नई दिल्ली: साल 2016 में डेमोनेटाइजेशन के बाद सरकार ने 1000 और 500 के नोट बदल कर 2000 और 500 के नए नोट बाजार में लाए. सरकार को ये फैसला भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ लिया गया सबसे बड़ा कदम बताया जा रहा था. बाजार में जाली नोटों का एक बड़ा जखीरा भी उस फैसले के बाद एक्सपोज हो गया था. लेकिन कहते हैं न कि सरकारें तो बेहतरी के लिए काम करती रहती हैं लेकिन जालसाज गलत तरीके से कमाने का कोई न कोई तरीका इजात कर ही लेते हैं . दिल्ली के कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन पर सेंट्रल इंडस्ट्रीयल सिक्यूरिटी फोर्स ने 4,64,000 रूपए के जाली नोट बरामद किए. बरामद किए गए सारे नोट 500 के हैं. दरअसल, सुरक्षा बल को ये सारे पैसे कश्मीरी गेट मेट्रो के गेट नंबर 8 पर लावारिस पड़े हुए मिले.
Central Industrial Security Force (CISF): CISF recovered a bag containing fake currency notes with face value of Rs 4,64,000 (in denomination of Rs 500 note), lying unattended near gate no.8 of Kashmiri Gate Metro Station in Delhi. It was handed over to Delhi Metro Rail Police. pic.twitter.com/sDhjP5SpCp
— ANI (@ANI) October 20, 2019
हालांकि, ये पहला मौका नहीं है जब सरकार को डेमोनेटाइजेशन के बाद जाली नोट मिले हों. इससे पहले भी कई ऐसे केस सुर्खियों में आए थे जब जाली नोटों का जखीरा पकड़ा गया हो.
19 सितंबर 2019:
जयपुर के माणक चौक पर जयपुर पुलिस ने 4 करोड़ 77 लाख रूपए के जाली नोट के साथ इसकी छपाई करने वाले गिरोह को दबोचा.
29 जून 2019:
इंदौर में बदमाशों के पास से 1.83 लाख रूपए पकड़े गए. पूछताछ के बाद पता चला कि नाग मणि खरीदने के लिए आरोपियों ने 11 लाख रूपए छापे थे.
30 मार्च 2019:
उत्तरप्रदेश के प्रयागराज से तीन आरोपियों को 60,000 के जाली नोट के साथ गिरफ्तार किया गया.
17929 जाली नोट किए गए बैंकों से बरामद
इन केसों के अलावा कुछ आंकड़े ऐसे भी हैं जो सरकार को परेशान कर सकते हैं. ये आंकड़े भ्रष्टाचार या यूं कहें कि काले धन को बाजार से निकालने के लिए गए बड़े फैसले पर मिट्टी डालने का काम कर सकती है. दरअसल, 2016 में विमुद्रीकरण के बाद से 50 करोड़ के जाली नोट बरामद किए गए हैं. सरकार ने खुद जून में लोकसभा सत्र के दौरान ये जानकारी दी थी. इसके बाद अगस्त में आरबीआई ने अपनी 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी कि 2000 के जाली नोटों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है. 2017-18 के वित्तीय वर्ष में सिर्फ बैंकों से 2000 रूपए के 17,929 जाली बरामद किए गए हैं. सरकार ने इसके बाद आर्थिक विशेषज्ञों और आरबीआई से इस समस्या का समाधान मांगा. आर्थिक सलाहकारों के सलाह के बाद सरकार ने 2000 के नोटों की छपाई शुरूआती दौर में कम की फिर बाद में बंद ही कर दी.
2019 में नहीं छापे गए 2000 के एक भी नोट
आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक 2016-17 के वित्तीय वर्ष में 2000 रूपए के 3542.991 मिलियन नोट छापे गए थे, जो साल 2017-18 में घट कर 111.507 मिलियन पर आ गए. 2018-19 में मात्र 46.690 मिलियन 2000 के नोटों की छपाई हुई तो स्थिति पर जल्द नियंत्रण पाने के लिए 2019 में अब तक 2000 के एक भी नोट नहीं छापे गए.
आपको बता दें कि भारत में नोटों की छपाई का जिम्मा तीन कंपनियों को दिया गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रन प्राइवेट लिमिटेड के पास नोट छापने का अधिकार है. इसके अलावा सिक्यूरिटी प्रिंटिंग इंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत सरकार की एक पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइज को नोटों को छपाई का जिम्मा दिया गया है. बीआरबीएनएमपीएल कंपनी भारतीय मुद्रण की छपाई कर्नाटक के मैसूर और पश्चिम बंगाल के सायबोनी में किया जाता है.