CARS24 को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका, करना होगा अब इतनी राशि का भुगतान

दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्स 24 कंपनी के कार्यालयों में कर्मचारियों के रूप में प्रदान की गई सेवाओं के लिए बकाया करोड़ों के भुगतान को लेकर दायर अपील को खारिज कर दिया है.

Written by - Nizam Kantaliya | Last Updated : May 7, 2022, 01:44 PM IST
  • दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्स24 को दिया झटका
  • करना होगा इतने करोड़ की राशि का भुगतान
CARS24 को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका, करना होगा अब इतनी राशि का भुगतान

नई दिल्ली: देश में सेकंड हैंड वाहनों (Second Hand Vehicles) के शोरूम संचालित करने वाली कार्स 24 (Cars24) कंपनी को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) से बड़ा झटका लगा है. कार्स 24 कंपनी के कार्यालयों में कर्मचारियों के रूप में प्रदान की गई सेवाओं के लिए बकाया करोड़ों के भुगतान को लेकर दायर अपील को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.

इतने करोड़ की राशि का करना होगा भुगतान

इस फैसले के बाद CARS24 को अब Arbitral Tribunal द्वारा तय की गयी करीब 1 करोड़ 13 लाख से अधिक की राशि का भुगतान ब्याज सहित SEA GATE FACILITY MANAGEMENT कंपनी को करना होगा.

जस्टिस विभू भखरू की एकलपीठ ने कार्स 24 की ओर से Arbitral Tribunal के आदेश को बरकरारर रखते हुए ये माना है कि SEA GATE FACILITY MANAGEMENT और कार्स 24 की ओर से हुए एग्रीमेंट को कार्स 24 द्वारा रद्द करने के अंतिम दिन तक SEA GATE ने अपनी सेवाएं दी है और कार्स 24 उन कर्मचारियों और सेवाओं के बदले दिये जाने वाले भुगतान से इंकार नहीं कर सकती है. हाईकोर्ट ने आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल द्वारा देय राशी पर तय किये गये 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज को स्वीकार किया है.

क्या है मामला?

सेकेंड हैंड वाहन खरीदने और बेचने के बढ़ते कारोबार के बीच कार्स 24 कंपनी ने देशभर में अपने कार्यालय और शोरूम स्थापित किये. इन कार्यालयों में कर्मचारियों उपलब्ध कराने के साथ ही सुरक्षा, सेवा व्यवस्था, हाउसकीपिंग और अन्य संविदा कर्मचारियों की सेवा के लिए कार्स 24 ने सी गेट कंपनी के साथ 9 फरवरी 2016 को एक एग्रीमेंट किया.

इस एग्रीमेंट के अनुसार सुरक्षा प्रदान करने के लिए SEA GATE FACILITY MANAGEMENT ने अपने कर्मचारी कार्स 24 के कार्यालयों में नियुक्त किये. प्रतिमाह इन कर्मचारियों की सेवाओं के बदले कार्स 24 लाखों में भुगतान करती रही.

कुछ विवाद के चलते कार्स 24 ने दायित्वों को पूरा नहींं करने का आरोप लगाते हुए सितंबर 2017 से SEA GATE FACILITY MANAGEMENT कंपनी को भुगतान करना बंद कर दिया. कार्स 24 के अनुसार SEA GATE ने अपने कर्मचारियों को वेतन, भविष्य निधि (पीएफ) और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) के लिए भुगतान करने में विफल रही थी, जिसके चलते उसे अपनी छवि का नुकसान हो रहा था.

सी गेट अपने कर्मचारियों को भुगतान करने और अपने वैधानिक दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा, इसलिए कार्स 24 ने सेवाएं प्रदान करने के लिए एक अन्य एजेंसी (टॉप्स सिक्योरिटी लिमिटेड) को नियुक्त कर दिया. कार्स 24 के अनुसार SEA GATE के अधिकांश कर्मचारियों ने अपना इस्तीफा दे दिया और TOPS Security Limited को जॉइन कर लिया. TOPS Security के तहत ये कर्मचारी कार्स 24 के कार्यालयों में तैनात हो गये जिसके लिए कार्स 24 ने TOPS Security को भुगतान करना शुरू कर दिया.

विवाद के बाद आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल में किया दावा

SEA GATE FACILITY MANAGEMENT ने अपने कर्मचारियों के भुगतान के लिए लगातार कार्स 24 को तकाजा करते रहे और इस मामले में कई कानूनी नोटिस भी भेजे. SEA GATE ने इस विवाद को लेक आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के समक्ष सितंबर, अक्टूबर, नवंबर 2017 के तीन माह और दिसंबर 2017 के 7 दिन उसके ​द्वारा दि गयी सेवाओं के लिए बकाया भुगतान का दावा किया.

आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल ने SEA GATE के दावे को स्वीकार कर लिया और ₹1,13,32,016/- की राशि का अवार्ड जारी करते हुए कार्स 24 को आदेश दिये कि वो ये राशि 18% प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित अदा करे. ट्रिब्यूनल ने कार्स 24 द्वारा इस मामले में दिये गये अधिकांश काउंटर-दावों को खारिज कर दिया. जिसके खिलाफ कार्स 24 ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में याचिका दायर कर चुनौती दी.

हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले को रखा बरकरार

दिल्ली हाईकोर्ट ने आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखते हुए ट्रिब्यूनल द्वारा SEA GATE के पक्ष में दिये गये फैसले को बरकरार रखा है. हाईकोर्ट ने माना कि सी गेट ने उसके कर्मचारियों को 07 दिसंबर 2017 तक समझौते की समाप्ति तक सक्रिय रूप से कार्स 24 के कार्यालयों पर तैनात किया था. और कार्स 24 ने उसकी सेवाओं का लाभ उठाया था.

ऐसे में SEA GATE दी गयी सेवाओं के बदले भुगतान का अधिकार रखता है. हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले में हस्तक्षेप से इंकार करते हुए कार्स 24 की अपील  को खारिज कर दिया.

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