नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है. उनके भाजपा में जाने से जहां भगवा खेमे में खुशी की लहर है तो वहीं कांग्रेस में निराशा है.
जितिन प्रसाद के अचानक कांग्रेस छोड़ने से कांग्रेस के कार्यकर्ता सदमे में हैं लेकिन फिर भी नेता अजब गजब प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.
UP कांग्रेस के अध्यक्ष ने बताया विश्वासघाती
जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि जितिन प्रसाद को कांग्रेस ने क्या कुछ नहीं दिया लेकिन उन्होंने कांग्रेस से विश्वासघात किया.
अजय लल्लू ने आरोप लगाया कि जितिन पहले समाजवादी पार्टी में शामिल होना चाहते थे लेकिन उन्हें सपा ने ज्यादा वरीयता नहीं दी. जितिन संघर्ष करना ही नहीं जानते हैं वे सत्ता के बिना नहीं रह सकते.
कांग्रेस ने बता दिया था जितिन को कूड़ा
पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद बुधवार को कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए. इसके कुछ घंटे बाद ही मध्य प्रदेश कांग्रेस ने पार्टी से उनकी विदाई पर खुशी जताते हुए उन्हें कूड़ा बता दिया.
एमपी कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट को कुछ मिनट बाद ही डिलीट कर दिया गया, लेकिन तब तक यह वायरल हो गया.
ट्वीट में कहा गया था कि जितिन प्रसाद की विदाई से कांग्रेस खुश है. यह कूड़े को कूड़ेदान में डालने जैसी सामान्य प्रक्रिया है. दोपहर 3 बजकर 15 मिनट पर यह ट्वीट किया गया और कुछ मिनट बाद ही इसे हटा भी दिया गया.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने दिया धन्यवाद
जितिन प्रसाद जी का कांग्रेस पार्टी छोड़ने के लिए धन्यवाद।
— INC Chhattisgarh (@INCChhattisgarh) June 9, 2021
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने भी जितिन प्रसाद को पार्टी छोड़ने के लिए धन्यवाद दिया. छत्तीसगढ़ कांग्रेस की ओर से किए गए एक ट्वीट में कहा गया- जितिन प्रसाद जी का कांग्रेस पार्टी छोड़ने के लिए धन्यवाद.
प्रसाद के कांग्रेस छोड़ने पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि जाने वाले जाते रहते हैं, उन्हें हम रोक नहीं सकते.
कांग्रेस के ही कुलदीप बिश्नोई ने उनके बीजेपी में शामिल होने को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका करार दिया है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को राज्यों में जीत हासिल करने के लिए जन नेताओं की पहचान कर उन्हें मजबूती प्रदान करनी चाहिए.
UP में BJP के लिए महत्वपूर्ण हैं जितिन प्रसाद
बीजेपी को अगर मिशन 2022 में कामयाब होना है तो वह ब्राह्मणों की उपेक्षा नहीं कर सकती. इस समुदाय का पिछले तीन चुनावों से पार्टी को जमकर समर्थन मिला है. राज्य में उनकी संख्या 10 प्रतिशत से भी अधिक है और चुनाव परिणाम तय करने में उनकी एक बड़ी भूमिका होती है.
लेकिन जितिन प्रसाद ऐसा चेहरा नहीं है, जिसे पूरे राज्य के ब्राह्मणों का नेता माना जाए. वो 2014, 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. फिर भी जितिन की पकड़ 4 जिलों में बहुत शानदार है.
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