नई दिल्ली: सीडीएस Bipin Rawat समेत कुन्नूर हेलिकॉप्टर क्रैश में जान गंवाने वाले सभी 13 जवानों और अधिकारियों को आज शुक्रवार को अंतिम विदाई दी जाएगी. दिल्ली स्थित आवास पर सुबह 11 से 12.30 बजे तक आम लोग भारत माता के वीर सपूत रावत को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे. दोपहर 12:30 से 01:30 बजे तक सैन्य अधिकारी श्रद्धांजलि देने आएंगे. दोपहर 2 बजे उनके पार्थिव शव को दिल्ली कैंट बराड़ चौक अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा.
बिपिन रावत के पार्थिव शरीर को गन कैरिएज यानि तोप वाली गाड़ी में रखा जाएगा. अंतिम यात्रा में जनरल बिपिन रावत के साथ उनकी पत्नी मधुलिका रावत का भी पार्थिव शरीर होगा. ये अंतिम यात्रा उनके आवास से दिल्ली कैंट के बरार स्क्वॉयर तक का होगा. वहीं बिपिन रावत की शहादत के बाद पूरे देश में गम का माहौल बना हुआ है. पूरा देश गमगीन है और भारत माता के इस सच्चे सपूत को श्रद्धांजलि दे रा है.
गुरुवार को तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हादसे में जान गंवाने वाले सभी 13 मृतकों के पार्थिव शरीर को विमान के जरिए दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर लाया गया. एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजीत डोभाल ने पहुंचकर वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अपर्ति की.
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पिता से मिली थी देश प्रेम की सीख
आपको बता दें कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी में हुआ था. उनका परिवार चौहान राजपूत परिवार और उनकी मां परमार क्षत्रिय वंश से थीं. उनके पिता, लक्ष्मण सिंह रावत ने भारतीय सेना की सेवा की और लेफ्टिनेंट-जनरल के पद तक पहुंचे. बचपन से घर में देश प्रेम का माहौल रहा. इससे प्रेरित होकर बिपिन रावत ने भी बचपन से ही सेना में जाने का मन बना लिया था.
सेना में करियर
जनरल रावत ने 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल की 5वीं बटालियन से अपना करियर शुरू किया था. 31 दिसंबर 2016 को जनरल रावत थलसेना प्रमुख बने. इसके बाद वे 61 साल की उम्र में को 2019 में देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाए गए.
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