दुनिया की सबसे एडवांस राइफल से लैस होगी इंडियन आर्मी, बुलेटप्रूफ जैकेट में भी नहीं बचेगा दुश्मन!

DRDO ने इंडियन आर्मी के लिए 6.8mm असॉल्ट राइफल का प्रोटोटाइप पेश किया है. यह राइफल हल्की, एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस और बुलेटप्रूफ जैकेट भेदने में सक्षम होगी. यह INSAS, SIG716 और AK-203 जैसी राइफलों की जगह ले सकती है. इसे पूरी तरीके से देसी टेक्नोलॉजी से डेवलप किया जाएगा.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 14, 2025, 09:53 PM IST
  • DRDO ने पेश की इंडियन आर्मी के लिए नई असॉल्ट राइफल
  • INSAS, SIG716 और AK-203 की ले सकती है जगह
दुनिया की सबसे एडवांस राइफल से लैस होगी इंडियन आर्मी, बुलेटप्रूफ जैकेट में भी नहीं बचेगा दुश्मन!

DRDO proposed 6.8mm assault rifle: भारतीय सेना लंबे समय से पुराने हथियारों का रिप्लेसमेंट ढूंढ रही थी. दूसरी ओर, जब भी सेना को कोई नए हथियार की जरूरत होती है. DRDO तुरंत नई टेक्नोलॉजी के साथ आगे आता है. ऐसे में, भारतीय सेना की ताकत बढ़ाने के लिए DRDO ने 6.8mm असॉल्ट राइफल का प्रोटोटाइप पेश किया है. यह राइफल पुणे स्थित ARDE द्वारा विकसित की गई है और इसे सेना की जरूरतों के मुताबिक डिजाइन किया गया है. इसमें एडजस्टेबल टेलीस्कोपिक स्टॉक, मजबूत पॉलीमर मैगज़ीन और विशेष 6.8x43mm कारतूस शामिल हैं. इतना ही नहीं, यह हथियार आधुनिक बॉडी आर्मर को भेदने में सक्षम होगा और INSAS जैसी पुरानी राइफलों की जगह ले सकता है. 

DRDO ने पेश किया प्रोटोटाइप
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने इंडियन आर्मी के लिए एक नई देसी 6.8mm असॉल्ट राइफल का प्रोटोटाइप पेश किया है. इस राइफल को पुणे स्थित ARDE (Armament Research and Development Establishment) ने तैयार किया है. इसका उद्देश्य भारतीय सेना की स्मॉल आर्म्स इन्वेंटरी को आधुनिक बनाना है.

IDRW की रिपोर्ट के मुताबिक, यह राइफल 6.8x43mm विशेष कारतूस का इस्तेमाल करती है. जो न केवल सटीकता और मारक क्षमता बढ़ाता है, बल्कि आधुनिक बुलेटप्रूफ जैकेट को भी भेद सकता है. बता दें, यह राइफल पूरी तरह स्वदेशी है और आने वाले वर्षों में विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम कर सकती है.

क्या होगी 6.8mm असॉल्ट की खूबी?
इस नई राइफल में 30-राउंड पॉलीमर मैगजीन, मेटल इनसर्ट्स और एडजस्टेबल टेलीस्कोपिक स्टॉक जैसे मॉडर्न फीचर्स हैं. इसका वजन पारंपरिक 7.62mm राइफलों से कम है, जिससे सैनिकों को ज्यादा फुर्ती और आसानी से फायर करने में मदद मिलेगी.

इस राइफल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि 6.8mm कारतूस AK-47 के 7.62x39mm जितनी मारक क्षमता रखता है.  हालांकि वजन में हल्का और रीकॉइल में कम होता है. जिसके चलते इसे हाई-ऑल्टिट्यूड, जंगल और शहरी इलाकों में बेहद आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह राइफल गैस ऑपरेटेड सिस्टम पर आधारित होगी, जिससे इसकी विश्वसनीयता और बढ़ेगी.

किनकी जगह लेगा यह राइफल?
भारतीय सेना इस समय INSAS राइफल को हटाने की प्रक्रिया में है. INSAS को 1990 के दशक में शामिल किया गया था और अब यह पुरानी पड़ चुकी है. इसके विकल्प के तौर पर सेना ने SIG716 (7.62x51mm) और रूस के साथ AK-203 (7.62x39mm) डील की है.

हालांकि, SIG716 केवल सीमित संख्या में फ्रंटलाइन टुकड़ियों को दी गई है और AK-203 प्रोजेक्ट रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते बाधित हुआ है. ऐसे में DRDO की 6.8mm राइफल, एक मिडल ग्राउंड ऑप्शन के तौर पर उभर सकती है. जोकि न केवल हल्की है, बल्कि सटीक मारक क्षमता रखती है.

अंतरराष्ट्रीय स्तर का होगा यह राइफल
दूसरी ओर, अमेरिकी सेना भी अपनी नेक्स्ट जनरेशन स्क्वाड वेपन प्रोग्राम में 6.8mm राउंड को अपना चुकी है. भारत की यह नई राइफल भी इसी स्तर की है, जो दिखाता है कि देश अब वैश्विक हथियार डिजाइन ट्रेंड के अनुसार चल रहा है.

हालांकि, अभी इस राइफल को सेना द्वारा मंजूरी मिलना बाकी है, क्योंकि DRDO ने फिलहाल इसका प्रोटोटाइप पेश की है. साथ ही, इसे लद्दाख से लेकर राजस्थान तक के बदलते मौसम में टेस्ट किया जाएगा. अगर यह सभी परीक्षणों में सफल होती है, तो यह इंडियन आर्मी की स्टैंडर्ड राइफल बन सकती है.

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