नई दिल्ली: कश्मीर स्थित फोटो पत्रकारों को पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित करने को लेकर कई अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े 100 से अधिक हस्तियों ने एक खुला पत्र पुलित्जर बोर्ड को लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि जूरी उन्हें पुरस्कृत कर झूठ, तथ्यों की गलत व्याख्या और अलगाववाद की पत्रकारिता को बढ़ावा दे रही है.
पुलित्ज़र कमेटी को बुद्धिजीवियों का खुला खत
ये खत है, तीन फोटोग्राफरों को पुरस्कार दिए जाने के विरोध में हैं. देश की 132 हस्तियों ने जो कि विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी हैं, उन्होंने पुलित्जर बोर्ड के लिए एक खुला खत लिखा है. जिसमें कहा गया है कि जूरी उन्हें पुरस्कृत करके तथ्यों की गलत व्याख्या, झूठ और अलगाववाद की पत्रकारिता को बढ़ावा दे रही है.
आपको बता दें, ये तीम भारतीय फोटो पत्रकार जिनका नाम चन्नी आनंद, मुख्तार खान और डार यासिन है, उन्हें कश्मीर पर अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद की गई फोटोग्राफी को लेकर फीचर फोटोग्राफी कैटेगरी में 2020 का पुलित्जर पुरस्कार दिया गया है.
अवॉर्ड अलगाववाद की पत्रकारिता को बढ़ावा!
ये खुला पत्र पुलित्जर पुरस्कार 2020 के बोर्ड, जूरी और प्रशासक के लिए है. इस खुले खत में खान और यासिन को दिये गए अवार्ड पर आपत्ति जताया गया है. साथ ही ये दावा भी किया गया है कि दोनों ने अपनी तस्वीरों के कैप्शन में हिन्दुस्तान के खिलाफ शब्दों का प्रयोग किया. खत लिखने वालों में 5 पद्म पुरस्कार विजेता, करीब 16 विश्वविद्यालय के कुलपति शामिल हैं.
पत्र में ये भी लिखा गया है कि "ये एक विडंबना है कि मुख्तार खान और डार यासिन जैसे फोटोग्राफरों को पुरस्कृत देकर आप तथ्यों की गलत व्याख्या, झूठ और साथ ही अलगाववाद की पत्रकारिता व फोटोग्राफी को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं."
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आपको बता दें, इस खुले खत में में कहा गया कि इसमें चन्नी आनंद का नाम शामिल नहीं किया गया. इसकी वजह बताते हुए ये कहा गया है कि उनकी तस्वीर भारत की छवि खराब नहीं करती. इसके अलावा दो अन्य फोटो पत्रकारों की तरह उन्होंने भारत के खिलाफ शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया.
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