मुंबईः भीमा-कोरोगांव मामले की जांच केंद्र सरकार ने NIA को सौंप दी है. केंद्र सरकार के इस फैसले के साथ ही एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल आ गया है. सत्ता-पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. महाराष्ट्र की उद्धव सरकार इस फैसले से बिल्कुल खुश नहीं है. इससे एक दिन पहले महाराष्ट्र सरकार साल 2018 में हुए इस हिंसात्मक मामले की समीक्षा करने का फैसला लिया था. कहा जा रहा था कि राज्य की तिपाया सरकार एल्गार परिषद पर मामला खत्म करने की तैयारी कर रही थी.
अनिल देशमुख ने की निंदा
इससे महाराष्ट्र सरकार का गुस्सा भड़क उठा है. इस बारे में राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा, भीमा कोरेगांव मामले की जांच महाराष्ट्र सरकार की सहमति के बिना एनआइए को सौंपी गई. भीमा कोरेगांव मामले की जांच एनआईए को सौंपने को उन्होंने संविधान के खिलाफ बताया है. कहा कि मैं इसकी निंदा करता हूं. फैसले पर एतराज जताते हुए महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि इस बारे में राज्य सरकार से पूछा तक नहीं गया.
Anil Deshmukh, Maharashtra Home Minister: Central government has handed over the investigation of Bhima-Koregaon case to National Investigation Agency (NIA) without the state government's permission. As the Home Minister of the state, I am raising my objection to it. pic.twitter.com/nbK1Mpom2r
— ANI (@ANI) January 24, 2020
उन्होंने ट्वीट किया कि जब राज्य सरकार इस मामले की तह में जा रही थी, तब ये फैसला किया गया. एक दिन पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख ने इसे लेकर गुरुवार को मीटिंग रखी थी. गृह मंत्री ने इस बारे में कहा था कि वह पुलिस को मिले सबूतों के आधार पर उनके द्वारा इस मामले की जानकारी मिलने के बाद ही इसकी समीक्षा करेंगे और किसी नतीजे तक पहुंचेंगे.
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भाजपा ने फैसले को सही ठहराया
माहाराष्ट्र सरकार की ओर से निंदा की बात सामने आने पर भाजपा ने भी पलटवार किया है और केंद्र सरकार के फैसले को सही बताया है. पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि केंद्र सरकार ने वाकई सही फैसला लिया है. उनका कहना है कि भीमा-कोरेगांव मसला सिर्फ महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश को प्रभावित करने वाला मामला है. इसका असर देशभर में है. केंद्र सरकार ने सही कदम ठाया है, इससे शहरी नक्सलियों का पर्दाफाश होगा.
Former Maharashtra CM Devendra Fadnavis on Bhima-Koregaon case handed over to NIA: It is the correct decision because this case isn't confined to Maharashtra, we see its spread all over the country. Central government has taken the right step,this will expose urban naxals.(24.01) pic.twitter.com/VBRENyILKG
— ANI (@ANI) January 24, 2020
यह है भीमा कोरेगांव
1 जनवरी, 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगांव में हिंसा हुई थी. दलित समुदाय के लोग 250 साल पहले हुई दलितों और मराठाओं के बीच हुई लड़ाई में दलितों की जीत का जश्न मनाने के लिए वहां हर साल इकट्ठा होते हैं. पुलिस का आरोप था कि कार्यक्रम के आयोजकों के नक्सलियों से संबंध थे. बीते साल अगस्त और सितंबर में 10 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था. सभी आरोपित ट्रायल का सामना कर रहे हैं. हाल ही में एनसीपी नेताओं ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपियों के खिलाफ दर्ज किए गए सभी मामलों को बंद करने की मांग की थी.
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