नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि संविधान में देश के एक लोकतांत्रित गणतंत्र होने की जरूरत को रेखांकित किया गया है, ऐसे में विधान मंडलों में चर्चा और संवाद होना चाहिए और व्यवधान डालकर इसे निष्क्रिय नहीं बनाया जाना चाहिए.
नायडू ने जताई इन बातों पर चिंता
संविधान दिवस पर संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने संसद की कार्यवाही के दौरान व्यवधान पैदा किये जाने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि सरकार को दिये गए जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए.
घट रही है चर्चा, हो रहा नुकसान
राज्यसभा के सभापति ने कहा, ‘‘पिछले 254वें सत्र के दौरान कार्य उत्पादकता घटकर 29.60 प्रतिशत रह गई. इसका अर्थ हुआ कि राज्यसभा में कामकाज के 70 प्रतिशत समय का नुकसान हुआ.’’ उन्होंने कहा कि ऐसे में सभी को यह ध्यान रखना चाहिए व्यवधान डालकर इसे निष्क्रिय नहीं बनाया जाए.
नहीं भूलनी चाहिए अपनी जिम्मेदारी
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ स्पष्ट तौर पर हमें संसद में अपने समय का उपयोग सार्थक एवं अर्थपूर्ण तरीके से करना चाहिए. हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जनमानस में संसद का क्या दर्जा है.’’ उन्होंने कहा कि सभी नागरिकों एवं पक्षकारों को राष्ट्र के लिये समर्पण के साथ काम करना चाहिए.
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सबका साथ सबका विकास का नारा
नायडू ने कहा, ‘‘हमारी संवैधानिक व्यवस्था के मूल में "समावेशी" आदर्श की मजबूत नींव है, ऐसा "समावेश" कि कोई भी अलग न छूट जाए.’’ उन्होंने कहा कि यह आदर्श, वर्तमान सरकार की व्यापक विचारधारा के विस्तार में प्रतिध्वनि पाता है जो "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास" के मंत्र में विश्वास रखती है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव हमारी उपलब्धियों का उत्सव है जिन पर हम सच में गौरव कर सकते हैं. गौरतलब है कि संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है, क्योंकि 1949 में इसी दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था.
2015 में शुरू हुई थी मुहिम
संविधान दिवस की शुरुआत 2015 से की गई थी. भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था. संविधान दिवस पर संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित कार्यक्रम को राष्ट्रपति के अलावा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी संबोधित किया . इस कार्यक्रम का कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया.
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