चंडीगढ़ विवाद पर हरियाणा और पंजाब सरकार आमने-सामने, पर ये है लड़ाई की असल वजह
हरियाणा और पंजाब के बीच एक बार फिर पानी का विवाद शुरु हो रहा है. दशकों पुराने विवाद को इस बार नवजोत सिंह सिद्धू ने हवा दी है. ये विवाद सीधे शुरु नहीं हुआ बल्कि वाया चंडीगढ़ आया है. दरअस्ल पंजाब सरकार ने चंडीगढ़ पर अपना दावा विधानसभा के जरिए पेश किया है जिस पर हरियाणा आग बबूला है.
नई दिल्ली: पंजाब और हरियाणा के बीच एक बार फिर पानी के बंटवारे को लेकर विवाद बढ़ रहा है. विवाद इस कदर बढ़ रहा है कि नेता भी इसमें कूद आए हैं. ये विवाद नया नहीं बल्कि सतलुज-यमुना लिंक नहर और रावी-ब्यास परियोजना से जुड़ा हुआ है. इससे पहले कि ताजा विवाद की बात करें, पहले ताजा हालात जान लेते हैं.
किसका चंडीगढ़, पंजाब या हरियाणा?
दरअसल मामला चंडीगढ़ के बंटवारे से जुड़ा हुआ है. केन्द्र सरकार ने चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केन्द्रीय नियम लागू कर दिया. इसके बाद पंजाब की भगवंत मान सरकार ने विधानसभा का सत्र बुलाया और इस सत्र में चंडीगढ़ को पूर्ण रूप से पंजाब को देने का प्रस्ताव पारित हो गया. यहीं से ये मामला ज्यादा गर्मा गया और हरियाणा सरकार की तरफ से भी इस पर पलटवार हुआ. हरियाणा सरकार ने कहा कि चंडीगढ़ पर उनका भी अधिकार है.
हरियाणा जता रहा चंडीगढ़ पर हक
अब हरियाणा में भी मंगलवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है जिसमें चंडीगढ़ पर हक वाला विधेयक पास हो सकता है. इधर पंजाब में कांग्रेस इस मुद्दे को लपक लेना चाहती है. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और आला कांग्रेसी नेता सुनील जाखड़ ने कहा कि चंडीगढ़ के मुद्दे पर हक का अब कोई मसला ही नहीं है. लेकिन मामले में ट्विस्ट ले आए नवजोत सिंह सिद्धू. सिद्धू ने जो कहा उसी से नदियों के पानी की बात भी उठने लगी.
सिद्धू ने फिर से सुलगाया पानी का विवाद
कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा है कि चंडीगढ़ को पंजाब के 27 गांव उजाड़कर बसाया गया था. चंडीगढ़ पंजाब का था, पंजाब का है और पंजाब का ही रहेगा. कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना. चंडीगढ़ तो बहाना है, पंजाब के दरियाई पानी पर निशाना है. सावधान रहें, अगली बड़ी लड़ाई पंजाब की नदियों के पानी के लिए लिए है.
हरियाणा-पंजाब के बीच क्या है पानी विवाद?
सिद्धू ने जिस पानी का जिक्र किया है उस पानी के लिए ही हरियाणा और पंजाब सालों से लड़ते रहे हैं. हरियाणा मांग करता रहा है कि सतलुज-यमुना लिंक नहर को पूरा किया जाए और हरियाणा को उसके हिस्से का पानी दिया जाए. हरियाणा का कहना है कि उसके हिस्से में 35 लाख एकड़-फीट पानी सतलुज यमुना लिंक नहर से आना चाहिए.
- 1966 में पंजाब से हरियाणा के अलग होने के साथ ही विवाद की शुरुआत हुई
- नहर के 7.2 एमएएफ पानी में से हरियाणा 4.8 एमएएफ पानी मांगता है
- पंजाब पूरे 7.2 एमएएफ पानी पर अपना हक जताता है
चंडीगढ़ पर हरियाणा-पंजाब का नहीं, तीसरे का हक
यहां यह भी गौर करने वाली बात है कि चंडीगढ़ पर हो रहे विवाद में पंजाब और हरियाणा के अलावा थर्ड पार्टी भी है. चंडीगढ़ एक केन्द्र शासित प्रदेश है इसलिए वो न तो पंजाब के हिस्से में है और न ही हरियाणा के हिस्से में.
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