दिल्लीवालों को डराने वाले 'भविष्यवाणी', चंद घंटों में 'जहरीली हवा' देगी दस्तक!

मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले 4 अक्टूबर तक दिल्ली में जहरीली हवा दस्तक दे सकती है. जिसका खामियाजा दिल्ली में रह रहे लोगों को भुगतना पड़ सकता है. पड़ोस के राज्यों में पराली जलाना इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है.

Last Updated : Oct 1, 2019, 06:42 PM IST
    • 95 लाख स्थानीय वाहनों, इंडस्ट्रीज और कंस्ट्रक्शन भी एयर पलूशन के लिए जिम्मेदार हैं
    • पराली का धुआं अगले 48 से 72 घंटे में दिल्ली के आसमान पर दस्तक दे सकता है
दिल्लीवालों को डराने वाले 'भविष्यवाणी', चंद घंटों में 'जहरीली हवा' देगी दस्तक!

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण नाम का दानव एक बार फिर कहर बरपाने के मूड में दिखाई दे रहा है. यानी दिल्ली का एक बार फिर से दम घुटने का सिलसिला शुरू होने वाला है. दिल्ली के लोगों के लिए सांस लेना फिर से मुश्किल होने वाला है. 

ये कहना गलत नहीं होगा कि साफ हवा और प्रदूषण रहित वातावरण में सांस ले रहे दिल्लीवालों के लिए 'पुराने दिन' फिर से लौटनेवाले हैं. मौसम विभाग की मानें तो राजधानी में इस सुहाने मौसम का दौर जल्द खत्म होनेवाला है. और दिल्ली में एक बार फिर जहरीली हवा का काउंट डाउन शुरु होने वाला है.

क्या है अनुमान?

अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका है, जिसे त्यौहारों का महीना भी कहा जाता है. नवरात्रि, दशहरा और दीवाली का जश्न अक्टूबर में ही होगा. लेकिन दिल्ली वालों के लिए अक्टूबर का महीना नई  मुसीबत पैदा कर सकती है. कयास लगाया जा रहा है कि अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से दिल्ली पर जहरीली हव का अटैक शुरू हो जाएगा. और प्रदूषण का प्रकोप तेजी से फैलने लगेगा. ऐसे में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. मौसम विभाग का ये अनुमान लगभग सही और सटीक बताया जा रहा है. मौसम विभाग का मानना है कि उत्तर की ओर चलने वाली हवाएं दिल्ली के मौसम पर 4 अक्टूबर के बाद असर डालने लगेंगी. हालांकि, तीन तारीख तक मौसम सुहाना बना रहेगा.

प्रदूषण बढ़ने की क्या है वजह?

पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली इसकी सबसे बड़ी वजह है. पराली का धुआं अगले 48 से 72 घंटे में दिल्ली के आसमान पर दस्तक दे सकता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा में पराली का धुआं दिल्ली की हवा को सबसे ज्यादा प्रदूषित करता है. आम तौर पर अक्टूबर और नवंबर में हरियाणा और पंजाब के किसान धान की पराली जलाते है. जिससे दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर तो कई गुना बढ़ता ही है. साथ ही मौसम में नमी और सर्दी की दस्तक से आसमान में स्मॉग भी छा जाता है.

पराली के जहरीले धुएं से दिल्ली को बचाने के लिए दिल्ली सरकार से लेकर पंजाब और हरियाणा की सरकारें हर साल बड़े-बड़े दावे करती है. लेकिन इसका ज्यादा असर हकीकत की जमीन पर दिखाई नहीं देता. दोनों राज्यों में किसान हर साल बिना रोक-टोक खुलेआम पराली जलाते हैं. जिसका खामियाजा दिल्ली को भुगतना पड़ता है. 

हालांकि ऐसा नहीं कि दिल्ली की आबो-हवा को खराब करने के लिए अकेले पराली का धुआं ही जिम्मेदार है. पराली के अलावा 95 लाख स्थानीय वाहनों, इंडस्ट्रीज और कंस्ट्रक्शन भी एयर पलूशन के लिए जिम्मेदार हैं. इसके अलावा दिवाली के जश्न की आतिशबाजी जले पर नमक छीड़कने जैसी होती है. जिसका सबसे बुरा प्रभाव दिल्ली के उपर पड़ता है.

तो क्या इससे निपटने के लिए दिल्ली तैयार है?

दिल्ली में पराली की जहरीली हवा और स्मॉग के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार पहले ही नवंबर में ऑड-ईवन लाने का ऐलान कर चुकी है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या सिर्फ ऑड ईवन से दिल्ली की हवा साफ हो जाएगी. आखिर दिल्ली को हर साल पराली जलाने वाले किसानों के रहकमों करम पर क्यों छोड़ा दिया जाता है. क्या दिल्ली की आबो-हवा को साफ रखने की सरकार की जिम्मेदारी नहीं है. क्या सरकार को पराली के धुएं से निपटने के लिए कड़े नियम कानून नहीं बनाने चाहिए.

दूषित हवा का कहर हर साल दिल्ली के सिर पर काले बादल की तरह मंडराता है. हर बाद जहरीली हवा के चलते दिल्ली को भारी कीमत चुकानी पड़ती है. ऐसे में मौसम विभाग की चेतावनी से एक बार फिर लोगों को खौफ के साए में जीने पर मजबूर कर दिया है.

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