चीन ने स्वीकार किया भारत का महत्व

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे से पहले चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक खास आलेख छापा है. जिसमें यह स्वीकार किया गया है कि भारत के बिना एशिया 21वीं सदी का बादशाह नहीं बन सकता है. खास बात यह है कि कम्युनिस्ट चीन में ग्लोबल टाइम्स अखबार को वहां की सरकार का मुखपत्र माना जाता है. ऐसे में इस अखबार में छपे आलेख को ही चीन सरकार की सोच का आधार माना जाना चाहिए.   

Last Updated : Oct 11, 2019, 07:44 AM IST
    • चीन माना भारत के बिना नहीं चलेगा काम
    • चीनी मीडिया ने भारत का महत्व स्वीकारा
    • चीन सरकार के मुखपत्र ने दर्शाया विचार
    • भारत के बिना एशिया नहीं बढ़ेगा आगे
चीन ने स्वीकार किया भारत का महत्व

नई दिल्ली: एक पार्टी वाले देश चीन में स्थितियां भारत जैसी नहीं हैं. वहां एक ही पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी का शासन चलता है, जिसका आधिकारिक मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स अखबार है. चीन में भारत की तरह विचारों की आजादी नहीं है. ऐसे में वहां हमारे देश की तरह अलग अलग विचारधारा वाले मीडिया संस्थान नहीं हैं. ऐसे में ग्लोबल टाइम्स अखबार के संपादकीय काफी महत्व रखते हैं. क्योंकि इस अखबार में छपे आलेखों से इस बात की झलक मिलती है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार के मन में क्या चल रहा है. इस अखबार ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा से पहले एक बेहद अहम आलेख छापा है-

भारत के महत्व को किया गया स्वीकार
चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने लिखा पिछले कुछ वक्त से एशिया की सदी की बात चल रही है. एशिया के कई नेता और रणनीतिकार कहते हैं कि 19वीं सदी यूरोप की थी, 20वीं सदी अमेरिका की और अब 21वीं सदी एशिया की होगी. अखबार ने भारत से दोस्ती को अहम बताते हुए कहा है कि दोनों देश मिलकर ही 21वीं सदी को एशिया के पाले में खींच सकते हैं. ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि कैसे चीन और भारत की आर्थिक प्रगति से ही दुनिया का विकास संभव होगा।

दोनों देशों में बढ़ा है सहयोग
ग्लोबल टाइम्स अखबार ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अनौपचारिक बातचीत काफी उम्मीदें जाहिर की हैं. अखबार ने इस बैठक को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि इस मुलाकात से दोनो देशों के संबंध नए आयाम पर पहुंचेंगे। अखबार में इस बात का भी जिक्र है कि कैसे पिछले कुछ सालों में भारत-चीन के बीच सहयोग बहुत ज्यादा बढ़ गया है. अखबार के मुताबिक चीनी कंपनियों ने बीते कुछ सालों में भारत के मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे अभियानों में हिस्सा लेते हुए निवेश में इजाफा किया है. इसके साथ ही भारतीय कंपनियों का भी चीन में निवेश बढ़ा है. 

संदेह खत्म करने की जरुरत पर बल दिया
हालांकि चीनी अखबार ने भारत पर आरोप लगाया कि वहां चीन को लेकर एक किस्म का अविश्वास है. जिसकी वजह से दोनों देश आर्थिक तौर पर एक साथ प्रगति नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि चीनी सरकार के मुखपत्र ने यह नहीं  बताया कि कैसे चीन की विस्तारवादी नीति इस अविश्वास के पीछे का कारण है. लेकिन अखबार ने इस बात पर बल दिया कि नए दौर में भारत और चीन का साथ मिलकर काम करना सबसे ज्यादा जरूरी हो गया है. 

सीमा विवाद निपटाने की जरुरत बताई
हालांकि ग्लोबल टाइम्स ने एक बेहद वास्तविक बात कही कि कैसे दोनों देशों के बीच का सीमा विवाद ही समस्या का कारण है. अखबार ने कहा कि यदि दोनों देश अपना सीमा विवाद शांतिपूर्ण ढंग से निपटा लें तो यह दुनिया के सामने एक मॉडल होगा। इससे दुनिया को यह संदेश मिलेगा कि किस तरह से दो ताकतें एक साथ आ सकती हैं। 
अखबार ने चेतावनी दी है कि यदि दोनों देश यदि द्विपक्षीय मुद्दों पर तार्किक ढंग से विचार नहीं करते हैं तो फिर एशिया से बाहर की ताकतें इसका फायदा उठाएंगी. शायद चीन का इशारा अमेरिका की तरफ था. 

राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री मोदी तमिलनाडु में चेन्नई पास मामल्लपुरम में मुलाकात कर रहे हैं. चीन के प्रमुख नेता की दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के के बीच व्यापार, निवेश, सुरक्षा और सीमा जैसे अहम मुद्दों पर बातचीत होने वाली है. 

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