मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फड़नवीस और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे की प्रभादेवी इलाके में लंबी बैठक हुई. इसमें राज्य की राजनीतिक हालात पर भी चर्चा हुई. सूत्रों का कहना है कि भाजपा राज ठाकरे के सीथ में रखकर महाराष्ट्र में उद्धव ठकरे को सबक सिखाने का प्रयास कर रही है.
अस्तित्व के लिये जूझ रहे राज ठाकरे
महाराष्ट्र में इन दिनों राज ठाकरे की राजनीति अस्ताचल गामी हो गयी है. उनकी राजनीतिक पकड़ पबरी तरह से कमजोर हो गयी है. इसलिये उन्हें भी राज्य में किसी बड़ी जनाधार वाली पार्टी की सख्त जरूरत है. लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को विरोध करके राज ठाकरे को अपनी हैसियत का अंदाजा लग चुका है. इसमें वो एक भी उम्मीदवार नहीं जिता पाए थे.
उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई है राज ठाकरे
राज ठाकरे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई हैं और एक समय उन्हीं को बाल ठाकरे का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता था. लेकिन पारिवारिक तल्खी और मतभेदों के चलते राज ठाकरे ने शिवसेना से नाता तोड़कर अपनी अलग पार्टी का गठन किया था. जब महाराष्ट्र में बाला साहेब की तूती बोलती थी. उस दौरान उद्धव और राज उनके दो सिपहसालार थे.
राज ने बना ली थी मनसे
लोगों को राज ठाकरे में चाचा बाल ठाकरे की छवि नजर आती थी. राज ठाकरे तेजी से शिवसैनिकों के बीच लोकप्रिय होते जा रहे थे. साल 2002 में बीएमसी के चुनावों में शिवसेना को कामयाबी मिली तो बाला साहेब ठाकरे ने उद्धव को 2003 में शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया. वहीं इस चुनाव में राज ठाकरे की सिफारिश वाले लोगों के टिकट काट दिये गए. 2004 में उद्धव को बाकायदा शिवसेना का अध्यक्ष घोषित किया गया. इसके बाद नाराज होकर राज ठाकरे ने अलग पार्टी बना ली.
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