DRDO Surya Weapon: भारत दुनिया के सबसे एडवांस हथियारों से लैस होने वाले देशों में शुमार है. ऐसे में DRDO भारत के डिफेंस सिस्टम को एक नई ताकत देना जा रहा है. बता दे डीआरडीओ ने भारत का पहला शक्तिशाली 300 किलोवाट लेजर हथियार सिस्टम 'सूर्य' 2027 तक तैयार करने की घोषणा की है. यह लेजर आधारित Directed Energy Weapon (DEW) तकनीक पर आधारित होगा, जो दुश्मन के ड्रोन और मिसाइलों को 20 किमी तक की दूरी पर हवा में ही नष्ट कर देगा. यह सिस्टम पूरी तरह जमीन से संचालित होगा, जिसे 8x8 वाहनों पर तैनात किया जाएगा. इसका मॉड्यूलर डिजाइन भविष्य में इसकी ताकत बढ़ाने की क्षमता देगा.
2027 में बनकर हो जाएगा तैयार 'सूर्य'
भारत की रक्षा क्षमताओं को DRDO सातवें आसमान पर ले जा चुका है. रिपोर्ट के मुताबिक, DRDO का 'सूर्य' लेजर हथियार सिस्टम 2027 तक तैयार हो जाएगा. यह सिस्टम 300 किलोवाट की शक्ति वाला लेजर बीम फायर करेगा, जो दुश्मन के ड्रोन, मिसाइल और अन्य हवाई ख़तरों को हवा में ही नष्ट कर देगा.
यह प्रोजेक्ट भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक को एक नई ऊंचाई देने की दिशा में बड़ा कदम है. 'सूर्य' को ज़मीन पर तैनात किया जाएगा. साथ ही यह दो 8x8 सैन्य वाहनों पर तैनात किए जाएंगे, जिससे इसे युद्धक्षेत्र में आसानी से ले जाया जा सकेगा.
क्या है DEW टेक्नोलॉजी?
Directed Energy Weapon यानी DEW तकनीक का मतलब है, ऐसी हथियार सिस्टम जो ऊर्जा (लेजर) को टारगेट पर केंद्रित कर हमला करती है. इसका फायदा यह है कि ये तेज, सटीक और बिना गोला-बारूद के बार-बार चलाए जा सकते हैं.
'सूर्य' DEW सिस्टम लेजर बीम का इस्तेमाल कर 20 किलोमीटर दूर तक हवाई लक्ष्यों को पहचानकर खत्म कर सकता है. इसकी यह क्षमता इसे अगली पीढ़ी की सुरक्षा रणनीतियों के लिए बेहद प्रभावशाली बनाती है.
ड्रोन और मिसाइलों से निपटेगा सूर्य
'सूर्य' को खासतौर पर आधुनिक युद्ध में बढ़ते ड्रोन और स्मार्ट मिसाइल जैसे खतरों से निपटने के लिए डिजाइन किया जा रहा है. ये हथियार दुश्मन के महंगे और सटीक हमले करने वाले डिवाइसों को बिना गोला-बारूद खर्च किए, पल भर में खत्म कर देगा.
इसमें हाई-प्रिसीजन टारगेटिंग सिस्टम होगा, जो 20 किलोमीटर दूर तक लक्ष्य की पहचान कर सकेगा. यह सिस्टम तेजी से घूमते या उड़ते लक्ष्यों को भी ट्रैक कर उन्हें निशाना बना सकेगा.
मॉड्यूलर डिज़ाइन से बढ़ेगी ताकत
DRDO ने इसे मॉड्यूलर डिजाइन में विकसित करने का निर्णय लिया है, जिससे भविष्य में इसकी शक्ति को बढ़ाया जा सकेगा. एक से अधिक 300kW लेजर यूनिट्स को जोड़कर यह सिस्टम मेगावॉट स्तर तक ताकतवर बन सकता है.
इस डिज़ाइन के चलते सूर्य सिस्टम को भविष्य की जरूरतों के मुताबिक अपग्रेड करना आसान होगा. इससे यह लचीला और टिकाऊ हथियार बन जाएगा, जो वर्षों तक भारत की डिफेंस सिस्टम को मजबूत बनाए रखेगा.
क्या होगी सूर्य सिस्टम की ताकत?
'सूर्य' में कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है. जैसे Centrifugal Bubble SOG टेक्नोलॉजी, जो हाई क्वालिटी वाली स्थिर लेजर बीम तैयार करती है. इसके अलावा सुपरसोनिक नॉजल और सील्ड एग्जहॉस्ट से सिस्टम की एनर्जी बरकरार रहेगी.
इसके अलावा, 60 सेंटीमीटर की बीम अपर्चर और एडवांस्ड बीम कंट्रोल सिस्टम से लैस होगा. जिसकी मदद से यह लंबी दूरी तक निशाना साध सकता है. साथ ही खराब मौसम में घातक बना रहे, इसके लिए रियल-टाइम एडेप्टिव कंट्रोल सिस्टम भी शामिल किया है. यानी धूल, हवा या गर्मी से इसकी सटीकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
विशेषज्ञों के मुताबिक, डीआरडीओ की घोषणा के बाद दुश्मनों को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर होना पड़ेगा. क्योंकि जैसे ही सूर्य सिस्टम तैयार होगा. भारत को एक मजबूत सुरक्षा कवच मिल जाएगा.
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