CAA के खिलाफ केरल सरकार के प्रस्ताव को आरिफ मोहम्मद ने बताया असंवैधानिक

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केरल सरकार के उस प्रस्ताव की निंदा की है जो प्रस्ताव सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पारित किया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 2, 2020, 01:08 PM IST
    • नागरिकता कानून का समर्थन करते हैं केरल के राज्यपाल
    • केरल सरकार ने कल पास किया था प्रस्ताव
    • केरल सरकार का प्रस्ताव असंवैधानिक: राज्यपाल
 CAA के खिलाफ केरल सरकार के प्रस्ताव को आरिफ मोहम्मद ने बताया असंवैधानिक

तिरुवनंतपुरम: नागरिकता संशोधन कानून  (CAA) के खिलाफ केरल विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया गया था. इस पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इस प्रस्ताव की कोई कानूनी या संवैधानिक वैधता नहीं है, क्योंकि नागरिकता विशेष रूप से एक केंद्र का विषय है, इसका वास्तव में कुछ महत्व नहीं है.

नागरिकता कानून का समर्थन करते हैं केरल के राज्यपाल

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केंद्र सरकार द्वारा पारित किये गये नागरिकता कानून को पुरजोर समर्थन किया है. उन्होंने कई बार कहा कि जो अल्पसंख्यक पड़ोसी देशों में प्रताड़ित किये जा रहे हैं उन्हें भारत में शरण मिलनी चाहिये क्योंकि ये वादा खुद महात्मा गांधी ने किया था. 

केरल सरकार ने कल पास किया था प्रस्ताव

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मंगलवार को विधानसभा में प्रस्ताव पेश कर दिया. इस दौरान सीएम विजयन ने कहा कि केरल में धर्मनिरपेक्षता, यूनानियों, रोमन, अरबों का एक लंबा इतिहास है. हर कोई हमारी जमीन पर पहुंचा. सदन में यह प्रस्ताव पास हो गया. इसका भाजपा ने विरोध किया लेकिन एक दूसरे की धुर विरोधी होने का बावजूद कांग्रेस ने लेफ्ट का समर्थन कर दिया और से प्रस्ताव पास हो गया.

केरल सरकार का प्रस्ताव असंवैधानिक: राज्यपाल

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि यह हैरान करने वाली बात है कि जिस सरकार ने संविधान की शपथ ली है, वह गैर संवैधानिक बात कर रही है कि नागरिकता संशोधन कानून राज्य में नहीं लागू होने देंगे. यह कानून संसद द्वारा पारित है. नागरिकता देना या लेना संविधान की सातवीं अनुसूची का विषय है और इस पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को है ,राज्य को नहीं.

उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के हिंदू, सिख, पारसी, बुद्ध, जैन और ईसाई समुदाय के लोगों को प्रताड़ना के आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान है जबकि मुसलमानों ने इससे बाहर रखा गया है. जो अल्पसंख्यक लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गये, उन्हें इसका लाभ मिलेगा.

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