भारत की 'ब्रह्मोस' या 'स्कैल्प', पाकिस्तान से युद्ध हुआ तो कौन सी मिसाइल करेगी तगड़ा वार

BrahMos vs Scalp: भारत की ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर पूरी दुनिया में काफी चर्चा है. यह मिसाइल अपनी तेज गति और ताकत के दम पर दुश्मनों को तबाह कर सकती है. वहीं, अक्सर इसकी तुलना में स्कैल्प मिसाइल से होती रहती है. चलिए जानते हैं दोनों मिसाइलें एक दूसरे से कितनी अलग और ताकतवर हैं.

Written by - Bhawna Sahni | Last Updated : Apr 29, 2025, 04:38 PM IST
    • ब्रह्मोस ने बढ़ाया भारत का गौरव
    • स्कैल्प है इसकी पूरक मिसाइल
भारत की 'ब्रह्मोस' या 'स्कैल्प', पाकिस्तान से युद्ध हुआ तो कौन सी मिसाइल करेगी तगड़ा वार

नई दिल्ली: भारत की सेना देश की सुरक्षा में लगातार प्रयास कर रही है. ऐसे में फाइटर जेट्स से लेकर सबमरीन और थल सेना की ताकत को भी बढ़ाया जा रहा है. ऐसे में आज हम भारतीय सेना की दो शक्तिशाली क्रूज मिसाइलों ब्रह्मोस और स्कैल्प पर चर्चा करने जा रहे हैं. जहां एक ओर ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर बनाया है, वहीं स्कैल्प मिसाइल फ्रांस और ब्रिटेन ने तैयार की है. इसे ब्रिटेन में स्टॉर्म शैडो भी कहा जाता है. भारत में इन दोनों ही मिसाइलों का इस्तेमाल किया जाता है और ये दोनों ही अलग-अलग तरीके से दुश्मन पर निशाना साधती हैं. ऐसे में जब पाकिस्तान के साथ तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है तो इन दोनों में कौन सी मिसाइल वार करने में ज्यादा शक्तिशाली साबित होने वाली है, चलिए इसे जानने की कोशिश करते हैं.

दोनों मिसाइलों की खासियत
अगर दोनों मिसाइलों की खासियत पर की जाए तो दोनों ही अपने आप में बहुत खास हैं. ब्रह्मोस को इसे 'शॉक एंड ऑ' हथियार कहा जाता है, यानी वो मिसाइल जो अपनी तेजी और ताकत से ही दुश्मनों के पसीने छुड़ा देती है. यह एक सुपरसोनिक मिसाइल है, जिसकी स्पीड Mach 3 यानी ध्वनि की गति से भी 3 गुना तेज है. यह समुद्र के ऊपर या काफी ऊंचाई से उड़कर दुश्मन को चकमा दे सकती है. वहीं स्कैल्प की बात की जाए तो इसे 'साइलेंट असैसिन' कहते हैं. यानी यह चुपके से हमला करती है. यह सबसोनिक मिसाइल है, जिसकी स्पीड Mach 0.8 है यानी ध्वनि की गति से कम है. यह रडार से बचने में माहिर है और चुपके से दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने में माहिर है.

ब्रह्मोस और स्कैल्प में अंतर
अगर ब्रह्मोस और स्कैल्प में अंतर देखा जाए तो दोनों एक दूसरे से बहुत अलग है. ब्रह्मोस की स्पीड मैक 3 है और यह 800 किलोमीटर तक मार कर सकती है. यह तेजी से चलने वाले टारगेट्स जैसे जहाज को नष्ट करने में माहिर है, जबकि स्कैल्प की स्पीड सिर्फ Mach 0.8 है, लेकिन यह 560-600 किलोमीटर तक मारने में सक्षम है. यह धीरे-धीरे उड़कर चुपके से दुश्मन की रडार से बच जाती है.

कैसे दोनों मिसाइलें बनाती हैं टारगेट्स
ब्रह्मोस चलते-फिरते टारगेट्स जैसे जहाज या आतंकी काफिले को निशाना बनाने में बेहतर है. 2023 में टेस्टिंग के दौरान इसने 6,000 टन के जहाज को डुबो दिया था. ब्रह्मोस की तेज स्पीड की वजह से इसे रडार पर देखा जा सकता है. जैसे पाकिस्तान के HQ-9 सिस्टम इसे पकड़ सकते हैं, लेकिन इसकी स्पीड इतनी तेज है कि दुश्मन को कुछ भी सोच-समझने का वक्त ही नहीं मिल पाता. दूसरी ओर स्कैल्प स्थिर और मजबूत टारगेट्स जैसे बंकर और कमांड सेंटर्स को नष्ट करने में माहिर है. 2011 में इसने NATO की लीबिया मिशन में बंकर को तबाह कर अपनी ताकत दिखाई थी. यह रडार से बचने में सक्षम है. यह 30-50 मीटर की कम ऊंचाई पर उड़ती है और इसकी स्टील्थ तकनीक इसे लगभग अदृश्य बना देती है. यूक्रेन ने 2023 में रूस के S-400 सिस्टम के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया था और रूस इसे पकड़ नहीं पाया.

लॉन्च प्लेटफॉर्म
ब्रह्मोस को जमीन, समुद्र, हवा, और पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकता है. भारत के Su-30MKI विमान इसे ले जाते हैं. वहीं, स्कैल्प मुख्य रूप से हवा से लॉन्च होती है. भारत इसे राफेल विमानों से दागता है. बता दें कि भारत के पास 200 से ज्यादा ब्रह्मोस और 300 से ज्यादा स्कैल्प मिसाइलें हैं. भारत ने स्कैल्प मिसाइलों को राफेल विमानों के साथ अंबाला में तैनात किया हुआ है. इससे चीन के ठिकानों तिब्बत और पाकिस्तान के कमांड बंकरों को निशाना बनाया जा सकता था. मार्च 2022 का वाकया है जब भारत से गलती से एक ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान के मियां चन्नू में गिर गई थी. इस दौरान पाकिस्तान की हवाई रक्षा की कमजोरी दुनिया के सामने आई थी. इसके अलावा चीन को भी ब्रह्मोस मिसाइल से काफी खतरा है, क्योंकि यह अंडमान से लॉन्च होकर उसके जहाजों को निशाना बना सकती है.

दोनों एक-दूसरे की पूरक
भारत इन दोनों मिसाइलों का एक साथ इस्तेमाल करके अपनी ताकत बढ़ा रहा है. ब्रह्मोस दुश्मन की रक्षा को तोड़ने और डराने का काम करती है, ताकि स्कैल्प मिसाइलें चुपके से बड़े ठिकानों को नष्ट कर पाएं. राफेल विमानों में SPECTRA सिस्टम की मदद से स्कैल्प को सटीक निशाना लगाने में मदद मिलती है. यह भारत की किल वेब रणनीति का एक अहम हिस्सा है. एक तरफ ब्रह्मोस तेज और ताकतवर है, जो समुद्री और चलते-फिरते टारगेट्स को नष्ट कर पाने में सक्षम है. दूसरी तरफ स्कैल्प चुपके से हमला करने और मजबूत ठिकानों को तोड़ने के लिए बेहतर मानी जाती है. भारत के लिए तो दोनों ही मिसाइलें एक-दूसरे की कमी को पूरा करती हैं, जिससे उसकी रक्षा रणनीति मजबूत बनी रहती है.

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