. इसका सबसे सटीक जवाब यह है कि पेंदे में छेद वाली बाल्टी है जिंदगी, इसे कितना भी भरोगे, ये खाली होती जाएगी इसलिए इसे भरने में अपना सब कुछ खत्म कर देने की बजाय यह जो है, जैसी है, उसे मस्ती से जीना सीखिए. सोनेम थ्री इडियट से प्रसिद्ध हुए लद्दाख के वैज्ञानिक-शिक्षक हैं. वांगचुक फेस्टिवल में क्लाइमेट इमरजेंसी विषय पर चर्चा करने पहुंचे थे.