DRDO दो साल में 'जोरावर' टैंक के लिए बनाएगा ये देसी हथियार, विदेशी कंपनियों को दिखाएगा बाहर का रास्ता

Zorawar tank DRDO: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने जोरावर लाइट टैंक के लिए एक पूरी तरीके से स्वदेशी बुर्ज परणाली विकसित करने की प्रक्रिया तेज कर दी है.

Written by - Prashant Singh | Last Updated : Sep 30, 2025, 07:41 PM IST
  • विदेशी बुर्ज को बाहर दिखाएगा भारत
  • 2027 तक सेना में शामिल होगा जोरावर
DRDO दो साल में 'जोरावर' टैंक के लिए बनाएगा ये देसी हथियार, विदेशी कंपनियों को दिखाएगा बाहर का रास्ता

Zorawar tank DRDO: भारत की स्वदेशी रक्षा मुहिम को बड़ा बल देते हुए, DRDO ने जोरावर हल्के टैंक के लिए होमग्रोन बुर्ज (Homegrown Turret) पर तेजी से काम शुरू कर दिया है. यह पहल खास तौर पर Combat Vehicles Research and Development Establishment (CVRDE) और लार्सन एंड टूब्रो (L&T) के सहयोग से की जा रही है.

बता दें, जोरावर टैंक को 2024 में 25 टन के उच्च गतिशीलता मंच (High-Mobility Platform) के रूप में सामने लाया गया था, जिसे मुख्य रूप से चीन सीमा के पास लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्रों के लिए डिजाइन किया गया है.

Add Zee News as a Preferred Source

जोरावर टैंक को मिलेगी दोहरी मारक क्षमता
वर्तमान में जोरावर टैंक में बेल्जियम से आयातित जॉन कॉकरिल डिफेंस (JCD) 3105 बुर्ज लगा हुआ है, जो 105 मिलीमीटर हाई-प्रेशर राइफल्ड गन पर आधारित है. DRDO का नया स्वदेशी बुर्ज इस अंतरिम समाधान की जगह लेगा और टैंक की मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा देगा.

दोहरी भूमिका- नया बुर्ज टैंक को दोहरी भूमिका निभाने के लिए तैयार करेगा. यह न केवल जमीन पर मौजूद टैंकों और बख्तरबंद वाहनों से लड़ सकेगा, बल्कि हवाई खतरों का मुकाबला करने में भी सक्षम होगा.

एंटी-टैंक मिसाइल- इस बुर्ज में गन-लॉन्च एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों (ATGMs) को इंटीग्रेट किया जाएगा, जो टैंक को लंबी दूरी पर दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों को सटीकता से नष्ट करने की ताकत देगा.

एडवांस म्युनिशन- इसमें मल्टीरोल स्मार्ट म्युनिशन (Multi Purpose Smart Munitions) को भी शामिल किया जाएगा, जो ड्रोन (UAVs) जैसे खतरों से निपटने में मदद करेगा.

आयातित बुर्ज दो साल में होगा बाहर
जोरावर लाइट टैंक का विकास 2020 के गलवान संघर्ष के बाद तेज किया गया था, जहां पारंपरिक भारी T-90 और अर्जुन टैंक लद्दाख के ऊंचे और दुर्गम इलाकों में अपने वजन और लॉजिस्टिक्स चुनौतियों के कारण अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे थे. टैंक ने रेगिस्तानी परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, और 2025 के अंत तक इसके यूजर ट्रायल और 2027 तक सेना में शामिल होने का लक्ष्य रखा गया है.

ये भी पढ़ें- दुनिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट, 6 रनवे और 18.5 करोड़ यात्री करेंगे सफर; इस प्रोजेक्ट में छिपा है सऊदी का बड़ा प्लान

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

About the Author

Prashant Singh

प्रशांत सिंह के लेख रिसर्च-आधारित, फैक्ट-चेक्ड और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित होते हैं. ये जियोपॉलिटिक्स और रक्षा से जुड़ी खबरों को आसान हिंदी में पाठकों तक पहुंचाने में माहिर हैं. ...और पढ़ें

ट्रेंडिंग न्यूज़