नई दिल्ली: एक और कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही है. दिल्ली पुलिस की की आर्थिक अपराध शाखा (EoW) ने कांग्रेसी नेता टाइटलर और उनकी पत्नी समेत अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
पटियाला कोर्ट के आदेश के बाद FIR दर्ज
जानकारी के मुताबिक EoW ने मामले की तफ्तीश के दौरान कई अहम सबूत इकट्ठा किए हैं. लेकिन अभी आर्थिक अपराध शाखा के सूत्रों से यह बात सामने आ रही है कि ये FIR पटियाला कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज किया गया है. आपको बदा दें, कि जगदीश टाइटलर पर दिल्ली के करोलबाग में गलत तरीके से जमीन पर कब्जा करने का आरोप है.
किसने दर्ज की शिकायत
इस मामले में जगदीश टाइटलर और उनकी पत्नी के खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा में दिल्ली के छतरपुर इलाके के रहने वाले विजय सेखरी नाम के एक शख्स ने शिकायत दर्ज करवाई थी. इस शिकायत में टाइटलर और उनकी पत्नी जेनीफर टाइटलर समेत कई लोगों का नाम है. शिकायत के बाद प्राथमिक जांच हुई, और फिर पटियाला हाउस कोर्ट ने टाइटलर के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया. सूचना मिली है कि जल्द ही इस मामले में सभी आरोपियों को पूछताछ के लिए भी नोटिस जारी हो सकता है.
29 साल पुराना है मामला
जानकारी के अनुसार ये मामला करीब 29 साल से ज्यादा पुराना है. शिकायतकर्ता विजय उस दौरान जगदीश टाइटलर के कारोबारी दोस्त थे. उसी वक्त जगदीश टाइटलर और विजय सेखरी की कंपनी ने पार्टनरशिप में दिल्ली के करोलबाग इलाके में दो रिहाइशी संपत्तियों को खरीदा था. इसके लिए 50-50 फीसदी की हिस्सेदारी तय की गई थी. लेकिन पैसों को लेकर आपसी खींचतान बढ़ती चली गई और मामला आर्थिक अपराध शाखा की चौखट तक पहुंच गया. दिल्ली पुलिस की EoW की कार्रवाई के बाद मामले ने तूल पड़ लिया है. एक वक्त था जब जगदीश टाइटलर कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार होते थे. वह दिल्ली के सांसद भी रहे हैं. लेकिन 1984 के सिख विरोधी दंगे में उनपर आरोप सामने आया तो उनकी सियासी जमीन खिसकने लगी.
सिख दंगों में आरोप
1984 में हुए सिख विरोधी दंगे में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सजा हो चुकी है. लेकिन कांग्रेस के कई बड़े नेताओं पर अभी भी आरोप है. कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर भी आरोप लगे हैं, उन पर दिल्ली के बुलबंगश इलाके में गुरुद्वारा के सामने 3 सिखों की हत्या करने का आरोप लगा था. हालांकि सीबीआई अभी तक टाइटलर पर लगे आरोपों की पुष्टि नहीं कर सकी. 84 के दंगे के चलते कुछ कांग्रेसी नेताओं का सियासी भविष्य पूरी तरह से खत्म हो गया है. लेकिन इस बीच फर्जीवाड़े के आरोप ने टाइटलर की और मुश्किलें बढ़ा दी है.