नई दिल्ली: प्रदूषण से त्रस्त दिल्ली की हवा ही नहीं पानी भी खराब अवस्था में है. हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने देश के 21 बड़े शहरों या यूं कहें कि मेट्रो शहरों में पानी की गुणवत्ता को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित किया. रिपोर्ट बहुत चौंकाने वाला है. देश की राजधानी दिल्ली में साफ हवा में सांस न ले पाने को मजबूर लोगों को पीने को साफ पानी तक नसीब नहीं हो पाता है. वहीं दिल्ली से कहीं ज्यादा घनी आबादी वाली शहर मुंबई शुद्ध पानी की उपलब्धता के मामले में टॉप पर है.
Union Minister Ram Vilas Paswan: Mumbai tops ranking released by Bureau of Indian Standards (BIS) for quality of tap water. Delhi at the bottom, with 11 out of 11 samples failing on 19 parameters. pic.twitter.com/3nuLuXAuqw
— ANI (@ANI) November 16, 2019
19 मानकों पर खरी न उतर सकी दिल्ली
मंत्रालय की ओर से जारी इस रिपोर्ट में पानी की शुद्धता को लेकर 19 मानक तैयार किए गए थे. इन मानकों के आधार पर उसकी शुद्धता की जांच-परख की गई. मुंबई के बाद अहमदाबाद और भुवनेश्वर में भी पीने योग्य शुद्ध पानी उपलब्ध है. इसके बाद झारखंड की राजधानी रांची, छत्तीसगढ़ में रायपुर का आंध्रप्रदेश में अमरावती का नंबर आता है. दिलचस्प बात यह है कि झारखंड के रांची और छत्तीसगढ़ के रायपुर में पानी साफ और पीने योग्य है जबकि दोनों ही राज्यों में जमीनी खनिज की मात्रा खूब पायी जाती है. इसके अलावा आंध्रप्रदेश की राजधानी अमरावती, शिमला, चंडीगढ़, त्रिवेंद्रम और 10वें नंबर पर पटना का नंबर है. फिर भोपाल, गुवाहाटी, बेंगलुरू, गांधीनगर, लखनऊ, जम्मू कश्मीर, जयपुर, देहरादून और चेन्नई का नंबर आता है. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकता और देश की राजधानी दिल्ली का नंबर क्रमशः 20वां और 21वां है.
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दिल्ली में कहीं पानी एसिडिक तो कहीं बेसिक
आखिर क्या कारण है कि दिल्ली में शुद्ध पानी लोगों को नसीब नहीं हो पा रही है ? आप सब ने बचपन में केमिस्ट्री की किताबों में pH के बारे में पढ़ा होगा, इससे पानी में एसिड की मात्रा कितनी है या पानी कहीं बेसिक तो नहीं, इसका पता लगाया जाता था. मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट में भी पानी की शुद्धता को पहचानने के लिए जिन 19 मापदंडों का प्रयोग किया गया, उसमें इसी पीएच वैल्यू पर चेक किया गया. माना जाता है कि साफ पानी का pH कम से कम 6 से 8.2 के बीच होना चाहिए. 7 के नीचे पीएच वैल्यू आने पर वह एसिडिक और 7 के ऊपर पीएच वैल्यू आने पर बेसिक होता चला जाता है. पश्चिमी दिल्ली में पानी का पीएच 8.5 से ऊपर है. जबकि नॉर्थ दिल्ली में तो यह 5.5 के आसपास है. जिसका मतलब है कि पानी एसिडिक है.
BIS ने जांच में किया खुलासा
मालूम हो कि यह रिपोर्ट प्रकाशित होने से पहले सितंबर महीने में भी राजधानी दिल्ली में पानी की शुद्धता को लेकर गंध मची थी. दरअसल, दिल्ली के विभिन्न इलाकों में जो पीने के लिए पानी सप्लाई किया जाता है, सरकार की ओर से, उसे ही एक टेस्ट में अशु्द्ध पाया गया. BIS( Bureau of Indian Standards) की ओर से की गई शोध में यह पता चला था कि दिल्ली में जो टैप वॉटर राजधानी के 11 अलग-अलग जगहों पर सप्लाई किए जाते हैं, वे भारत सरकार के खाद्य और प्रकरण मंत्रालय की गुणवत्ता को साबित कर पाने में फेल कर गए हैं. बीआईएस एक राष्ट्रीय बॉडी है जिसका काम खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को जांच-परख कर उसे हरी झंडी देना भी है. हालांकि, जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बीआईएस के इस रिपोर्ट पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिए थे.
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पानी को स्वाद और उसकी महक के हिसाब से परखा गया
BIS की ओर से या फिर यूं कहें कि खाद्य और प्रकरण मंत्रालय की ओर से जारी इस रिपोर्ट में यह कहा गया कि पानी की गुणवत्ता को मापने के लिए जिन रसायनिक विधियों का प्रयोग किया गया, उनमें कुछ खास बिंदुओं का खास ख्याल रखा गया है. रिपोर्ट को तैयार करने के दौरान पानी के पीएच वैल्यू के अलावा उसका स्वाद, रंग और महक जैसे फैक्टरों का खास ख्याल रखा गया. इसके बाद तीन चरणों में जांच-परख की गई और तब इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया गया. देश की राजधानी दिल्ली में रहने योग्य कोई भी फैक्टर सही नहीं. प्रदूषण से त्रस्त दिल्ली को अब पानी पीने से भी डरना ही होगा. इतनी सारी समस्याओं के बीच क्या दिल्ली स्वस्थ्य जीवन जी सकेगा, यह एक बड़ा सवाल है.