AMCA Project India: 5th gen फाइटर जेट बनाने की होड़ में दुनिया लगी है, इसी बीच भारत के अपना एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट भी एक अहम मोड़ पर पहुंच चुका है. एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और रक्षा मंत्रालय (MoD) साल 2026 के बीच तक उन प्रोडक्शन पार्टनर्स का चयन करेंगे, जो इस प्रोजेक्ट में अहम भूमिका निभाएंगे. यह फैसला सात बड़ी कंपनियों के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा के बाद लिया जाएगा.
15,000 करोड़ रुपये प्रोजेक्ट
करीब 15,000 करोड़ रुपये के इस प्रोग्राम के तहत भारत को अपनी अगली पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान मिलेगा. प्लान के मुताबिक 2028 तक इसका पहला प्रोटोटाइप तैयार होगा और 2030 के दशक के मध्य तक इंडियन एयरफोर्स की स्क्वॉड्रन में शामिल किया जाएगा.
7 कंपनियों की नजर
इस प्रोजेक्ट के लिए 2025 की शुरुआत में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) जारी किया गया था, जिसमें निजी क्षेत्र की कई दिग्गज कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई. इसमें लार्सन एंड टुब्रो (L&T), टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, महिंद्रा डिफेंस, भारत फोर्ज, गोडरेज एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) व रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (UAC) जैसी कंपनिया शामिल है. ये कंपनियां एयरफ्रेम मैन्युफैक्चरिंग, एवियोनिक्स, कंपोजिट स्ट्रक्चर और इंजन से जुड़े काम में हिस्सेदारी चाहती हैं.
लड़ाकू विमानों का मजबूत इकोसिस्टम
ADA प्रमुख डॉ. एस. उन्नीकृष्णन ने बताया कि पार्टनर का चुनाव सिर्फ टेक्नोलॉजी के क्षमता के आधार पर नहीं होगा, बल्कि इसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, लागत, ऑफसेट पॉलिसी और एयरफोर्स की जरूरतों को भी ध्यान में रखा जाएगा. उनका कहना है कि यह प्रोजेक्ट सिर्फ विमान बनाने के लिए नहीं, बल्कि भारत में 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का मजबूत इकोसिस्टम तैयार करने के लिए है.
AMCA प्रोग्राम की सबसे बड़ी चुनौती अब तक इंजन टेक्नोलॉजी और फंडिंग रही है. हालांकि अब GE F414 इंजन और देश में बनी गैलियम नाइट्राइड (GaN) तकनीक पर आधारित AESA रडार इस दिशा में मजबूती देंगे. पहला प्रोटोटाइप HAL की नासिक यूनिट में तैयार किया जाएगा, जिसमें मॉड्यूलर डिजाइन का इस्तेमाल होगा ताकि जरूरत के हिसाब से तेजी से बदलाव किया जा सके.
जानकारों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट में दो से तीन प्रमुख कंपनियों को मिलकर करीब 40% वर्कशेयर मिलेगा और साथ ही छोटे उद्योगों (MSMEs) की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी. इससे भारत को न सिर्फ एक आधुनिक स्टील्थ लड़ाकू विमान मिलेगा, बल्कि घरेलू रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी बड़ा कदम उठेगा.
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