नई दिल्ली: वायु सेना दिवस (8 अक्टूबर) से पहले मंगलवार को भारतीय वायुसेना प्रमुख ने वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. उन्होंने पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की मौजूदगी को चिंता का विषय नहीं बताया.
तीन हवाई क्षेत्रों में बढ़ा दी उपस्थिति
वायुसेना प्रमुख वी.आर. चौधरी ने मंगलवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की वायु सेना की मौजूदगी बढ़ गई है, लेकिन भारतीय वायु सेना पर 'इसका ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला' है. उन्होंने कहा कि चीनी पीएलएएएफ ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार तीन हवाई क्षेत्रों में उपस्थिति बढ़ा दी है.
'भारत किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम'
उन्होंने कहा, 'चीन कई विमानों के साथ हवाई क्षेत्र विकसित कर रहा है, लेकिन ऊंचाई से उड़ान भरना उसका एक कमजोर क्षेत्र है.' चीन के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर एक सवाल के जवाब में वायुसेना प्रमुख ने कहा कि यह एक राष्ट्रीय नीति है और भारत किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम है.
इस साल एस-400 मिलने की उम्मीद
एस-400 को शामिल करने के बारे में, उन्होंने कहा कि उसे इस वर्ष के भीतर शामिल किया जाना चाहिए. भारत रूस से लंबी दूरी यानी 400 किलोमीटर के लिए एस-400 मिसाइलें खरीद रहा है और इस साल के अंत तक वायुसेना को इसके मिलने की उम्मीद है.
दो मोर्चों पर युद्ध से निपटने में सक्षम
एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, 'एस-400 की डिलीवरी पटरी पर है. पहली रेजिमेंट को इस साल के भीतर शामिल कर लिया जाना चाहिए.' उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय वायु सेना चीन और पाकिस्तान के साथ दो मोर्चों पर युद्ध से निपटने में सक्षम है, लेकिन चिंता का विषय पाकिस्तान से चीन तक पश्चिमी रणनीति और हथियारों का प्रसार है.
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चीन द्वारा ताइवान के हवाई क्षेत्र के उल्लंघन पर, उन्होंने कहा कि यह दोनों के बीच का मामला है और वह कोई भी टिप्पणी करने से परहेज करेंगे.
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