MSP लागू करने पर केंद्र दे संकेत तो बुधवार को खत्म हो सकता है किसान आंदोलन

पंजाब के किसान नेताओं ने केंद्र सरकार से एमएसपी पर 30 नवंबर तक जवाब देने की मांग की है. किसान नेताओं ने एक दिसंबर को एसकेएम की आपात बैठक बुलाई है, जिसमें किसान आंदोलन को लेकर अंतिम फैसला होगा.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 30, 2021, 08:17 AM IST
  • तीनों कृषि कानून निरस्त होने पर खुश हैं किसान
  • अन्य मांगों पर फैसला ले केंद्र: किसान संगठन
MSP लागू करने पर केंद्र दे संकेत तो बुधवार को खत्म हो सकता है किसान आंदोलन

नई दिल्लीः संसद में तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने को प्रदर्शनकारियों ने अपनी जीत करार दिया. साथ ही पंजाब के किसान नेताओं ने केंद्र से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी सहित अपनी अन्य मांगों पर शीतकालीन सत्र में मंगलवार को फैसला करने का अनुरोध किया. 

उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने एक दिसंबर को आपात बैठक बुलाई है. एसकेएम 40 किसान यूनियन का नेतृत्व कर रहा है. इसने अफसोस जताया कि कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 को जब सोमवार को संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया, तब उस पर चर्चा करने की अनुमति नहीं दी गई. 

सूत्रों ने संकेत दिया कि सरकार ने यदि किसानों की शेष मांगों पर विचार करने का इरादा प्रकट किया या गारंटी दी तो आंदोलन वापस लिया जा सकता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में कोई भी अंतिम फैसला एसकेएम की आपात बैठक में लिया जाएगा. 

किसान नेता बोले- यह हमारी ऐतिहासिक जीत
किसान नेताओं ने सोमवार को कहा, ‘यह हमारी जीत है और एक ऐतिहासिक दिन है. हम चाहते हैं कि किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएं. फसलों के लिए एमएसपी पर एक समिति गठित की जाए. केंद्र के पास हमारी मांगों का जवाब देने के लिए मंगलवार तक का समय है. हमने भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए बुधवार को एसकेएम की एक आपात बैठक बुलाई है.’’

किसानों ने बॉर्डर पर मनाया जश्न
इस बीच, दिल्ली की सीमाओं पर तीन प्रदर्शन स्थलों (सिंघु, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर) पर जश्न मनाया गया. किसानों ने भंगड़ा किया और पंजाबी गीतों की धुन पर नृत्य किया. सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने जीत का जश्न मनाने के लिए एक दूसरे पर फूल बरसाए. 

'अब भी हमारी अहम मांगें हैं लंबित'
एसकेएम ने एक बयान में कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना किसान आंदोलन की पहली बड़ी जीत है, लेकिन अन्य अहम मांगें अब भी लंबित हैं. उन्होंने कहा कि किसान विरोधी केंद्रीय कृषि कानूनों के निरस्त होने के साथ आज भारत में इतिहास रच गया. लेकिन तीनों कृषि कानून को निरस्त करने के लिए पेश किये जाने पर चर्चा की अनुमति नहीं दी गई. 

एसकेएम ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजन को मुआवजा देने की भी मांग की. किसान नेताओं ने कहा, ‘‘केंद्र को संसद में मंगलवार तक हमारी मांगों पर जवाब देना चाहिए.’’ 

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