नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी 2020 में हुए दंगों के पीछे एक बड़ी साजिश से जुड़े मामले में कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां को दी गयी जमानत को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका पर 27 जुलाई को सुनवाई करेगा.


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इशरत जहां की जमानत पर 27 जुलाई को सुनवाई


न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा कि निचली अदालत के 14 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली जांच एजेंसी की अपील को सह-आरोपी उमर खालिद की जमानत अर्जी के साथ 27 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए.


विशेष सरकारी अभियोजक अमित प्रसाद ने इससे पहले एकल पीठ से कहा था कि याचिका विधि विरुद्ध क्रियाकलाप रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराधों से संबंधित है, इसलिए एक खंडपीठ को कानून के अनुरूप इस पर सुनवाई करनी चाहिए.


यूएपीए के तहत दर्ज किया गया था मामला


उन्होंने अदालत को सूचित किया था कि न्यायमूर्ति मृदुल की अगुवाई वाली पीठ पहले ही खालिद की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही है, जिस पर न्यायाधीश ने कहा था, 'मुख्य न्यायाधीश का आदेश हो तो मौजूदा आपराधिक अपील पर सुनवाई सभी आवेदनों के साथ न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ के समक्ष 11 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाए.'


इशरत जहां के खिलाफ अन्य कई लोगों के साथ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था. उनपर उत्तर पूर्व दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों की एक 'मास्टरमाइंड' होने का आरोप है.


दंगों में 53 लोगों की मौत हो गयी थी और 700 से ज्यादा घायल हो गये थे. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़की थी.


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