UNESCO की विश्व धरोहर में धोलावीरा भी शामिल, 5000 साल पुरानी सभ्यता का है प्रमाण

धोलावीरा, हड़प्पा सभ्यता से संबंधित एक ऐतिहासिक शहरी बस्‍ती का उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है जो उस काल की वास्तुकला, जल प्रबंधन प्रणाली तथा तत्कालीन सांस्कृतिक - सामाजिक व्यवस्था की झलक बताता है. उन्होंने कहा कि वहां ईसा पूर्व तीसरी और दूसरी सहस्राब्दि के जन-जीवन के साक्ष्य मिले हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 2, 2021, 11:55 AM IST
  • धोलावीरा में ईसा पूर्व तीसरी और दूसरी सहस्राब्दि के जन-जीवन के साक्ष्य
  • हड़प्पा सभ्यता‘ के पुरास्थलों में एक नवीन कड़ी के रूप में है धौलावीरा स्थल
UNESCO की विश्व धरोहर में धोलावीरा भी शामिल, 5000 साल पुरानी सभ्यता का है प्रमाण

नई दिल्लीः गुजरात में हड़प्पा काल के शहर धोलावीरा को संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व धरोहर सूची में शामिल किये जाने पर राज्यसभा में बुधवार को देशवासियों को बधाई देते हुए सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का सिर ऊंचा हुआ है.

रामप्पा मंदिर को किया गया धरोहर में शामिल
तेलंगाना के वारंगल में पालमपेट स्थित रामप्पा मंदिर के बाद इस महीने विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया धोलावीरा भारत का दूसरा स्थल है.

उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने कहा ‘‘हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थलों में शामिल धोलावीरा को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है. देश के लिए यह गर्व की बात है कि अब इस सूची में हमारे 40 स्थल हैं. इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का सिर ऊंचा हुआ है.’’

प्राचीन सभ्यता का पुख्ता सबूत है धोलावीरा
उन्होंने कहा कि धोलावीरा, हड़प्पा सभ्यता से संबंधित एक ऐतिहासिक शहरी बस्‍ती का उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है जो उस काल की वास्तुकला, जल प्रबंधन प्रणाली तथा तत्कालीन सांस्कृतिक - सामाजिक व्यवस्था की झलक बताता है. उन्होंने कहा कि वहां ईसा पूर्व तीसरी और दूसरी सहस्राब्दि के जन-जीवन के साक्ष्य मिले हैं. 

5000 साल पुरानी ऐतिहासिक सभ्यता
गुजरात में कच्छ प्रदेश के उतरीय विभाग खडीर में स्थित यह एक ऐतिहासिक स्थान है जो पांच हजार साल पहले विश्व का प्राचीन महानगर था. हड़प्पा सभ्यता‘ के पुरास्थलों में एक नवीन कड़ी के रूप में जुड़ने वाला पुरास्थल धौलावीरा 'कच्छ के रण' के मध्य स्थित द्वीप 'खडीर' में स्थित है. इस द्वीप के समीप ही 'सुर्खाव'- शहर स्थित है.

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नगर के चारों तरफ एक मजबूत दीवार
धौलावीरा गांव 'खडीर द्वीप' की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर बसा है. धौलावीरा पुरास्थल की खुदाई में मिले अवशेषों का प्रसार 'मनहर' एवं 'मानसर' नामक नालों के बीच में हुआ था. इस नगर की लम्बाई पूरब से पश्चिम की ओर है. नगर के चारों तरफ एक मज़बूत दीवार के निर्माण के साक्ष्य मिले हैं.

नगर के महाप्रसाद वाले भाग के उत्तर में एक विस्तृत सम्पूर्ण एवं व्यापक समतल मैदान के अवशेष मिले हैं.इसके उत्तर में नगर का मध्यम भाग है जिसे 'पुर' की संज्ञा दी गयी थी. इसके पूर्व में नगर का तीसरा महत्त्वपूर्ण भाग स्थित है जिसे 'निचला शहर' या फिर 'अवम नगर' कहा जाता है.

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