अपने नेताओं की ही बात सुन ले कांग्रेस तो शायद उबर जाएगी

देश की सबसे पुरातन पार्टी का भविष्य इस वक्त अधर में है. लोक सभा के साथ कई राज्यों की विधानसभा में हार के बाद पार्टी में बड़े स्तर पर बदलाव की मांग उठने लगी है. कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का स्पष्ट कहना है कि पार्टी को समय के साथ अपनी विचारधारा को बदलना चाहिए. अमेठी से  कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रहे संजय सिंह ने भी पिछले साल जुलाई में कांग्रेस को भूतकाल में जीने वाली पार्टी बताया था. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 14, 2020, 07:14 AM IST
    • वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी को 'सख्ती से' अपना पुनरावलोकन करना चाहिए
    • शर्मिष्ठा मुखर्जी भी कांग्रेस की हार पर आलाकमान सहित दिल्ली इकाई के नेताओं पर बड़े सवाल खड़े कर चुकी हैं
अपने नेताओं की ही बात सुन ले कांग्रेस तो शायद उबर जाएगी

नई दिल्लीः देश की राजनीतिक विरासत, आजादी की लड़ाई पर गर्व करने वाली और मौके-बेमौके हर बात का श्रेय लेने वाली कांग्रेस देश के हर कोने में बुरी तरह लड़खड़ा रही है. अब इस बात को खुद कांग्रेसी भी कह रहे हैं, बल्कि शीर्ष नेतृत्व में शामिल शख्सियत भी इस बात को मान रही हैं कि कांग्रेस में रीतियों-नीतियों का बदला जाना बेहद जरूरी है. इस समय कांग्रेस समय के साथ नहीं है और वक्त की नजाकत को नहीं समझ पा रही है. यही बात पार्टी महासचिव व पूर्व  केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कही है. 

क्या है सिंधिया की जुबानी
दिल्ली के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की ओर से पार्टी में अमूल-चूल परिवर्तन की मांग उठने लगी है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने देश की सबसे पुरातन पार्टी को आईना दिखाया है. सिंधिया ने पार्टी की कार्यप्रणाली बदलने की जरूरत पर भी जोर दिया.

उन्होंने कहा कि हमें देश के लोगों से नए तरीके से जुड़ने के बारे में सोचना होगा. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में गुरुवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी की लगातार दूसरी करारी हार को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने निराशाजनक बताया है. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि दिल्ली में स्पष्ट है कि हमारी पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी. अब देश बदल रहा है और हमें भी बदले हुए परिवेश में जाने की जरूरत है.

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उठाए सवाल
इसके पहले पार्टी की बड़ी नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी भी कांग्रेस की हार पर आलाकमान सहित दिल्ली इकाई के नेताओं पर बड़े सवाल खड़े कर चुकी हैं. मुखर्जी ने आलाकमान की ओर से निर्णय लेने में देरी करने और दिल्ली इकाई में एकता की कमी के गंभीर आरोप लगाए थे.

पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने कह चुके हैं कि पार्टी को जिंदा करने के लिए 'सर्जिकल एक्शन' की जरूरत है. 

पार्टी को सख्ती से पुनरावलोकन करना चाहिए: जयराम रमेश
कांग्रेस की शर्मनाक हार और बिहार तथा उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में पार्टी की खराब हालत पर चिंता व्यक्त करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी को 'सख्ती से' अपना पुनरावलोकन करना चाहिए. रमेश ने कहा, 'कांग्रेस नेताओं को अपना पुनरावलोकन करना होगा.

कांग्रेस को यदि प्रासंगिक होना है तो उसे स्वयं का पुनरावलोकन करना होगा.

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