कब तक मरते रहेंगे गजराज?

पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में फिर से 3 हाथियों की मौत हो गई है. बुधवार की सुबह कटिहार पैसेंजर ट्रेन की चपेट में दो हाथी आ गए थे. इसमें से एक हथिनी थी, जिसके पेट में बच्चा भी था. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 11, 2019, 02:57 PM IST
    • सिलीगुड़ी में हाथियों की मौत
    • ट्रेन से टकरा कर हुई मौत
    • पांच सालों में 77 हाथियों की मौत
कब तक मरते रहेंगे गजराज?

कोलकाता: तेज रफ्तार ट्रेन का कहर बंगाल के सिलिगुड़ी में एक बार फिर से मौत बनकर टूटा. बुधवार को सुबह सिलीगुड़ी जंक्शन से कटिहार पैसेंजर ट्रेन रवाना हुई. थोड़ी दूर जाते ही जंगली इलाका शुरु हुआ, जहां ट्रेन की पटरी क्रॉस करते हुए दो हाथी उसकी चपेट में आ गए. 

अजन्मा हाथी का बच्चा भी मारा गया
ट्रेन ने जब दो हाथियों को धक्का मारा, तब हाथी  छिटक कर पटरी से दूर जा गिरे और उनकी मौत हो गई. इन दोनो में से एक हथिनी थी जिसके पेट में बच्चा था. इस दुर्घटना में मां हथिनी के पेट के अंदर पल रहे हाथी  के बच्चे की भी मौत हो गई. 

सिलीगुड़ी के खोडीबाड़ी ब्लॉक के पास हुई दुर्घटना
घटनास्थल पर ही रेल लाइन के पास इन हाथियों का शव पड़ा हुआ मिला. दुर्घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग और पुलिस की टीम पहुंची और हाथियों का इलाज कराने की कोशिश लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. बाद में हाथियों का पोस्टमॉर्टम भी करवाया गया. जिसमें पता चला कि एक मृत हथिनी के पेट में उसका अजन्मा बच्चा भी मारा गया. 

कई दिनों से इलाके में घूम रहे थे हाथी 
कुछ दिन पहले ही सिलीगुड़ी के खोड़ीबड़ी ब्लॉक के सिमुलतल्ला इलाके में स्थित सतीशचंद्र चाय के बागान में कुछ हाथियों का झुंड खाने की तलाश में पहुंच गया था. ये हाथियों का झुंड कई दिनों से इसी इलाके में विचरण कर रहा था. वन विभाग ने आशंका जताई है कि शायद ये मारे गए ये दोनों व्यस्क हाथी  उसी झुंड का हिस्सा थे. स्थानीय लोगों ने हाथियों का अंतिम संस्कार कर दिया है. 

पांच सालों में मारे गए 77 हाथी
ट्रेनों की चपेट में आकर हाथियों के मारे जाने की घटना कोई नई नहीं है. साल 2015 से नवंबर 2019 तक पांच साल की अवधि में रेलवे पटरियों पर कुल 77 हाथियों की मौत हो गई है. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में जानकारी दी थी कि 2015 के दौरान 10, 2016 के दौरान 19, 2017 के दौरान 15, 2018 के दौरान 26 और 2019 में नवंबर तक सात हाथियों की ट्रेन की चपेट में आकर मौत हो चुकी है. 

रेल मंत्री के मुताबिक ट्रेन के चपेट में आकर हाथियों के मरने की ज्यादातर घटनाएं उत्तरी बंगाल सहित कई क्षेत्रीय रेल संभागों में हुई है. 

हाथियों को बचाने के लिए की जा रही हैं कोशिशें
संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि ऐसे हादसों को रोकने के लिए क्षेत्रीय रेलों ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सहयोग से कई तरह के उपाय किए गए हैं. जिसमें पहचाने गये स्थानों पर रेलगाड़ी की गति को नियंत्रित करना, संकेत चिन्ह वाले बोर्ड लगाना, नियमित आधार पर गाड़ी चालक दल और स्टेशन मास्टर को संवेदनशील बनाना और सुनसान स्थलों पर बाढ़ लगाने सहित कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. 

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