मुंबई: महाराष्ट्र के जैतापुर में छह परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की केंद्र सरकार की सैद्धांतिक मंजूरी के एक दिन बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र स्थानीय लोगों को विश्वास में लिए बिना कोई परियोजना जबरन लागू नहीं कर सकता है.
परमाणु ऊर्जा विभाग में केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा में कहा कि सरकार ने फ्रांस के साथ तकनीकी सहयोग से 1,650-1,650 मेगावाट के छह परमाणु बिजली संयंत्रों की स्थापना के लिए महाराष्ट्र में जैतापुर में स्थल की 'सिद्धांततः' मंजूरी प्रदान कर दी है जो 9,900 मेगावाट की कुल क्षमता के साथ सबसे बड़ा परमाणु बिजली उत्पादन स्थल बन जाएगा.
नवाब मलिक ने कहा, विचार-विमर्श के बिना फैसला
इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए राकांपा के प्रवक्ता एवं महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि विकास और नयी परियोजनाओं की आवश्यकता है लेकिन स्थानीय लोगों को विश्वास में लिए बिना नहीं. उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार स्थानीय लोगों को विश्वास में लिए बिना कोई परियोजना थोप नहीं सकती. जैतापुर परियोजना संप्रग सरकार लेकर आयी थी लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण इसे रोकना पड़ा था.’’ मलिक ने कहा कि हाल में तीन कृषि कानूनों को वापस लेना इसका उदाहरण है कि जब फैसले पक्षकारों से विचार-विमर्श किए बिना लिए जाते हैं, तो क्या होता है.
शिवसेना का भी विरोध
शिवसेना नेता एवं सिंधुदुर्ग से लोकसभा सदस्य विनायक राउत ने दिल्ली में पत्रकारों से संसद में सरकार का जवाब तकनीकी था. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पिछले कुछ वर्षों में कम से कम छह दफा इस तरह के जवाब देखे हैं. स्थानीय आबादी इस परियोजना के खिलाफ है जो हानिकारक है और इससे पूरी कोंकण तट रेखा पर असर पड़ेगा.’’ राउत ने कहा कि शिवसेना इस परियोजना के विरोध में स्थानीय लोगों के साथ दृढ़ता से खड़ी है. उन्होंने कहा, ‘‘आपको कोंकण में परमाणु ऊर्जा की क्या आवश्यकता है जबकि केंद्र सौर ऊर्जा का प्रचार कर रही है. कोंकण में सौर पार्क बनाए जा सकते हैं.’’
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