श्रीनगरः सियाचिन ग्लेशियर में शनिवार को आए बर्फीले तूफान में दो जवान शहीद हो गए. यह ग्लेशियर विश्व का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है. भारतीय सेना की ओर से बताया गया कि शनिवार तड़के जवान दक्षिणी सियाचिन ग्लेशियर में 18,000 फीट की ऊंचाई पर गश्त कर रहे थे तभी हिमस्खलन हुआ और बर्फ के पहाड़ में दबने से दो जवान शहीद हो गए. सेना ने बताया कि राहत एवं बचाव टीम घटनास्थल पर पहुंचकर फंसे जवानों को निकाल लिया है. कुछ दिन पहले भी सियाचिन ग्लेशियर में हुए भीषण हिमस्खलन में भारतीय सेना के 4 जवान शहीद हो गए थे. इसके अलावा दो पोर्टरों की भी मौत हो गई गई थी.
बचाव दल ने छह जवानों को बचाया
सियाचिन के दक्षिणी हिस्से में हिमस्खलन में गश्ती दल के फंसने की खबर मिलते ही सेना के एवलांच पैंथर्स और माउंटेन रेस्क्यू टीम हेलीकॉप्टर के जरिए प्रभावित इलाके में पहुंची. राहत कर्मियों ने अत्याधुनिक सेंसरों की मदद से बचाव कार्य शुरू किया और कुछ ही देर में बचाव दल ने छह जवानों को बचा लिया. दो जवानों को गंभीर हालत में बर्फ के नीचे से निकाला गया. ये दोनों करीब 16 फुट बर्फ की मोटी परत के नीचे दबे थे. इन दोनों को मौके पर प्राथमिक उपचार भी दिया गया, लेकिन इन्हें बचाया नहीं जा सका.
Indian Army:Army patrol operating at approx 18,000 ft in Southern Siachen Glacier was hit by avalanche,during early hours today.Avalanche Rescue Team rushed&managed to locate&pull out the patrol team. Helicopters helped to evacuate victims. 2 Army personnel succumbed in avalanche
— ANI (@ANI) November 30, 2019
1984 से अबतक 1000 से अधिक जवान शहीद
सियाचिन में इससे पहले भी कई बार ऐसे हादसों में भारतीय सेना के सैकड़ों जवान अपनी जान गंवा चुके हैं. आंकड़ों के अनुसार, साल 1984 से लेकर अब तक हिमस्खलन की घटनाओं में सेना के 35 ऑफिसर्स समेत 1000 से अधिक जवान सियाचिन में शहीद हो चुके हैं.
2016 में ऐसे ही एक घटना में मद्रास रेजीमेंट के जवान हनुमनथप्पा समेत कुल 10 सैन्यकर्मी बर्फ में दबकर शहीद हो गए थे.
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दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र
दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध का मैदान अपनी कठिन मौसमीय दशाओं के चलते सैनिकों के लिए जानलेवा बना हुआ है. यहां गोली से अधिक कठिन मौसमीय परिस्थितियों के चलते जवान शहीद होते हैं. 1984 से अब तक यहां करीब 860 से ज्यादा भारतीय जवान शहीद हो चुके हैं। वहीं, 1984 से 1999 के बीच 1300 से अधिक पाकिस्तानी जवानों की मौत हुई है. माइनस 60 डिर्ग्री सेल्सियस वाले तापमान और 18-20 हजार फुट की ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी सैनिकों के लिए बहुत कष्टकारी साबित होती है.
यहां सैनिकों को फ्रॉस्टबाइट (अधिक ठंड से शरीर के सुन्न हो जाने) और तेज हवाओं का सामना करना पड़ता है. ग्लेशियर पर ठंड के मौसम के दौरान हिमस्खलन की घटनाएं आम हैं.
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